संजय दत्त की 'ख़ास' रिहाई
साल 1993 में हुए धमाकों के मामले में अवैध हथियार रखने के दोषी अभिनेता संजय दत्त 25 फरवरी को पुणे की यरवदा जेल से रिहा हो रहे हैं। हालांकि, उनकी रिहाई 8 महीने पहले हो रही है। संजय को 5 साल की सजा हुई थी। वह पहले ही 18 माह की सजा काट चुके थे। बची सजा के लिए 16 मई 2013 को वह जेल गए थे। जेल में रहने के दौरान संजय ने कैरी बैग बनाने से लेकर रेडियो जॉकी तक का काम किया और उनका मेहनताना 440 रूपए जुटा है, जिसे लेकर वो रिहा होंगे। उनकी रिहाई पर एक रेस्तारां मालिक ने गुरुवार को 'चिकन संजू बाबा' डिश मुफ़्त में खिलाने का ऐलान किया है।
मुंबई। अवैध हथियार रखने के मामले में बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त अपनी सजा पूरी करने के बाद 25 फरवरी को पुणे की यरवदा जेल से रिहा हो रहे हैं। इसे लेकर अभिनेता के फैन्स में खुशी की लहर है। यहां तक कि एक रेस्तारां मालिक ने गुरुवार को 'चिकन संजू बाबा' डिश मुफ़्त में खिलाने का ऐलान भी किया है।
ग़ौरतलब है कि उनकी रिहाई 8 महीने पहले हो रही है। संजय को 5 साल की सजा हुई थी। वह पहले ही 18 माह की सजा काट चुके थे। बची सजा के लिए 16 मई 2013 को वह जेल गए थे। संजू बाबा की रिहाई के दौरान अगवानी के लिए पत्नी मान्यता और दोनों बच्चे यरवदा जाएंगे। इसके अलावा संजय के दो डायरेक्टर दोस्तों के भी आने की खबर है।
त्रिशाला भी आएंगी
इस ख़ास मौक़े पर संजय की बड़ी बेटी त्रिशाला (पहली पत्नी रिचा शर्मा की बेटी) पिता से मिलने न्यूयॉर्क से आ रहीं हैं। 27 साल की त्रिशाला का जन्म साल 1988 में हुआ था। मां रिचा शर्मा के निधन के बाद उनके नाना-नानी उन्हें अपने साथ अमेरिका ले गए थे, जहां उनकी परवरिश हुई।
हालांकि, त्रिशाला ने अपने पिता संजय के साथ ज्यादा समय नहीं बिताया, लेकिन वो उनके बेहद करीब हैं। बचपन में त्रिशाला काफी मोटी हुआ करती थी, लेकिन अब उन्होंने काफी वेट लूज कर लिया है। उन्हें कई बॉलीवुड फिल्मों के प्रस्ताव भी मिले, लेकिन उन्होंने फिल्मों में काम करने से मना कर दिया। फिलहाल वो न्यूयॉर्क में ही रहती हैं।
हालांकि, त्रिशाला ने अपने पिता संजय के साथ ज्यादा समय नहीं बिताया, लेकिन वो उनके बेहद करीब हैं। बचपन में त्रिशाला काफी मोटी हुआ करती थी, लेकिन अब उन्होंने काफी वेट लूज कर लिया है। उन्हें कई बॉलीवुड फिल्मों के प्रस्ताव भी मिले, लेकिन उन्होंने फिल्मों में काम करने से मना कर दिया। फिलहाल वो न्यूयॉर्क में ही रहती हैं।
मुफ़्त बंटेगा 'चिकन संजू बाबा'
अभिनेता संजय दत्त की रिहाई की ख़बर पर उनके फैन्स काफी खुश हैं। मुंबई के भिंडी बाजार में एक रेस्तरां के मालिक और संजय के बड़े प्रशंसक ने सोमवार को घोषणा की थी कि जिस दिन वह रिहा होंगे, उस दिन वह फैन्स को मुफ्त 'चिकन संजू बाबा' खिलाएंगे।
