गोविंदा ने मांगी माफ़ी?
अभिनेता गोविंदा को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आगे झुकना ही पड़ा। आने वाले दिनों में हो सकता है कि अपने चींची 'सरेआम सॉरी' के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलवाएं। याद दिला दें कि वर्ष 2008 संतोष राय आपको नाम के व्यक्ति को इन्होंने एक थप्पड़ में रसीद कर दिया था। अपनी बेइज्जती का हिसाब मांगने के लिए संतोष बॉम्बे हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और अाखिरकार कोर्ट ने अपना फैसला सुना ही दिया। इसके बाद बाद चींची ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया और अपनी सफाई पेश की ....
मुंबई। अभिनेता गाेविंदा की मुश्क़िलें कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं। बुरे वक्त में पक्के दोस्तों का साथ जाता रहा, उसके बाद बिटिया को लॉन्च तो कराया, लेकिन लॉन्चिंग भी फुस्स ही रही।
इन सब से उबर ही रहे थे कि तक़रीबन दस साल पुराना 'थप्पड़ कांड' का जिन्न बाहर आ गया। दरअसल, गोविंदा वर्ष 2008 में 'मनी है तो हनी है' की शूटिंग कर रहे थे, तभी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी और इसी पत्रकार वार्ता के दौरान चींची ने संतोष राय नाम के व्यक्ति को थप्पड़ रसीद कर दिया था।
सरेआम हुई अपनी इस बेइज्जती का हिसाब मांगने के लिए संतोष ने कोर्ट में अरजी लगाई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने संतोष की अरर्जी को ख़ारिज कर दिया था। अपनी याचिका खारिज होने के बाद वो सुप्रीम कोर्ट गया।
सुप्रीम कोर्ट ने संतोष की अरजी पर विचार किया और आखिरकार गोविंदा को नसीहत देते हुए फैसला सुनाया।
फैसला
जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को कहा- 'गोविंदा एक पब्लिक फीगर हैं, उन्हें ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए थी। रील लाइफ में वो जो काम करते हैं, उसे रीयल लाइफ में उन्हें करने की जरूरत नहीं है। ' बेंच ने गोविंदा को अपने रवैये के लिए माफ़ी मांगने के साथ ही कोर्ट से बाहर इस मामले को सुलझाने को कहा है।
मामले की अगली सुनवाई 9 फरवरी को होगी। बेंच ने घटना की वीडियो क्लिप देखने के बाद अपना फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट के सवालइस मामले में अभिनेता से सुप्रीम कोर्ट ने कुछ तल्ख़ सवाल भी किए हैं। पहला सवाल था कि आप हीरो हैं, किसी को थप्पड़ क्यों मारते हैं? कोर्ट ने यह भी कहा कि आपकी फ़िल्मों से लोग मनोरंजन करते हैं, लेकिन किसी को मारें ये हम बर्दाश्त नहीं कर सकते। रील लाइफ और रियल लाइफ के अंतर समझना ज़रूरी है।
कोर्ट का दूसरा सवाल था कि बड़े हीरो है, तो बड़ा दिल क्यों नहीं दिखाते? कोर्ट ने कहा, 'आम आदमी को आपका थप्पड़ मारना शोभा नहीं देता। आप बड़े हीरो हैं, बड़ा दिल भी दिखाएं। '
विक्टिम बोल
वहीं दूसरी ओर इस केस के विक्टिम ने कहा है कि 7 साल बाद सिर्फ़ माफ़ी से काम नहीं चलेगा, मुआवजा भी दिलवाओ। संतोष का कहना है कि वह यहां अभिनेता बनने आए थे, लेकिन गोविंदा के थप्पड़ के बाद उनकी बेइज्जती हुई है और करियर बनने से पहले ही ख़त्म हो गया। इस बात का हर्जाना उन्हें मिलना ही चाहिए।
गोविंदा की सफ़ाई
कोर्ट के आदेश के बाद गोविंदा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। इस दौरान गोविंदा ने कहा कि मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं। न्यायालय का फैसला सर्वमान्य होता है। किसी को ठेस पहुंचाने का मेरा मकसद नहीं था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जिस वक्त यह हुआ, उस दौरान मुझे किसी का किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिला।
गोविंदा ने यह भी साफ किया की कोर्ट के फैसले की लिखित जानकारी उन्हें अभी तक नहीं मिली है। उनके पास जब कागजात आएंगे, तो वे इस बारे में ज़रूर कुछ कहेंगे। लिखित दस्तावेज न होने की सूरत में फिलहाल माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया।
इसके अलावा गोविंदा ने अपने थप्पड़ मारने की असल वजह बताते हुए कहा कि संतोष ने महिला कलाकारों के साथ बदसलूकी की, जिसकी वजह से मैंने उसे थप्पड़ जड़ दिया था।
पूरा मामला
गोविंदा वर्ष 2008 में मूवी 'मनी है तो हनी है' की फिल्मिस्तान स्टूडियो में शूटिंग कर रहे थे, उसी दौरान उन्होंने एक फैन संतोष राय को थप्पड़ जड़ दिया था।
इसके बाद राय ने बॉम्बे हाईकोर्ट में केस दायर किया था।
हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में पर्याप्त सबूत नहीं होने की वजह से केस खारिज कर दिया था।
इसके बाद राय ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
गोविंदा का कहना था कि राय ने साथी महिला कलाकारों के साथ दुर्व्यवहार किया था, इसीलिए उन्होंने उसे थप्पड़ मारा था।
इस मामले में विक्टिम संतोष कहना है कि अभिनेता द्वारा थप्पड़ मारे जाने के कारण उसे सरेआम बेइज्जती का सामना करना पड़ा।
मैं मुंबई एक्टर बनने के लिए आया था, लेकिन थप्पड़ के कारण मेरी बेइज्जती हुई। मैं मानसिक तौर पर परेशान रहने लगा। मेरा करियर चौपट हो गया।
सात साल बाद सिर्फ सॉरी कहने से काम नहीं चलेगा। कोर्ट चाहता है इसलिए मैं बाहर मामला सुलझाने को तैयार हूं, लेकिन कोर्ट गोविंदा को मुआवजा देने का भी आदेश दे। मैं सिर्फ सॉरी नहीं चाहता।