हेमा मालिनी ने ज़मीन विवाद पर दी सफाई
डांस अकादमी ज़मीन विवाद पर बीजेपी सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी ने आख़िरकार सफाई दे ही दे। हेमा ने अपनी सफाई में कहा कि मैंने यह ज़मीन सरकारी नियमों के तहत ही ली है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने खुलासा किया था कि महाराष्ट्र सरकार ने नियमों को ताक पर रख कर हेमा को कीमती ज़मीन को कोड़ियों के दाम आवंटित किया है। इस खुलासे के बाद राजनीतिक हलकों में नया विवाद शुरू हो गया था। क्या कुछ कहा हेमा ने आगे क्लिक कर के पढ़ें।
मुंबई। पिछले दिनों से डांस अकादमी के लिए मिली ज़मीन को लेकर विवादों में आई भाजपा सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी ने पूरे मामले में सफाई दी है। सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा कि यह ज़मीन उन्हें नियमों के तहत ही मिला है। ज़मीन आवंटित करने से पहले पूरी जांच पड़ताल भी की गई है।
हेमा ने कहा, "मैंने 20 साल तक इस ज़मीन के लिए संघर्ष किया है, तब जाकर मुझे यह मिली है। इस ज़मीन को पाने में मेरा कोई हाथ नहीं है। जिम्मेदार लोगों ने पूरी जांच पड़ताल करने के बाद ही मुझे यह ज़मीन सौंपी है "।
वे आगे कहती हैं, "कई ज़मीनें ऐसी होती हैं, जहां गार्डन के अलावा कोई संस्था खोली जा सकती है और यह ज़मीन भी उसी तरह की ही है। देश की संस्कृति को बढ़ावा देने की ज़रूरत है।
मेरे डांस इंस्टीट्यूट को लेकर मुंबई नहीं बल्कि पूरा महाराष्ट्र को गर्व महसूस होगा। मैं अब तक नियमों के तहत ही काम किया है और आगे भी वैसा ही करूंगी "।
ज़मीन की कीमत के बारे में हेमा ने कहा कि जब ज़मीन मेरे हाथ में आएगी, तो उसके बदले रुपया दूंगी। फिलहाल तो मेरे हाथ में ज़मीन ही नहीं आई है। साथ ही यह भी कहा कि चैरिटी के लिए यह ज़मीन ली गई है, तो इसकी क़ीमत मार्केट रेट से कम ही होगी।
हेमा ने यह भी कहा कि बाला साहेब ठाकरे ने ही मुझे ज़मीन देने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि डांस अकेडमी के लिए हेमा को ज़मीन दे दी जाए।
विवाद की शुरुआत
कुछ दिनों पहले एक आरटीआई कार्यकर्ता ने खुलासा किया था कि महाराष्ट्र सरकार ने फिल्म अभिनेत्री और भाजपा सांसद हेमा मालिनी के डांस अकादमी के लिए करोड़ों की ज़मीन 70000 रुपये में दे दी। इस खुलासे के बाद राजनीतिक हलकों में एक नया विवाद शुरू हो गया था।
दरअसल, आरटीआई कार्यकर्ता गलगली के मुताबिक मथुरा से सांसद हेमा को यह दूसरी बार मुंबई में ज़मीन सस्ते दामों पर देने का मामला सामने आया।
गौरतलब है कि एक महीने पहले महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय जनता पार्टी की सांसद हेमा मालिनी को डांस स्कूल खोलने के लिए पॉश उपनगरीय इलाके ओशिवारा में 2000 वर्ग मीटर की भूमि आवंटित की थी।
मधुरा में भी अकेडमी
वहीं जब हेमा मालिनी से यह पूछा गया कि वो मथुरा में क्यों कोई बड़ा डांस एकेडमी नहीं खोल रही हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, 'मैंने मुंबई में डांस अकेडमी खोलने के लिए कड़ी मेहनत की है।
