शर्मिले, संकोची 'एक्शन हीरो' हैं सनी
फौलादी जिस्म और मोम की सीरत वाले अभिनेता सनी देओल का आज जन्मदिन हैं। दमदाम अभिनय से तीन दशक तक सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले सनी बड़े परदे से अरसे से दूर हैं, लेकिन जल्द ही वे बड़े परदे पर धमाकेदार इंट्री करने वाले हैं ... इसके अलावा इनके सुपुत्र भी जल्द ही बड़े परदे पर जलवे बिखेरने को तैयार है ....
मुंबई। बॉलीवुड के 'हीमैन' कहे जाने वाले अभिनेता धर्मेंद्र के बड़े बेटे अजय देओल, जिन्हें हम सनी के नाम से जानते हैं, वे अपना 58 वां जन्मदिन मना रहे हैं। हालांकि, सनी को किसी भी क़िस्म का तार्रुफ़ कराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि बीते तीस दशक से वो सिने प्रेमियों के दिलों पर काबिज़ हैं।
इनका जन्म 19 अक्टूबर 1956 को हुआ था। पिता से अभिनय इन्हें विरासत में मिली.घर में फ़िल्मी माहौल की वजह से सनी अक्सर पापा के साथ शूटिंग देखने जाया करते थे। नतीज़तन उनका रुझान भी फ़िल्मों की तरफ हो गया।
फ़िल्मी सफ़र
शुरुआती पढ़ाई मुंबई से करने के बाद, इन्होंने इंग्लैंड के 'ओल्ड वेब थिएटर' में दाखिला लिया। सनी को इनके पिता यानी धर्मेंद्र ने वर्ष 1983 में फ़िल्म 'बेताब' से लॉन्च किया। इसका निर्देशन राहुल रवैल ने किया और सनी के अपोजिट थीं अमृता सिंह। फ़िल्म बॉक्स आॅफिस पर हिट साबित हुई।
इस सफलता के बाद तो सनी के पास फ़िल्मों की लाइन लग गई। इन फ़िल्मों में 'सोहनी महिवाल', 'मंजिल मंजिल', 'सन्नी', 'जबरदस्त' रहीं। लेकिन पहली फ़िल्म की तरह कोई भी कामयाब नहीं हो सकी।
वर्ष 1985 में एक बार फिर राहुल रवैल के निर्देशन में बन रही फ़िल्म 'अर्जुन' में काम करने का मौक़ा मिला और वो सुपरहिट साबित हुई। यही वो फ़िल्म थी, जिसने सनी को यंग्री यंगमैन का तमगा दिया। इसके बाद तो तमाम निर्माता निर्देशकों ने अधिकतर फ़िल्मों में सनी की इसी छवि को भुनाने की कोशिश की। इन फ़िल्मों में 'सल्तनत', 'डकैत', 'यतीम', 'इंतकाम', 'पाप की दुनिया' आदि शामिल हैं।
इसके बाद वर्ष 1990 में आई फ़िल्म 'घायल' सनी के करियर की सफलतम फ़िल्मों में से एक है। इसी ने सनी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्म फेयर पुरस्कार के साथ राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिलवाया था।
सनी ने कुछ नया और हटकर करने के लिए वर्ष 1991 में आई फ़िल्म 'नरसिम्हा' में ग्रे शेड वाला किरदार निभाया। लेकिन इसके बाद भी दर्शकों का प्यार सनी को मिली। फिर वर्ष 1993 में आई 'दामिनी', जिसमें मुख्य भूमिका तो मीनाक्षी शेषाद्री की थी, लेकिन अपनी विशिष्ट संवाद अदायगी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। फ़िल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार और फ़िल्म फेयर का पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
सनी के सिने करियर में बुरा दौर भी आया। वर्ष 1993 1996 से तक उनकी कोई भी फ़िल्म टिकट खिड़की पर कमाल नहीं कर पाई। इसके बाद वर्ष 1997 आई 'बॉर्डर'। वैसे तो यह फ़िल्म मल्टीस्टारर थी, लेकिन सनी को वाह वाही काफ़ी मिली। 'बॉर्डर' में उन्होंने महावीर चक्र विजेता मेजर कुलदीप सिंह के किरदार में जान डाल दी थी। उसी दौरान 'जिद्दी' ने भी कामयाबी पाई और सनी एक बार फिर बॉलीवुड के रेस में शामिल हो गए।
वर्ष 1999 में सन्नी ने फ़िल्म 'दिल्लगी' के जरिए निर्माण और निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रख दिया। वर्ष 2001 में प्रदर्शित फ़िल्म 'गदर एक प्रेम कथा' सन्नी देओल के सिने करियर की सर्वाधिक सुपरहिट फ़िल्म साबित हुई।
सनी ने अपने सिने करियर में अब तक 90 फ़िल्म में अभिनय किया है। सन्नी आज भी उसी जोशोखरोशो के साथ फ़िल्म इंडस्ट्री में सक्रिय है। सनी अपनी सुपरहिट फिल्म 'घायल' के सीक्वल में भी काम कर रहे हैं।
'घायल रिटर्न्स' फिल्म अगले साल 2016 में रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में सनी फिर से अपने पुराने अवतार जोशीले और एक्शन किंग के रूप में दिखाईं देने वाले है। सनी बहुत समय के बाद ऐसी फ़िल्म कर रहे है। 'घायल' फ़िल्म में जहां तक बताया गया था, अब उसके आगे की कहानी बताई जाएगी।
