अमिताभ और शत्रुघ्न का शुरू हुआ 'दोस्ताना'
अभिनेता से राजनेता बने शत्रुघ्न सिन्हा की बॉयोग्राफी का मुंबई में लोकार्पण हुआ। इस मौक़े पर मुख्य अतिथि के रूप में अमिताभ बच्चन मौजूद थे। अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा के रिश्ते की तासीर नरम गरम सी ही रही है। एक ज़माने में दोनों जिगरी दोस्त हुआ करते थे, लेकिन एक दौर ऐसा भी आया, जब यह दोनों आमने सामने आने पर भी एक दूसरे से बात करना मुनासिब नहीं समझते थे। अब इस रिश्ते में एक बार और बदलाव देखने को मिल रहा है। शत्रु की जीवनी 'एनीथिंग बट ख़ामोश : द शत्रुघ्न सिन्हा' के मौक़े पर दोनों एक दूसरे से गले मिलते और मज़ाक करते नज़र आए।
मुंबई। मशहूर बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की जिंदगी के अनछुए पहलुओं को एक किताब की शक्ल दे दी गई है या ऐसा कहें कि उनकी बॉयोग्राफी लिखी गई है। उनकी बॉयोग्राफी 'एनीथिंग बट खामोश : द शत्रुघ्न सिन्हा ' को प्रसिद्ध स्तंभकार, आलोचक और लेखक भारती एस. प्रधान ने लिखा है। कार्यक्रम में पूनम सिन्हा और सोनाक्षी भी मौजूद थीं।
ईमानदार और मनोरंजक जीवनी
अपनी जीवनी को शत्रुघ्न ने ईमानदार बताया। उन्होंने कहा, 'मेरी जीवनी मनोरंजक और प्रभावशाली है, क्योंकि इसमें अच्छी बुरी हर तरह की चीजें हैं और इसमें नकारात्मक पहलू को भी ईमानदारी से बताया गया है। मेरा मानना है कि मेरी जीवनी सच्ची और पारदर्शी है'।
वे आगे कहते हैं कि लोग मेरे बारे में बहुत कुछ कहते हैं, जो मझे पसंद नहीं है, लेकिन इसमें कुछ भी छिपा नहीं है। इस देश में लोकतंत्र है और यहां सभी को बोलने का अधिकार है। शत्रुघ्न ने कहा, अमूमन जीवनियों में संबंधित व्यक्ति की प्रशंसा होती है, लेकिन मेरी जीवनी अलग है, इसलिए यह मनोरंजक और दिलचस्प है। प्रधान ने सात साल के शोध, 37 साक्षात्कार और सिन्हा परिवार के साथ 200 घंटों से भी ज्यादा समय की बातचीत के आधार पर यह जीवनी लिखी है।
जब अमिताभ ने खोली पोल
इस मौके पर अमिताभ बच्चन भी मौजूद थे और उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा की पोल खोलने का यह अवसर गंवाया भी नहीं। बिग बी ने कहा, 'कुछ आदतें पैदाइशी होती हैं, उन्हें बदलना नहीं चाहिए'। उन्होंने आगे बताया, 'उन दिनों हम लोग दो फिल्मों 'शान' (1980) और नसीब (1981) में साथ काम कर रहे थे। सुबह 7 से दोपहर 2 बजे तक 'शान' की शूटिंग फिल्मसिटी में होती थी। फिल्म के क्लाइमेक्स पर काम कर रहे थे। 7 से 2 बजे तक काम करने के बाद हमारी छुट्टी होती थी। मैं गाड़ी से चांदीवली स्टूडियो चला जाता था। ये (शत्रुघ्न) भी अपनी गाड़ी में बैठ चांदीवली निकलते थे। मैं ढाई बजे पहुंचता था और ये 6-7 बजे तक आते थे '। अमिताभ ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि पहुंचना एक ही जगह है, लेकिन ये कहां चले जाते थे? ये मैं आज इनसे जानना चाहूंगा। इस बात पर शत्रु भी कहां पीछे रहने वाले थे, उन्होंने भी झट से माइक संभाल लिया और कहा, 'इस पर शत्रु बोले, अब तो बड़ी देर कर दी मेहरबां आते-आते। अब बताकर क्या फायदा?'।
अटेंशन सीकर हैं शत्रुघ्न
