'दुकान' बंद नहीं की - अमोल
अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाले आमोल पालेकर हट कर फ़िल्में और धारावाहिक बनाने के लिए जाने जाते हैं। 'कच्ची धूप', 'नक़ाब' और 'मृगनयनी' सरीख़ी टेली शो को बनाने वाले आमोल एक बार फिर छोटे पर्दे पर जलवा बिखेरने को तैयार हैं। लेकिन जब लोग उन्हें कमबैक के बारे में पूछते हैं, तो वे ऐतराज़ जताते हुए कहते हैं कि मैंने दुकान बंद ही नहीं की थी, तो खोलने का सवाल कहां से आता है। अमोल की बात में दम तो हैं ... और क्या कहते हैं आगे क्लिक करके खुद ही पढ़िए .
मुंबई। आमोल पालेकर का नाम आते ही एक अलग तरह का सिनेमा आंखों के आगे उभर आता है। उनके सिनेमा में सादगी और विषय दोनों ही मिलते थे। जब एक्शन, रोमांस और तेज़ी का दौर था, तब भी सीधे सादगी के साथ एक अलग तरह के सिनेमा को लेकर चल रहे थे। उनकी फिल्मों में भी प्रेम हुआ करता था और काॅमेडी भी मिलती थी।
लेकिन न तो प्रेमी पागल हुआ करता था और न ही कॉमेडी फूहड़। उसके बाद काफ़ी अरसे तक आमोल कहीं दिखाई नहीं दिए। फिर शाहरुख और रानी मुखर्जी अभिनीत 'पहेली' सबके सामने आई। एकदम आमोल के मिजाज में ढली।
सीधी सादी और प्रेम में पगी प्रेम कहानी। प्रेत और इंसान के बीच भी पवित्र प्रेम कहानी। एक एक दृश्य सिने प्रेमियों को बांधने में कामयाब रहा। फिर ऐसे सिनेमा से दर्शकों को दूर क्या रखते हैं आमोल। इसका जवाब वो बस मुस्कुराहट से दे जाते हैं। वैसे अभिनेता, निर्देशक के साथ वे चित्रकार भी हैं।
'कमबैक' से एतराज़
जब आमोल से पूछा गया कि वो दस सालों बाद 'कमबैक' कर रहे हैं। कोई ख़ास वजह है इस धारावाहिक को करने के पीछे। इस बात पर तपाक से बोले, '' मैं टेलीविज़न तब से जुड़ा हुआ था, जब ये महज़ डीडी या दूरदर्शन हुआ करता था, लेकिन कहने को यह छोटा पर्दा अब बड़ा हो गया है।
इसके अलावा एक और बात आप सबसे कहूंगा कि मुझे 'कमबैक' शब्द से ऐतराज़ है। मैंने इसे छोड़ा ही कहां, जो दोबरा आने की बात की जाए। मैं निर्देशन में व्यस्त हो गया, जिसकी वजह से अभिनय नहीं कर रहा था।
लेकिन इसका कतई ये मतलब नहीं की मैंने अभिनय करना ही छोड़ दिया है। '' वहीं इस शो को हट कर बताया और कहा, '' इन दिनों जो चलन में है, उससे हटकर ये धारावाहिक है। ''
अपने अभिनय सफ़र के बारे में कहते हैं कि अभिनय में दुर्घटनावश मैं अभिनय के क्षेत्र में आ गया। इसके बाद निर्देश्न का कार्यभार संभाल लिया, लेकिन मैंने अपनी अभिनय की दूकान कभी बंद नहीं की।
वो आगे हैं, '' कॅरियर के इस मुक़ाम पर आकर मैं कुछ ऐसा करना चाहता हूँ, जिसको करते हुए मुझे मज़ा आए और रोज़ सेट पर जाने के लिए बेताबी भी रहे। जिस दिन ये दोनों बाते नहीं होंगी मैं काम भी नहीं कर पाऊंगा। ''
वक़्त के पाबंद व अनुशासित
वर्तमान कलाकारों के बारे राय देते हुए कहा, '' आज कल के कलाकार अनुशासित हैं। हमारे समय में ऐसा नहीं था। उनदिनों जब मैं सही समय पर सेट पर पहुंचता था, तो लोग कहते थे कि अमोल समय पर आता है। जबकि इनदिनों तो सभी कलाकार समय पर आते हैं।
वक़्त पर आना और डायलॉग्स याद करना कलाकारों के लिए बेहद ज़रूरी कार्यों में से है। '' साथ ही वे ये भी कहते हैं की उन्होंने हमेशा नॉन स्ट्रीम काम किया है और उसे लोगों ने याद भी रखा है। बकौल, अमोल वो 100 करोड़ क्लब और टी आर पी के बारे में बारे में नहीं सोचते।
ज़माना बदल गया अाज की तारीख़ में 'बातों बातों में', 'छोटी सी बात' जैसी फिल्मों का निर्माण हो सकने की सम्भावना को नकारते हुए कहते हैं, '' 'बातों बातों में' फ़िल्म के एक सीन में मैं ट्रैन में बैठकर टीना मुनीम का स्कैच बनाता दिखता हूं।
इन दिनों तो लोकल में बैठने को सीट नहीं मिलेगी, स्कैच बनाना तो दूर की बात है। '' वो अपनी बात में यह भी जोड़ते हैं कि इन दिनों के दर्शक वैसी फ़िल्में पसंद भी न करें, क्योंकि आजकल की पीढ़ी फेसबुक और एस एम एस की भाषा समझती है। '' अमोल जल्द ही लाइफ ओके पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक 'रोशनी ... एक नई उम्मीद' में डॉक्टर की भूमिका निभाते दिखेंगे।