धर्मेंद्र की पहली साइनिंग 51 रुपये
बॉलीवुड के पहले रोमांटिक एक्शन हीरो धर्मेंद्र का परिवार काफ़ी बड़ा है। उनके परिवार में दो पत्नियां, दो बेटे और चार बेटियां शामिल हैं। अभिनेता बनने से पहले वे रेलवे में क्लर्क थे और सवा सौ रुपये उनकी तनख्वाह थी। फ़िल्म 'दिल्लगी' ने उनकी आंखों में अभिनेता बनने का सपना जगा दिया। इस फ़िल्म को उन्होंने 40 दफा देखा और मुंबई नगरिया चले आए। बॉलीवुड के धरम-गरम ही-मैन के बारे में ऐसी ही कुछ और बातें आपसे साझा करेंगे। पहले हमारी तरफ़ से उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं।
मुंबई। बतौर रोमांटिक हीरो अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले धर्मेंद्र बाद में एक्शन हीरो के रूप में स्थापित हो गए। लेकिन उनके फ़िल्मी करियर के खाते में रोमांटिक और एक्शन रोल के अलावा दर्जनों कॉमेडी रोल भी शामिल हैं।
पंजाब के कपूरथला जिले में 8 दिसंबर 1935 को उनका जन्म हुआ। पिता केवल किशन सिंह देआेल स्कूल के हेडमास्टर थे। वैसे, उनका असल गांव साहनेवाल है। धर्मेंद्र का असली नाम धरम सिंह देओल है।
एक्टिंग का कीड़ा
पहलवानी के शौक़ीन धर्मेंद्र को शुरू से ही फ़िल्में देखने का शौक़ रहा है। लेकिन, अभिनय के कीड़े ने उन्हें फ़िल्म 'दिल्लगी' के दौरान काटा। मशहूर अदाकारा सुरैया के वे इस क़दर दीवाने हुए कि इस फ़िल्म को चालीस बार देखा। दीवानगी की इतंहा तो यह थी कि वे सिनेमा हॉल तक पैदल मीलों सफ़र किया करते थे।
फ़िल्मों में आने से पहले धर्मेंद्र रेलवे में क्लर्क हुआ करते थे और तब उन्हें सवा सौ रुपये तनख्वाह मिला करती थी। तभी उन्हें पता चला कि फिल्मफेयर नाम की पत्रिका नई प्रतिभा की खोज कर रही है।
धर्मेंद्र इस मौक़े को गवाना नहीं चाहते थे, सो फटाफट फॉर्म भर कर भेज दिया। वो दिन भी आया, जब प्रतियोगिता शुरू हुई। धर्मेंद्र ने अभिनय की कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी, इसके बाद भी उन्होंने इस टैलेंट हंट में बाजी मार ली। सभी को पछाड़ते हुए वे विजेता बने।
संघर्ष का वो दौर
टैलेंट हंट में जीतने के बाद धर्मेेद्र को लगा कि अब तो हीरो बनने की राह आसान हो गई है। कामयाबी और उनके बीच अब कोई दूरी नहीं बची। लेकिन, उनका असली संघर्ष तो अभी शुरू ही हुआ था।
फ़िल्म में काम पाने के लिए फ़िल्म निर्माताओं के घरों के चक्कर काटने पड़ते थे। फाके भी किए। कई तो सिर्फ़ चने खाकर बेंच पर रात गुज़ारा करते थे। कई बार वो चने भी उन्हें नसीब न होते थे। पैसे बचाने के लिए मीलों पैदल चला करते थे।
वे संघर्ष के दिनों में जुहू में एक छोटे से कमरे में अपने एक दोस्त के साथ रहा करते थे। ऐसे ही एक बार जब उनके पास खाना खरीदने के पैसे नहीं थे, तो वे थके हारे अपने कमरे पर पहुंचे। जहां उनके रूम पार्टनर की टेबल पर ईसबगाेल का पैकेट रखा था। अपनी भूख को शांत करने के लिए उन्होंने पूरा ईसबगोल खा लिया।
