जन्मदिन मुबारक 'अनुपम' कलाकार
फिल्म 'डैडी', 'सारांश' में भावपूर्ण अभिनय हो या फिर 'कर्मा' में एक क्रूर खलनायक या फिर 'रामलखन', 'लम्हे' जैसी फिल्मों में हास्य अभिनय इन सभी को बखूबी निभा जाने वाले कलाकार का नाम है अनुपम खेर। ये उन गिने चुने अभिनेताओं में शुमार किए जाते हैं, जिन्होंने लगभग तीन दशक से अपने दमदार अभिनय से सिने दर्शकों के दिल में एक खास मुकाम बना रखा है। उनके जन्मदिन के खास मौके पर आइए एक नजर डालते हैं अनुपम की खास बातों पर...
मुंबई। बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकारों में से एक हैं अनुपम खेर । परदे पर गंभीर से लेकर हास्य किरदारों को बखूबी निभाया है। अनुपम का जन्म 7 मार्च को शिमला में हुआ था। बचपन से ही उनकी ख्वाहिश अभिनेता बनने की थी। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुपम खेर ने 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' में दाखिला ले लिया । वर्ष 1978 में नेशनल स्कूल से अभिनय की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह रंगमंच से जुड़ गए।
अपने बपचन के दिनों को याद करते हुए एक साक्षात्कार में अनुपम खेर ने कहा था कि पिता जी की सैलरी बहुत कम थी। आर्थिक तंगी की वजह से मां के गहने तक बेचने पड़ गए थे।
करियर की गाड़ी
80 के दशक में अभिनेता बनने का सपना लिए अनुपम ने मुंबई में कदम रखा। बतौर अभिनेता उन्हें साल 1982 में प्रदर्शित फिल्म 'आगमन' में काम करने का मौका मिला, लेकिन फिल्म असफल रही। इसके बाद वो फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के संघर्ष में लग गए।
तब हालात इनते बद्तर होते चले गए कि उनके पास रहने तो क्या कई बार खाने तक को पैसे जुटाना मुश्किल हो जाता था। इसके बाद आया साल 1984। इसी साल महेश भट्ट की फिल्म 'सारांश' में अनुपम खेर को में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में उन्होंने एक वृद्ध पिता की भूमिका निभाई, जिसके पुत्र की असमय मृत्यु हो जाती है।
साठ साल के बुजुर्ग की भूमिका निभाने वाले अनुपम उस वक्त महज अठाइस साल के थे। अपने इस किरदार को अनुपम खेर ने संजीदगी के साथ निभाकर दर्शकों का दिल जीत लिया साथ ही सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किये गए।
कई बार तो वे खुद ही इस बात मज़ाक उड़ाकर कहते हैं कि अठाइस-उन्नतीस की उम्र में मैंने साठ साल के बुजुर्ग की भूमिका निभाई थी, किसी में वो हिम्मत है। खैर, आपको बता दें कि 'सारांश' के लिए पहली पसंद संजीव कुमार थे।
फिर साल 1986 में सुभाष घई की फिल्म 'कर्मा' में बतौर 'खलनायक' काम कर अनुपम अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे। फिल्म की सफलता के बाद बतौर 'खलनायक' वह अपनी पहचान बनाने में सफल रहे।
अपने अभिनय मे आई एकरूपता को बदलने और खुद को चरित्र अभिनेता के रूप में भी स्थापित करने के लिए अनुपम खेर ने अपनी भूमिकाओं में परिवर्तन करना शुरू किया। साल 1989 मे प्रदर्शित सुभाष घई की सुपरहिट फिल्म 'राम लखन' में उन्होंने फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के पिता की भूमिका निभाई। फिल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
हास्य किरदार के बाद फिर एक बार भावपूर्ण अभिनय की तरफ मुड़े। साल 1989 में अनुपम खेर के करियर की एक और अहम फिल्म 'डैडी' प्रदर्शित हुई। फिल्म में अपने भावुक किरदार को अनुपम खेर ने सधे हुए अंदाज में निभाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अपने दमदार अभिनय के लिए वह फिल्म फेयर समीक्षक पुरस्कार और राष्ट्रीय पुरस्कार के स्पेशल ज्यूरी पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
साल 2003 में प्रदर्शित फिल्म 'ओम जय जगदीश' के जरिये अनुपम ने फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रख दिया। हालांकि फिल्म विफल साबित हुई। इसके बाद साल 2005 में अनुपम खेर ने फिल्म 'मैंने गांधी को नहीं मारा' का निर्माण किया। इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें कराची इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अनुपम ने कई हॉलीवुड फिल्मों में भी अपने अभिनय का जौहर दिखाया है। साल 2000 के दशक में अनुपम ने दर्शकों की पसंद को देखते हुए छोटे पर्दे का भी रुख किया और 'से ना सम्थिंग टु अनुपम अंकल' और 'सवाल दस करोड़ का' बतौर होस्ट काम कर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। अनुपम खेर अभी भी स्टेज से जुड़े हैं और उसे ही अपना पहला प्रेम मानते हैं! उन्होंने तीन दशक के अपने लंबे करियर में लगभग 350 फिल्मों में काम किया है।
अवॉर्ड रिवॉर्ड
अनुपम अपने सिने करियर में आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद अनुपम नेशनल सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष भी बने। इसके अलावे उन्होंने 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' में बतौर निदेशक साल 2001 से साल 2004 तक काम किया।
फिल्म क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए अनुपम खेर को 'पद्मश्री' और 'पद्म भूषण' से भी सम्मानित किया गया। अनुपम खेर ने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में लगभग 350 फिल्मों में काम किया। अनुपम खेर आज भी जोश-ओ-खरोश के साथ फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।
किरण से शादी
किरण से अनुपम खेर ने साल 1985 में शादी की थी। किरण भी एक अभिनेत्री थीं और दोनों की मुलाकात पंजाब यूनिवर्सिटी में हुई थी। किरण अनुपम से सीनीयर थी और दोनों की अच्छी दोस्ती भी थी।
किरण खेर पहले से शादीशुदा थी, लेकिन अपने विवाहित जीवन से परेशान थी। बाद में उनकी परेशानी इतनी बढ़ी कि उन्होंने अपने पति से तलाक ले लिया। बाद में उन्होंने अनुपम खेर से शादी कर ली।
शादी के समय किरण एक बेटे की मां थीं। अब वो अनुपम और किरण के बेटे सिकंदर खेर के नाम से जाने जाते हैं। अनुपम अभिनय के साथ साथ मिमिक्री भी करते हैं. खास तौर पर वो विदेशियों की मिमिक्री बखूबी करते हैं।
अनुपम बताते हैं कि किरण उनको और सतीश कौशिक को मिमिक्री के लिए अपने घर बुलाया करती थी और दोनों को आने जाने के पैसे भी दिया करती थीं। एक्स्ट्रा कमाई के लिए अनुपम और सतीश किरण के घर पैदल जाया करते थे और आने जाने के पैसे बचा लिया करते थे।