'घायल रिटर्न्स' फिल्म अगले साल 2016 में रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में सनी फिर से अपने पुराने अवतार जोशीले और एक्शन किंग के रूप में दिखाईं देने वाले है। सनी बहुत समय के बाद ऐसी फ़िल्म कर रहे है। 'घायल' फ़िल्म में जहां तक बताया गया था, अब उसके आगे की कहानी बताई जाएगी।
सिगरेट, शराब से दूरी
सनी को शराब पीना और सिगरेट पीना बिलकुल भी पसंद नहीं है। ये काफ़ी संकोची और शर्मीले स्वाभाव के हैं। उनके इस स्वभाव की वजह उनकी मां प्रकाश्ा कौर बहुत चिंतित रहा करती थी। लेकिन सनी को इस मुकाम पर देखकर वे काफ़ी खुश होती हैं। परिवार के लिए हमेशा आगे रहने वाले सनी के अपनी सौतेली मां हेमा मालिनी से रिश्ते तल्ख़ ही हैं। गाहे बगाहे यह देखने को मिल ही जाता है।
वैसे सनी और बॉबी हेमा की बेटियों ईशा और आहना के बारे में कुछ बोलते नहीं हैं, तो, खुशियों में भी शामिल नहीं होते। दोनों की शादियों में देओल परिवार से कोई नहीं आया था। जबकि हेमा की छोटी बेटी आहना को बेटा हुआ, उस ईशा ने ट्विटर पर पिक्चर पोस्ट करते हुए कुछ लिखा, तो था, लेकिन ख़ास रिस्पॉस नहीं मिला। ग़ौरतलब हो कि हेमा मालिनी सनी से महज आठ वर्ष ही बड़ी हैं। धर्मेंद्र औ हेमा की शादी से वे खुश नहीं थे।
वैसे सनी और बॉबी हेमा की बेटियों ईशा और आहना के बारे में कुछ बोलते नहीं हैं, तो, खुशियों में भी शामिल नहीं होते। दोनों की शादियों में देओल परिवार से कोई नहीं आया था। जबकि हेमा की छोटी बेटी आहना को बेटा हुआ, उस ईशा ने ट्विटर पर पिक्चर पोस्ट करते हुए कुछ लिखा, तो था, लेकिन ख़ास रिस्पॉस नहीं मिला। ग़ौरतलब हो कि हेमा मालिनी सनी से महज आठ वर्ष ही बड़ी हैं। धर्मेंद्र औ हेमा की शादी से वे खुश नहीं थे।
यादगार डायलॉग
सनी की संवाद अदायगी का एक ख़ास अंदाज़ है। उनके कई संवाद यानी डायलॉग्स तो दर्शकों की ज़बान पर वर्षों से चढ़े हैं। आइए उनके कुछ मशहूर डायलॉग्स पर नज़र दौड़ाते हैं ...
तुम्हारा पाकिस्तान जिंदाबाद है, इसमें हमें कोई एतराज़ नहीं, मगर हमारा हिन्दुस्तान जिंदाबाद था, जिंदाबाद है, जिंदाबाद रहेगा- गदर
एक कागज पर मोहर नहीं लगेगी .... तो क्या तारा पाकिस्तान नहीं जाएगा? .......- गदर
अगर मैं अपनी बीवी बच्चों के लिए सर झुका सकता हूं ... तो मैं सबके सर काट भी सकता हूं ... गदर
अगर ये जट बिगड़ गया ... तो सैंकड़ों को ले मरेगा ... गदर
बरसात से बचने की हैसियत नहीं .... और गोली बारी की बात कर रहे हो आप लोग .... गदर
इन हाथों ने सिर्फ़ हथियार छोड़े हैं .... उन्हें चलाना नहीं भूले। अगर इस चौखट पर बारात आएगी तो डोली की जगह अर्थियां उठेंगी। लाशें बिछा दूंगा .... लाशें - जीत
भून डालो दुश्मनों को, काट डालो इंसानों को, आज हम अपने खून से धोएंगे तेरे चरण, माँ तुझे सलाम -माँ तुझे सलाम
ये मजदूर का हाथ है ... लोहा पिघलकर उसका आकार बदल देता है ... घातक
डराकर लोगों को वो जीतता है ... जिसकी हडि्डयों में पानी भरा होता है .... घातक
पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है .... घातक
मर्द बनने का इतना शौक है .... तो कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दे .... घातक
झक मारती है पुलिस, उतार कर फेंक दो ये वर्दी और पहन लो बलवंत राय का पट्टा अपने गले में ....यू बास्टर्ड-घायल
रिश्वतखोरी और मक्कारी ने तुम लोगों के जिस्म में मां के दूध के असर को खत्म कर दिया है .... घायल
जिंदगी का दूसरा नाम प्रॉब्लम है ... बार्डर
बलि हमेशा बकरे की दी जाती है ... शेर की नहीं ... सिंग साहब द ग्रेट
नो इफ नो बट, सिर्फ जट - जो बोले सो निहाल
चिल्लाओ मत नहीं तो ये केस यहीं रफा-दफा कर दूंगा। ना तारीख़ ना सुनवाई, सीधा इंसाफ वो भी ताबड़तोड़- दामिनी
जब ये ढाई किलो का हाथ किसी पे पड़ता है ना .... तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है .... ... - दामिनी
तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़ मिलती रही है ... लेकिन इंसाफ नहीं मिला माई लॉर्ड, इंसाफ नहीं मिला ... मिली है तो सिर्फ ये तारीख़- दामिनी
मैदान में खुले शेर का सामना करोगे ... तुम्हारे मर्द होने की गलतफहमी दूर हो जाएगी .... दामिनी