ख़य्याम ने जब कहा 'ख़य्याम साहब नो मोर'
मशहूर संगीतकार ख़य्याम 'गुलाम बंधु' से वापसी कर रहे हैं। अपने संगीत से ख़ास जादू जगाने वाले संगीतकार ख़य्याम जब कई सालों तक सक्रिय नहीं दिखे, तो लोगों ने उनके मरने तक की अफ़वाहें भी उड़ा दी। इस वाक़ये का ज़िक्र ख़ुद खय्याम साहब ने अपनी आगामी फ़िल्म के सॉन्ग रिकॉर्डिंग के दौरान बताई।
इस बारे ख़य्याम ने कहा, '' लोगों को यह हक़ है कि मेरे न दिखने पर वो मेरे मरने की खबर चला सकते हैं। तीन साल पहले एक चैनल ख़बर चली कि 'ख़य्याम साहब नो मोर' पास ही में दूसरा चैनल वाला बैठा मुझे आंखे फाड़ कर देख रहा था।
तब मैंने उसे कहा, अरे भाई मैं तो तुम्हारे सामने ज़िंदा बैठा हूं न, बाक़ी उन्हें जो कहना है कहने दो। '' अपने दिलकश संगीत से 'कभी कभी' और 'उमराओ जान' को म्यूज़िकल हिट बनाने वाले ख़य्याम प्रकाश भारद्वाज की फ़िल्म 'ग़ुलाम बंधु' को अपने संगीत से सजा रहे हैं।
चुनौती के लिए लौटा
पद्म भूषण ख़य्याम ने कहा, '' मैं साठ साल से ज़्यादा फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी सेवाएं दे चुका हूं। ये फ़िल्म एक म्यूजिकल फिल्म है। इसलिए इसकी चुनौती के लिए मैं तैयार हुआ हूं। ''बतौर संगीतकार ख़य्याम की आखिरी फ़िल्म ओमपुरी और यशपाल शर्मा की 'बाज़ार-ए-हुस्न' रही। वर्ष 2014 में रिलीज़ हुई फ़िल्म कब आई और कब गई पता ही नहीं चला।
इस फ़िल्म के लिए हामी भरने के पीछे की वजह बताते हुए कहा, '' जब निर्देशक साहब मेरे पास इस प्रोजेक्ट को लेकर आए तो मैंने कहा, भाई मेरी उम्र तो पता हैं न आपको। मैं 88 साल और छह महीने का हो गया हूं।
कुछ दिनों में 89 साल हो का जाऊंगा। '' काम न करने की पीछे की वजह बताया, '' इन दिनों जो फ़िल्में बनती हैं, उनमे हम जैसों के लिए ज़्यादा काम करने को होता नहीं है।
''साथ ही अपनी जिम्मेदारी के बारे में बताया, '' मैं जिस भी फ़िल्म के साथ जुड़ता हूं, उन्हें ये ज़रूर बताता हूं कि आप इस तरह से इसे कर सकते हैं। ''
अपनी उम्र को धत्ता बताते हुए ख़य्याम बीते दिनों में खो गए। उस दौर में जिस तरह से शूटिंग स्पॉट पर ही संगीत रचा जाता था, उसके जादू के बारे में बताते-बताते ख़ुद खो से गए।