20 सालों तक संघर्ष करने के बाद मुझे यह ज़मीन मिली है। मैं कई सालों से मुबंई में रह रही हूं, इसलिए यहां डांस अकेडमी खोलना मेरी प्राथमिकता है। इस अकेडमी का एक ब्रांच मथुरा के 'मुक्ताकाश' में भी खोला जाएगा।
पूरा मामला
साल 1997 में शिवसेना-भाजपा की गठबंधन सरकार के दौरान हेमा को एक भूमि आवंटित की गई थी, लेकिन वह ज़मीन चूंकि तटवर्ती नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) में आता था, इसलिए वह उस पर निर्माण नहीं करा सकीं।
जबकि गलगली का दावा है कि पहले अलॉट हुई ज़मीन को हेमा ने अब तक नहीं लौटाया और मौजूदा सरकार से दूसरी ज़मीन भी आवंटित करवा ली है।
आपको बता दें कि बीजेपी शासित महाराष्ट्र सरकार ने हेमा को अंधेरी (वेस्ट) के आंबिवली इलाके में 2 हजार वर्ग मीटर ज़मीन का अलॉट किया है।
यह अलॉटमेंट उस समय हुआ है, जब पूरी मुंबई में विभिन्न राजनीतिक संगठन से जुड़े एनजीओ को अलॉट ओपन स्पेस और मैदानों को मुंबई महानगर पालिका प्रशासन ने वापस लेने की मुहिम छेड़ी हुई है।
समझें ओपन स्पेस वापसी मुहिम
मुंबई एमएनसी ऐसे 216 ओपन स्पेस को वापस लेने की मुहिम चला रही है और 36 वापस ले भी लिए गए हैं। इसमें अधिकांश शिवसेना से जुड़े हुए लोगों के हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन ज़मीनों को वापस लेने की मांग बीजेपी के ही एमएलए नेताओं की ओर से हुई, जिसे सीएम फडणवीस ने मंजूरी भी दे दी।
चूंकि सीएम के ऑर्डर की वजह से शिवसेना के बड़े नेताओं की संस्थाओं पर मुंबई मनपा की ज़मीन वापस करने का दबाव बना है।
राजनीतिक पेंच
अब यह विवाद इतना बढ़ने की वजह शिवसेना से जुड़े लोगों की नाराजगी है। शिवसेना का कहना है कि एक तरफ महानगर पालिका हमसे ज़मीन वापस ले रही है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के बाहर की सांसद को कौड़ियों के भाव में ज़मीन अलॉट कर रही है।
इसलिए हेमा को 29360 वर्ग मीटर गार्डन (बगीचा) के लिए अलॉट जमीन में से 2 हजार वर्ग मीटर जमीन अलॉट करने का राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे का फैसला विवादित बन गया। वो भी तब जब हेमा को यह जमीन 1 फरवरी 1976 के रेडी रेकनर दर 35 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से दी है। यानी जो जमीन हेमा को अभी 70 हजार रुपए में दी जाने की बात कही जा रही है उसकी कीमत 21 करोड़ रुपए के आस-पास है।
बढ़ सकती हैं मुश्क़िलें
कहा जा रहा है कि यह विवाद और तूल पकड़ सकता है। कांग्रेस एमएलए गोपाल दास अग्रवाल की अध्यक्षता वाली महाराष्ट्र पीएसी ने सरकार से साल 2011 से अब तक शैक्षणिक व सामाजिक संस्थाओं और चेरिटेबल ट्रस्टों को अलॉट हुई ज़मीन की पूरी रिपोर्ट मांगी है।
राजस्व विभाग को यह भी बताने को कहा गया है कि इन संस्थाओं को किस दर से जमीन आवंटित की गई? साथ ही जिन शर्तों के तहत ज़मीनद दी गई है, संस्था उसका पालन कर रही है या नहीं। जिस काम के लिए ज़मीन ली गई थी, वहां वह काम हो रहा है या नहीं?
हेमा के लिए मुसीबत की बात यह है कि 1996 में साल शिवसेना-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्हें वर्सोवा के न्यू लिंकिंग रोड पर जो ज़मीन अलॉट हुई थी, उसे उन्होंने अभी तक लौटाया नहीं है। सूत्रों का कहना है कि कुछ शर्तों को भी ताक पर रखा गया है।