संजय ने भिंडी बाजार के नूर मोहम्मदी रेस्तरां के मालिक खालिद हाकिम को चिकन की अपनी एक रेसिपी बताई थी। यह काफी लजीज था इसलिए खालिद ने इसे 'चिकन संजू बाबा' नाम दिया है। रेस्तरां में चिकन संजूबाबा की काफी मांग रहती है। पार्सल से भी यह खूब बिकता है।
संजय भी अपने घर इसे मंगाते हैं। खालिद इस बात से खुश हैं कि सजा पूरी होने से पहले ही उनके पसंदीदा अभिनेता रिहा हो रहे हैं। खालिद हाकिम के अनुसार, ' हर रोज 70 रुपए में मिलनेवाली यह डिश गुरुवार दोपहर 12 से रात 12 बजे तक मुफ्त में मिलेगी'।
संजय भी अपने घर इसे मंगाते हैं। खालिद इस बात से खुश हैं कि सजा पूरी होने से पहले ही उनके पसंदीदा अभिनेता रिहा हो रहे हैं। खालिद हाकिम के अनुसार, ' हर रोज 70 रुपए में मिलनेवाली यह डिश गुरुवार दोपहर 12 से रात 12 बजे तक मुफ्त में मिलेगी'।
440 रुपये लेकर रिहा होंगे संजय
जेल में सजा के दौरान संजय ने मेहनत करके जितना भी कमाया था, उसमें से वे महज 440 रुपए ही बचा पाए हैं। गुरुवार को संजय की रिहाई के समय 440रुपए जेल प्रशासन वह रकम उन्हें सौंप देगा।
आपको बता दें कि संजय दत्त को जेल में कागज के कैरी बैग बनाने का काम सौंपा गया, जिसके लिए उन्हें उसे रोज 50 पैसे मिलते हैं। कड़ी मशक्कत करके उन्हें महीने के 15 रुपए ही मिल पाते है।
कैरी बैग बनाने के अलावा वो रेडियो जॉकी (आरजे) का भी काम करते हैं। संजय रोज सुबह करीब साढ़े पांच बजे उठने के बाद अन्य कैदियों के साथ करते हैं, उसके बाद अपनी आरजे की ड्यूटी पूरी करते हैं।
आपको बता दें कि संजय दत्त को जेल में कागज के कैरी बैग बनाने का काम सौंपा गया, जिसके लिए उन्हें उसे रोज 50 पैसे मिलते हैं। कड़ी मशक्कत करके उन्हें महीने के 15 रुपए ही मिल पाते है।
कैरी बैग बनाने के अलावा वो रेडियो जॉकी (आरजे) का भी काम करते हैं। संजय रोज सुबह करीब साढ़े पांच बजे उठने के बाद अन्य कैदियों के साथ करते हैं, उसके बाद अपनी आरजे की ड्यूटी पूरी करते हैं।
संजय अभिनेता हैं और उनकी बोलने की शैली अलग होने के कारण ही उन्हें रेडियो जॉकी बनाया गया था। संजय अपने रेडियो जॉकी की भूमिका को बहुत एन्जॉय भी करते हैं।
वह रोज कैदियों को बताते हैं कि अगला गाना कौन सा बजने वाला है और उस गाने के साथ फिल्म की जानकारी भी दिलचस्प तरीक़े से देते हैं। जेल में अलग-अलग फिल्मों के गानों की सीडी ऑन कर दी जाती है। सारे कैदी इन गानों के बीच फिर झूमने लगते हैं। यह सिलसिला 25 फरवरी तक चलता रहेगा।
वह रोज कैदियों को बताते हैं कि अगला गाना कौन सा बजने वाला है और उस गाने के साथ फिल्म की जानकारी भी दिलचस्प तरीक़े से देते हैं। जेल में अलग-अलग फिल्मों के गानों की सीडी ऑन कर दी जाती है। सारे कैदी इन गानों के बीच फिर झूमने लगते हैं। यह सिलसिला 25 फरवरी तक चलता रहेगा।