सुबह तक उनकी हालत बहुत खराब हो गई। उनका दोस्त उन्हें डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर ने सारा माजरा जानने के बाद कहा कि सिर्फ़ दवाइयों से काम नहीं चलेगा। दवाइयों के साथ खाने की भी जरूरत है।
पहला ब्रेक
धर्मेंद्र की हिचकोले खाती एक्टिंग करियर की गाड़ी को स्पीड दी अर्जुन हींगोरानी ने। हींगोरानी के इस अहससान को वो ताउम्र मानते रहे, तभी तो उनकी फ़िल्मों में नाम मात्र का पारिश्रमिक लेकर उन्होंने काम किया।
आपको बता दें कि हींगोरानी ने वर्ष 1960 की फ़िल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' के लिए धर्मेंद्र को साइन किया। इस फ़िल्म में उनकी नायिका कुमकुम थीं। और धर्मेंद्र को तब साइनिंग अमाउंट के रूप में महज 51 रुपये मिले थे।
इस फ़िल्म से उन्हें ज़्यादा पहचान नहीं मिली। कई बार कई निर्माता निर्देशकों ने यह कह कर अपने अपने ऑफिस बाहर निकाल दिया कि वे पहलवानी कर सकते हैं। अभिनय करने की क्षमता उनके भीतर नहीं है।
पहली हिट फ़िल्म
वर्ष 1966 में आई फ़िल्म 'फूल और पत्थर' धर्मेन्द्र के करियर की पहली बड़ी हिट थी। इसमें उन्होंने शर्टलेस होकर दर्शकों को चौंका दिया, लेकिन इसके लिए उन्हें आलोचना भी झेलनी पड़ी।
इसी फ़िल्म की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री मीना कुमारी और उनकी नज़दीकियां भी बढ़ी। मीना कुमारी के साथ रहने से उन्हें शायरी का भी शौक़ हो गया। आज भी उन्हें सैंकड़ों शे'र याद है।
धर्मेन्द्र और मीना कुमारी की नजदीकियों से मीना के पति कमाल अमरोही खफ़ा भी हुए। अपनी नाराजगी के चलते ही उन्होंने सालों बाद 'रजिया सुल्तान' बनाई। और इसके एक दृश्य में उन्होंने धर्मेन्द्र का मुंह काला करवाया।
कहा जाता है कि उन्होंने इस तरह का सीन जानबूझ रख धर्मेन्द्र से बदला लेने के लिए फ़िल्म में डाला था।
खूबसूरत रोमांटिक एक्शन हीरो
धर्मेन्द्र को टाइम्स मैगजीन ने दुनिया के दस खूबसूरत पुरुषों में जगह दी थी। धर्मेन्द्र को भले ही एक्शन हीरो के रूप में जाना जाता है, लेकिन धर्मेन्द्र ने कई हास्य और रोमांटिक फ़िल्में भी की हैं।
हिंदी फ़िल्म इतिहास के सबसे खूबसूरत हीरो में से धर्मेन्द्र एक माने जाते हैं। उनकी सेहत और चेहरे की चमक देख अभिनेता दिलीप कुमार ने एक बार कहा था कि वे अगले जन्म में धर्मेन्द्र जैसी शख्सियत पाना चाहते हैं।
दिलीप कुमार की धर्मेन्द्र बेहद इज्जत करते हैं। वे उन्हें अपना बड़ा भाई मानते हैं और अक्सर दिलीप कुमार के पैरों में बैठते हैं। दिलीप कुमार से मिलने के लिए वे नियमित अंतराल से उनके बंगले पर जाते रहते हैं।
ही-मैन के दीवाने अभिनेता
धर्मेंद्र की खूबसूरती को लेकर एक वाकया है। कहा जाता है कि जब गोविंदा की पत्नी गर्भवती हुईं, तो गोविंदा ने धर्मेंद्र की तस्वीर लाकर अपनी पत्नी को दिया। ताकि होने वाला बच्चा धर्मेंद्र की तरह ही खूबसूरत हो।
