दिलीप कुमार चेक बाउंस मामले में हुए बरी
दिलीप कुमार को मुंबई की एक अदालत ने 18 साल पुराने चेक बाउंस के मामले में बरी कर दिया है। इस मामले में 94वर्षीय दिलीप कुमार सीधे अभियुक्त नहीं थे, बल्कि वे उस कंपनी के सीईओ और निदेशक थे, जिस पर चेक बांउस का आरोप था। चेक बाउंस के मामले में कुल चार लोगों पर मामला दर्ज था, जिनमें से दो लोगों को दोषी करार दिया गया है। तबियत ख़राब होने के बावजूद दिलीप कुमार अदालत में पेश हुए, इसकी जानकारी उनकी पत्नी सायरा बानो ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर के जरिए दी।
मुंबई। अभिनेता दिलीप कुमार 18 साल पुराने चेक बाउंस मामले में निर्दोष साबित हुए हैं। मंगलवार को मुंबई के गिरगांव में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने दिलीप कुमार सहित दो लोगों को बरी कर दिया।
इस मामले में कुल चार लोगों पर मामला दर्ज था, जिनमें से दो लोगों को दोषी करार दिया गया है। केस की सुनवाई के लिए तबियत ठीक न होने की वजह से दिलीप कुमार मंगलवार को कोर्ट में पेश नहीं हुए, इसलिए कोर्ट ने उनकी गैरमौजूदगी में ही फैसला सुनाया।
केस के बारे में सायरा ने किया ट्वीट
दिलीप कुमार की पत्नी और अभिनेत्री सायरा बानो ने दिलीप कुमार के अकाउंट से ट्वीट कर उनके केस के बारे में जानकारी दी थी। ट्वीट में सायरा ने लिखा था कि मुझे बहुत ही दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि 18 साल पुराने मामले की सुनवाई के लिए साहब को पेश होना है।
उनकी उम्र 94 साल है, इसके बावजूद उन्होंने कभी भी केस के स्थगित होने की कामना नहीं की। उन्होंने आगे लिखा कि उम्मीद करती हूं कि इस केस का जो भी परिणाम होगा उससे उनकी सेहत पर कोई बुरा असर ना पड़े। आपकी दुआ और प्रार्थना की उम्मीद करती हूं।
उनकी उम्र 94 साल है, इसके बावजूद उन्होंने कभी भी केस के स्थगित होने की कामना नहीं की। उन्होंने आगे लिखा कि उम्मीद करती हूं कि इस केस का जो भी परिणाम होगा उससे उनकी सेहत पर कोई बुरा असर ना पड़े। आपकी दुआ और प्रार्थना की उम्मीद करती हूं।
पूरा मामला
यह केस डेक्कन सीमेंट्स ने फाइल किया था। साल 1998 में दिलीप कुमार कोलकाता स्थित ट्रेडिंग कंपनी जीके एक्जिम इंडिया लिमिटेड में डायरेक्टर थे। उसी दौरान डेक्कन सीमेंट्स ने जीके में एक करोड़ रुपए का निवेश किया था।
जब निवेश चुकाने का समय आया, तो दिलीप कुमार की कंपनी ने दो चेक जारी किए, लेकिन वो बाउंस हो गए। चेक बाउंस होने का कारण अकाउंटेंट की एक छोटी भूल मानी जा रही थी, लेकिन इस मामले की ज़िम्मेदारी कंपनी के निदेशक यानी दिलीप कुमार पर भी आई।
जब निवेश चुकाने का समय आया, तो दिलीप कुमार की कंपनी ने दो चेक जारी किए, लेकिन वो बाउंस हो गए। चेक बाउंस होने का कारण अकाउंटेंट की एक छोटी भूल मानी जा रही थी, लेकिन इस मामले की ज़िम्मेदारी कंपनी के निदेशक यानी दिलीप कुमार पर भी आई।
स्मिता श्रॉफ नाम की महिला ने कंपनी और उसके 20 निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था जिसमें दिलीप कुमार उर्फ यूसुफ खान भी निदेशक थे। अदालत ने दिलीप कुमार के अलावा विमल कुमार राठी को भी बरी कर दिया।
कुमार के वकील ने अदालत में दलील दी कि शिकायती महिला यह साबित नहीं कर सकीं कि अभिनेता कुमार कंपनी के रोजाना के कामकाज में सक्रियता से शामिल थे।
कुमार के वकील ने अदालत में दलील दी कि शिकायती महिला यह साबित नहीं कर सकीं कि अभिनेता कुमार कंपनी के रोजाना के कामकाज में सक्रियता से शामिल थे।
वहीं अदालत ने कंपनी के दो निदेशकों एस सेतुरमन और गोपालकृष्ण राठी को दोषी करार दिया। फरियादी के मुताबिक उन्होंने कोलकाता की कंपनी में जून 1996 में 45 लाख रुपये का निवेश किया था और बदले में उन्हें 57.61 लाख रुपये मिलने की बात थी।
हालांकि जब कंपनी ने नवंबर 1997 में चेक जारी किया, तो यह बाउंस हो गया, जिसके बाद स्मिता ने शुरुआत में नोटिस भिजवाए और बाद में निगोशियेबिल इंस्ट्रूमेंट्स कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया।
हालांकि जब कंपनी ने नवंबर 1997 में चेक जारी किया, तो यह बाउंस हो गया, जिसके बाद स्मिता ने शुरुआत में नोटिस भिजवाए और बाद में निगोशियेबिल इंस्ट्रूमेंट्स कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया।
सायरा ने कहा 'थैंक्स कोर्ट'
आदेश के तुरंत बाद दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो ने ट्विटर पर लिखा कि वह इस बात से खुश हैं कि उनके पति को मामले में बरी कर दिया गया है। फैसले के लिए अदालत का शुक्रिया अदा करते हुए 71 वर्षीय अभिनेत्री ने लिखा, 'उन्होंने 18 साल तक इस अदालती मामले का सामना किया।
ऐसे में भी जबकि उनकी सेहत अच्छी नहीं है। मैं हमारे सभी शुभचिंतकों, दोस्तों, प्रशंसकों का शुक्रिया अदा करती हूं'। दिलीप कुमार को अधिक उम्र होने की वजह से मामले में निजी तौर पर पेश होने से छूट दी गई थी।
ऐसे में भी जबकि उनकी सेहत अच्छी नहीं है। मैं हमारे सभी शुभचिंतकों, दोस्तों, प्रशंसकों का शुक्रिया अदा करती हूं'। दिलीप कुमार को अधिक उम्र होने की वजह से मामले में निजी तौर पर पेश होने से छूट दी गई थी।
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