दिन तीन पर संजय रेडियो जॉकी बनते हैं और बाकी का समय कैरी बैग बनाते हैं और ब्रेक-फास्ट व लंच का ब्रेक लेते हैं। शाम पांच बजे जब वह वापस बैरक चले जाते हैं और फिर वहां से निकलने की कोई छूट नहीं दी जाती है।
संजय का डिनर बैरक में ही दिया जाता है, जहां उनके साथ दो से तीन कैदियों को ही रखा गया है। संजय की दिनचर्या उनकी रिहाई तक ऐसी ही रहेगी। जेल से बाहर आने की खुशी में संजय बीते कुछ दिनों से ठीक से सो नहीं पा रहे हैं।
संजय का डिनर बैरक में ही दिया जाता है, जहां उनके साथ दो से तीन कैदियों को ही रखा गया है। संजय की दिनचर्या उनकी रिहाई तक ऐसी ही रहेगी। जेल से बाहर आने की खुशी में संजय बीते कुछ दिनों से ठीक से सो नहीं पा रहे हैं।
सजा हुई कम
संजय दत्त को 1993 के मुंबई ब्लास्ट में टाडा कोर्ट ने छह साल की सजा सुनाई थी। पर इस सजा के फैसले से पहले वह 18 महीने जेल में काट चुके थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सजा घटाकर पांच साल कर दी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें उसे कायदे से (18 महीने घटाकर) 42 महीने की सजा काटनी चाहिए थी, लेकिन जेल में सजा की जो परिभाषा है, वह अलग है।
जेल सजा की परिभाषा के अनुसार हर कैदी (कनविक्ट आरोपी) की हर 30 दिन में 7 दिन की सजा अपने आप माफ हो जाती है। इस तरह हर साल संजय की 84 दिन की सजा ऐसे ही माफ हो गई।
यदि कैदी का आचरण अच्छा हुआ, तो उसकी इस वजह से हर साल 30 दिन और सजा कम हो जाती है। संजय के खिलाफ खराब आचरण की कोई शिकायत आई नहीं, इसलिए यदि 30 को 84 से जोड़ा जाए, तो संजय की सजा हर साल 114 दिन अपने आप कम होती गई।
इस दौरान वह पैरोल व फर्लो पर भी कई बार जेल से बाहर आए, इसलिए यदि कुल हिसाब लगाया जाए, तो संजय दत्त पांच साल की नहीं, हकीकत में सिर्फ साढ़े तीन साल की सजा काटकर गुरुवार को जेल से बाहर आ रहे हैं। यानी डेढ़ साल की सजा अच्छे आचरण से माफ हो गई।
जेल सजा की परिभाषा के अनुसार हर कैदी (कनविक्ट आरोपी) की हर 30 दिन में 7 दिन की सजा अपने आप माफ हो जाती है। इस तरह हर साल संजय की 84 दिन की सजा ऐसे ही माफ हो गई।
यदि कैदी का आचरण अच्छा हुआ, तो उसकी इस वजह से हर साल 30 दिन और सजा कम हो जाती है। संजय के खिलाफ खराब आचरण की कोई शिकायत आई नहीं, इसलिए यदि 30 को 84 से जोड़ा जाए, तो संजय की सजा हर साल 114 दिन अपने आप कम होती गई।
इस दौरान वह पैरोल व फर्लो पर भी कई बार जेल से बाहर आए, इसलिए यदि कुल हिसाब लगाया जाए, तो संजय दत्त पांच साल की नहीं, हकीकत में सिर्फ साढ़े तीन साल की सजा काटकर गुरुवार को जेल से बाहर आ रहे हैं। यानी डेढ़ साल की सजा अच्छे आचरण से माफ हो गई।