यह बात जब धर्मेंद्र को पता चली तो उनकी आंखों से आंसू आ गए। वहीं ऋतिक रोशन भी धर्मेन्द्र के फैन हैं। बचपन में उनके कमरे में धर्मेन्द्र का बड़ा पोस्टर लगा हुआ था। कुछ वर्ष पहले रितिक के मस्तिष्क की सर्जरी हुई थी। ठीक होने के बाद सबसे पहला फोन उन्हें धर्मेन्द्र का ही आया था।
सलमान खान के भी प्रिय हीरो धर्मेन्द्र हैं। धर्मेन्द्र भी कई बार कह चुके हैं कि सलमान और उनमें कई समानताएं हैं और वे भी जवानी के दिनों में सलमान की तरह हुआ करते थे।
सलमान खान की फ़िल्म 'प्यार किया तो डरना क्या' में काम करने के बदले में धर्मेन्द्र ने एक पैसा नहीं लिया। फ़िल्म का शेड्यूल लंबा था, तो सलमान के पिता सलीम खान ने अपने बेटों से कहा कि वे धर्मेन्द्र का विशेष ध्यान रखें।
राजनीति-पुरस्कार
अभिनेता बनने के बाद राजनेता बनने चले धर्मेंद्र को जल्द ही समझ आ गया कि यह राजनीति उनके बूते का राग नहीं है। वर्ष 2004 में भारतीय जनता पार्टी के साथ धर्मेन्द्र को राजस्थानी शहर बीकानेर से संसद सदस्य बनाया गया। लेकिन वे अपने क्षेत्र में जाने के बजाय अपने खेतों में और अभिनय में रमे रहे। इस बात से उनके संसदीय क्षेत्र के रहवासी काफ़ी नाराज भी हुए।
वर्ष 2012 में धर्मेंद्र को भारत सरकार की तरफ से 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया। धर्मेन्द्र के लिए अभिनेता दिलीप कुमार ने एक अवॉर्ड फंक्शन के दौरान कहा कि वो धरती के सबसे ज्यादा हैंडसम इंसान हैं, भगवान ने बड़ी फुरसत से इन्हें बनाया है। ' ये बात सुनकर धर्मेद्र भावुक भी हो गए थे।
चार बार फिल्मफेयर पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी, एक बार श्रेष्ठ सहायक अभिनेता की श्रेणी और श्रेष्ठ कॉमेडियन की श्रेणी में धर्मेन्द्र का नामांकन हुआ, लेकिन उन्हें कभी यह पुरस्कार हासिल नहीं हुआ। उन्होंने फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड्स के दौरान कहा कि कई बार उन्हें इस उम्मीद के साथ नया सूट सिलवाया कि अवॉर्ड मिलेगा, लेकिन नहीं मिला।
शादी-अफेयर-प्यार
धर्मेन्द्र का नाम कई अभिनेत्रियों के साथ जुड़ा। गौरतलब हो कि फ़िल्मी दुनिया में कदम रखने से पहले ही उनकी शादी प्रकाश कौर से हो गई थी। अपनी पहली शादी के वक्त धर्मेंद्र महज 19 साल के थे। प्रकाश को धर्मेंद्र ने हमेशा मीडिया से दूर ही रखा है।
अपने जमाने की मशहूर अदाकाराओं में शुमार माला सिन्हा, नूतन, मीना कुमारी के साथ काम किया है। सबसे पहले धर्मेंद्र के अफेयर की ख़बर मीना कुमारी ही चली। कहा तो यह भी जाता है कि धर्मेंद्र के कंधे का सहारा मीना चाहती थी, जबकि धर्मेंद्र ने मीना को सीढ़ी की तरह इस्तेमाल कर छोड़ दिया। धर्मेंद्र के रवैये से टूटी हुई मीना और भी बिखर गई और शराब में डूब गईं।
कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए धर्मेंद्र की मुलाक़ात ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी से हुई। दोनों की जोड़ी बॉलीवुड इतिहास की प्रसिद्ध जोड़ियों में से एक है। दोनों ने लगातार कई सुपरहिट फ़िल्में दी। लगातार हेमा मालिनी के साथ काम करते हुए धरम ड्रीमगर्ल को दिल दे बैठे। उस समय हेमा के पीछे संजीव कुमार और जीतेन्द्र जैसे अभिनेता भी थे, लेकिन इनको पछाड़ कर धर्मेन्द्र ने बाजी माली ली और हेमा को अपना बना लिया।
कहा जाता है कि जीतेन्द्र और हेमा शादी करने वाले थे तब धर्मेन्द्र ने जीतेन्द्र की दूसरी गर्लफ्रेंड को इस बारे में बता दिया और शादी रूकवा दी। फ़िल्म 'शोले' में वे ठाकुर या गब्बर का किरदार निभाना चाहते थे जबकि 'शोले' के निर्देशक रमेश सिप्पी चाहते थे कि धर्मेन्द्र, वीरू का रोल निभाए। धर्मेन्द्र नहीं माने तो रमेश ने धमकाते हुए कहा कि संजीव कुमार को वीरू बना दूंगा, जो कि हेमा मालिनी का हीरो है। धमकी रंग लाई और धर्मेन्द्र फौरन वीरू का रोल निभाने के लिए तैयार हो गए।
शोले की शूटिंग के दौरान रोमांटिक सीन में धर्मेन्द्र जानबूझ कर ग़लती करते थे, ताकि हेमा के साथ अधिक से अधिक समय बिता सकें। वे स्पॉट बॉय को ग़लती करवाने के पैसे भी दिया करते थे। हेमा से शादी के लिए धर्मेंद्र ने अपना धर्म परिवर्तन कर इस्लाम अपनाया।
बाप-बेटे साथ साथ
धर्मेंद्र उन चंद अभिनेताओं में से हैं, जो अपने बेटे के जमाने में भी बतौर हीरो काम करते रहे। धर्मेन्द्र अपने बेटे सनी से कही आगे थे। सनी की हीरोइनों (अमृता सिंह, डिम्पल कपाड़िया, श्रीदेवी, जया प्रदा) के भी वे हीरो बने। मल्टीस्टारर फ़िल्मों से धर्मेन्द्र ने कभी परहेज नहीं किया और तमाम स्टार्स के साथ स्क्रीन शेयर की।
वे 70 के दशक में वे सबसे महंगे सितारों में से एक थे। 'शालीमार' और 'रज़िया सुल्तान' जैसी महंगी फ़िल्मों फ्लॉप होने पर धर्मेन्द्र का करियर खत्म मान लिया गया था, लेकिन उन्होंने जबरदस्त वापसी की।
एक अध्ययन के अनुसार 'हाइएस्ट ग्रांसिंग स्टार ऑफ ऑल टाइम' की लिस्ट में धर्मेन्द्र का नंबर चौथा है। 1987, 52 वर्ष की उम्र में धर्मेन्द्र की 11 फ़िल्में रिलीज हुईं जिसमें से 7 सफल रहीं में गुलजार ने धर्मेन्द्र को लेकर देवदास फिल्म आरंभ की थी, जो कुछ दिनों की शूटिंग के बाद बंद हो गई। धर्मेन्द्र ने अपने लंबे करियर में कई हिट फिल्में दी और देश-विदेश में फैले अपने करोड़ों प्रशंसकों का अपनी फिल्मों से मनोरंजन किया।
धर्मेन्द्र ने कुछ बी ग्रेड फिल्मों में भी काम किया है। जब आलोचना बेटे सनी देओल तक पहुंची तो सनी के कहने पर उन्होंने इस तरह की फ़िल्मों में काम करना बंद कर दिया। अपने दोनों बेटों, सनी और बॉबी, के साथ धर्मेन्द्र का खास रिश्ता है। अपने बेटों के साथ 'अपने', 'यमला पगला दीवाना' और 'यमला पगला दीवाना 2' में काम किया है।
संबंधित ख़बरें