फिल्म समीक्षा: दिलवाले
हवा में उड़ती गाड़ियां और गुदगुदाते संवाद यही तो कॉम्बिनेशन है निर्देशक रोहित शेट्टी की फ़िल्म का। अब ऐसे में सोचिए रोमांस किंग शाहरुख़ भी हों और शाहरुख के साथ काजोल भी हों। तब तो इस फ़िल्म में क्या कुछ देखने को मिल सकता है। लेकिन कई बार ज़्यादा मसाले भी खाने का स्वाद बिगाड़ देते हैं। और फ़िल्म में तो यंग जनरेशन की धड़कन वरुण और कृति भी हैं ... हम्म्मम कैसी होगी फ़िल्म। ज़्यादा मत सोचिए रिव्यू पढ़िए और फिर फैसला कीजिए ...
फ़िल्म का नाम: दिलवाले (रोमांस, एक्शन, कॉमेडी)
निर्माता: गौरी खान
निर्देशक: रोहित शेट्टी
संगीतकार: प्रीतम
कलाकार: शाहरुख खान, काजोल, कृति सैनन, वरुण धवन, वरुण शर्मा, बमन ईरानी, विनोद खन्ना, कबीर बेदी, संजय मिश्रा, जॉनी लीवर, मुकेश तिवारी, पंकज त्रिपाठी
रेटिंग: 3 (***)
रोहित शेट्टी और शाहरुख खान की जोड़ी की पिछली फ़िल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' काफ़ी सफल रही। इसी सफलता को दोहराने या यूं कहें कि उससे भी बड़ी सफलता पाने की नियत से ढ़ेर सारे कलाकारों के साथ यह फ़िल्म बनाने की कोशिश की गई है। सफलता या असफलता तो बॉक्स ऑफिस की रिपोर्ट ही बताएगी। फिलहाल इस फ़िल्म को दर्शक के नज़रिये की कसौटी पर कसते हैं।
कहानी
फ़िल्म शुरू होती है काली डॉन की इंट्री से। काली डॉन बने शाहरुख खान तकरीबन पंद्रह सालों पहले बुल्गारिया से गोवा आ जाते हैं। यहां अपने भाई वीर यानी वरुण धवन के साथ रहते हैं। बुल्गारिया से गोवा आने के घटनाक्रम पर ही यह पूरी फ़िल्म आधारित है। इसी घटनाक्रम में रोहित ने काजोल का इंट्रोडक्शन करवाया है।
फ़िल्म में शाहरुख के भाई बने वरुण को काजोल की बहन बननी कृति से इश्क़ जाता है हो। लेकिन इस फ़िल्म के स्वीट मोड में तीखा ट्विस्ट तब आता है, जब काजोल ग्रे शेड में नज़र आती हैं। अब ग्रे शेड की वजह जानने के लिए आपको फ़िल्म देखना पड़ेगा।
अभिनय
सभी की अदाकारी बेहतरीन रही। शाहरुख लवर बॉय से लेकर जिम्मेदार भाई की भूमिका में सहज दिखाई दिए। वहीं कई उतार-चढ़ाव से पार हुई काजोल का अभिनय भी उम्दा रहा। युवाओं में वरुण धवन, कृति सैनन की अदाकारी भी अच्छी रही। साथ ही विनोद खन्ना, कबीर बेदी, वरुण शर्मा, मुकेश तिवारी भी बेहद प्रभावी रहे। जहां तक हंसने हंसाने की बात करें, तो पंकज त्रिपाठी, जॉनी लीवर और संजय मिश्रा ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
बात करें निर्देशन की तो यह टिपिकल रोहित शेट्टी मूवी कही जाएगी। मनोरंजन से भरपूर फ़िल्म, जिसमें एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा, डांस और रोमांस सबकुछ है। रोहित के सिग्नेचर स्टाइल में गाड़ियां खूब दिखीं और फिकीं भी। लेकिन इस बार थोड़ी महंगी और लग्ज़री गाड़ियों का इस्तेमाल रोहित ने किया।
संगीत
अरसे बाद वापसी करने वाले प्रीतम ने संगीत अच्छा दिया है। इसके कई नंबर्स तो फ़िल्म रिलीज होने से पहले ही लोगों के जुबान पर तारी हो गए थे। इनमें 'मनमा इमोसन जागे', 'रंग दे तू मोहे गेरूआ' और 'टुकुर टुकुर' खास पसंद किए जा रहे हैं।
देखे या ना
अच्छी एडिटिंग की वजह से फ़िल्म फास्ट है। कमाल डायरेक्शन की वजह से बोर होने का समय नहीं मिलेगा। लेकिन जिन्हें फ़िल्मों मनोरंजन कम और लॉजिक खोजने की आदत हो, उन्हें खास पसंद नहीं आएगी। वरना तो यह फ़िल्म एंटरटेंनिंग है। काफ़ी समय बाद काजोल शाहरुख की कैमिस्ट्री देखना चाहते हैं, तो थिएटर का रुख करें।
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