इस अवसर पर अमिताभ बच्चन ने शत्रुघ्न पर एक और आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शत्रु लोगों को ओवर शेडो कर अटेंशन बटोरते हैं। शत्रुघ्न की अादत के बारे में महानायक ने 'बॉम्बे टू गोवा' (1972) से जुड़ा दिलचस्प किस्सा सुनाते हुए कहा, 'वे जहां भी रहें सबका अटेंशन बटोरते हैं। हमने 'बॉम्बे टू गोवा' में काम किया। फिल्म के एक सीन में, मैं अरुणा ईरानी के साथ स्वीमिंग पूल के किनारे शूटिंग कर रहा था। शत्रुघ्न के साथ डायलॉग खत्म हो गए थे और वे थोड़ी दूरी पर चले गए थे। तब मैं और अरुणा जी सीन्स दे रहे थे। डायलॉग के बीच एक सिगरेट के धुंए का छल्ला हमारे चेहरे के बीच आ गया। भाई साहब (शत्रुघ्न) पीछे बैठे थे और स्मोक रिंग छोड़ रहे थे। ताकि लोगों का ध्यान अरुणा जी और मुझमें न होकर उन पर जाए। लेकिन यह एक बहुत ही खूबसूरत क्वालिटी है'।
अमित - शत्रु की दोस्ती
अमिताभ बच्चन के बारे में शत्रुघ्न ने कहा, ‘मेरे दिल में अमित के लिए बेहद इज्जत है, वो मिलेनियम स्टार हैं। यदि हम दोस्त हैं, तो हमें लड़ने का भी हक है’। जब इस बारे में शत्रुघ्न से पूछा गया तो उन्होंने बताया, 'ये बातें सब कल की हैं'। अपने और बिग बी संबंध के बारे में कहते हैं कि कल मनमुटाव था, इसका मतलब ये नहीं कि आज मेरे दिल में कुछ खटास है। वो जवानी का जोश और स्टारडम का तकाजा था। अब आप यदि आज आप मुझसे पूछे तो मैं कहूंगा कि मेरे दिल में अमित (अमिताभ बच्चन) के लिए बेहद आदर है और मैं उन्हें पर्सनालिटी ऑफ द मिलेनियम मानता हूं।
किताब में है दोस्ती में दरार की वजह
बॉलीवुड कभी अमिताभ व शत्रु के दोस्ताना का गवाह रहा है। 70 के दशक में इस दोस्ती में दरार पड़ गई थी। दोस्ती दुश्मनी में कैसे बदली? इस सवाल का जवाब शॉटगन ने अपनी बायोग्राफी में दिया है। शॉटगन आज भी अमिताभ से दोस्ती टूटने को भूल नहीं पाए हैं।
शत्रुघ्न ने अपनी बॉयोग्राफी में लिखा है कि फिल्मों में जो शोहरत अमिताभ बच्चन चाहते थे, वो मुझे मिल रही थी। इससे अमिताभ परेशान होते थे। इसके चलते मैंने कई फिल्में छोड़ दी और साइनिंग अमाउंट तक लौटा दिए।
अपनी किताब में शत्रु लिखते हैं कि तब लोग कहते थे कि अमिताभ और मेरी ऑन स्क्रीन जोड़ी सुपरहिट है, लेकिन वो मेरे साथ काम नहीं करना चाहते थे। उनको लगता था कि 'नसीब', 'काला पत्थर', 'शान' और 'दोस्ताना' में शत्रुघ्न सिन्हा मुझ पर भारी पड़ गए, लेकिन इससे मुझे कभी फर्क नहीं पड़ा।
अपनी किताब में शत्रु लिखते हैं कि तब लोग कहते थे कि अमिताभ और मेरी ऑन स्क्रीन जोड़ी सुपरहिट है, लेकिन वो मेरे साथ काम नहीं करना चाहते थे। उनको लगता था कि 'नसीब', 'काला पत्थर', 'शान' और 'दोस्ताना' में शत्रुघ्न सिन्हा मुझ पर भारी पड़ गए, लेकिन इससे मुझे कभी फर्क नहीं पड़ा।
वे आगे लिखते हैं कि ‘काला पत्थर' के सेट पर कभी मुझे अमिताभ के बगल वाली कुर्सी ऑफर नहीं की गई। शूटिंग के बाद लोकेशन से होटल जाते हुए कभी अमिताभ ने मुझे अपनी कार में आने के लिए ऑफर नहीं दिया। मुझे ये देखकर आश्चर्य होता था कि आखिर ये क्यों हो रहा है। लेकिन मैंने कभी किसी बात को लेकर शिकायत नहीं की।
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