फिल्म समीक्षा: साला खडूस
हॉकी से लेकर फुटबॉल तक के खेलों पर आधारित फिल्में रुपहले परदे पर आ चुकी हैं। इस बार बॉस्क्सिंग भी उतर आई। 'साला खडूस' एक ऐसे बॉक्सर की कहानी है, जो खेल में हो रही राजनीति का शिकार हो जाता है और मजबूरन उसे हरियाणा से चैन्नई जाना पड़ता है। कुछ 'मैरीकॉम' और थोड़ा सा 'चक दे इंडिया' को मिलाकर यह फिल्म बनाई गई है। लवर बॉय की छवि वाले आर माधवन का एक्शन अवतार के साथ बॉक्सर से एक्टर बनीं ऋतिका का अभिनय की रिंग में प्रदर्शन कैसा रहा, आइए करते हैं समीक्षा।
फिल्म का नाम: साला खडूस
निर्माताः राजकुमार हिरानी, आर। माधवन
निर्देशक: सुधा कोंगरा
कलाकार: आर माधवन, ऋतिका सिंह, जाकिर हुसैन, मुमताज सरकार
अवधि: 1 घंटा 49 मिनट
रेटिंग: 3.5 स्टार
जिन्होंने आर माधवन को 'थ्री इडियट्स', 'तनु वेड्स मनु' और `तनु वेड्स मनु रिटर्न्स 'मे देखा है, उनके लिए` साला खड़ूस' एक अलग अनुभूति हो सकती है। इस फिल्म में उनका किरदार बिल्कुल नए तरह का है और ये बताता है कि उनमें बतौर अभिनेता कितनी विविधता है।
'साला खड़ूस' में वे बॉक्सिंग कोच बने हैं। दबंग कोच का अवसाद उनके चेहरे पर बखूबी देखने को मिलेगा। 'साला खड़ूस' स्पोर्ट्स आधारित फिल्म है, जिसमें खेलों में हो रही राजनीति और भ्रष्टाचार पर आधारित है। खेल संघों की अंदरुनी राजनीति वास्तविक राजनीति से भी ज्यादा पेंचीदा है। अखबारों और चैनलों में इनकी कहानियां रोज ही आती हैं।
कहानी
साला खड़ूस 'की कहानी कुछ इस तरह है। इस फिल्म के मुख्य पात्र यानी आदि तोमर (आर माधवन) एक बेहतरीन बॉक्सर हैं और उम्दा कोच भी। लेकिन राजनीति के कारण उनको कोचिंग के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाए।
इसी बीच उन पर शोषण करने का आरोप लगा कर उन्हें चेन्नई ट्रांसफर कर दिया जाता है। बोर्ड उनको वहां से अच्छा बॉक्सर खोजने का काम भी देती है। यहां उनकी मुलाकात मधी (ऋतिका सिंह) नाम की मछुआरन से होती है, जो मुहम्मद अली की फैन है। आदि उसमें संभावनाएं देखता है और उसकी कोचिंग शुरू करता है।
लेकिन यहां भी कई अड़चने आती हैं। सबसे पहले तो मधी की बहन लक्स (मुमताज सरकार) ही उसके और अपनी बहन के खिलाफ साजिश रचती है। कई बार आदि और मधी इन जोलों में फंसते और निकलते रहते हैं। कहानी कई घुमावदार मोड़ लिए आगे बढ़ती है। लेकिन कुछ दृश्य बोझिल भी लगे।
पटकथा
जैसे अभी तक खेलों पर आधारित फिल्मों में एक कोच और खिलाड़ी की अहमियत को दिखाया गया है, इस फिल्म में भी वैसा ही है। एक कोच अपने शिष्य को ट्रेनिंग देता है। कहानी में कुछ नया तो नहीं है, लेकिन जज्बे से भरपूर है।
इस जज्बे को अलग-अलग सीक्वेंस में दर्शाया गया है। कहानी में रोमांटिक एंगल भी रखा गया है, जो समय समय पर फिल्म की रफ्तार को धीमा करता है लेकिन फिल्म का क्लामैक्स, स्पोर्ट बेस्ड फिल्मों के जैसे ही आपको तालियां बजाने के लिये विवश जरूर करता है। स्क्रिप्ट के हिसाब से किरदारों का चयन सही लगता है।
अभिनय
फिल्म में असल जिंदगी की बॉक्सर ऋतिका सिंह ने अच्छा और सराहनीय अभिनय किया है। पहली फिल्म होने के बावजूद ऋतिका ने सही प्रदर्शन किया है।
वहीं हरफनमौला आर माधवन एक बार फिर से अपने अभिनय के जरिये आपका दिल जीतने वाले हैं। कोच की भूमिका में माधवन ने उम्दा प्रदर्शन किया है। बाकी जाकिर हुसैन और मुमताज सरकार का भी सहज अभिनय है।
संगीत
फिल्म में रोमांटिक गीत के साथ-साथ जज्बे से भरा संगीत भी है। म्यूजिक डायरेक्टर संतोष नारायण ने पूरी फिल्म के गाने बहुत ही आराम से बनाए हैं, जो कहानी के साथ जाते हैं।
देखें या ना देखें
कहानी काफी प्रेडिक्टेबल है। कुछ नया देखने की उम्मीद से जा रहे हैं, तो न जाना ही बेहतर है। लेकिन यदि आप स्पोर्ट्स पर बनी फिल्मों के दीवाने हैं। तब यह फिल्म आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकती है। साथ यदि आपको आर माधवन पसंद हैं, तो यह 'मस्ट वॉच' मूवी है।
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