फिल्म समीक्षा : कपूर एंड संस
करण जौहर की फिल्मों में रोना-धोना तो चलता है, लेकिन गरीबी, शोषण, त्रासदी जैसे एलीमेंट नहीं दिखाई देते है। धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म को चाहे करण निर्देशित करें या कोई और डायरेक्ट करे। भव्य पारिवारिक फिल्मों के अलावा नई पीढ़ी की फास्ट-फूड सरीखी रोमांटिक फिल्में बनाने का श्रेय भी करण को जाता है। ये एलीमेंट नज़र आएंगे ही। इसी कड़ी की एक और फिल्म 'कपूर एंड संस' की आइए करते हैं समीक्षा।
फिल्म 'कपूर एंड संस'
निर्माता : हीरू यश जौहर, करण जौहर, अपूर्व मेहता
निर्देशक : शकुन बत्रा
कलाकार : सिद्धार्थ मल्होत्रा, आलिया भट्ट, फवाद खान, ऋषि कपूर, रजत कपूर, रत्ना पाठक
संगीत : अमाल मलिक, बादशाह, आकरो, तनिष्क बागची, बेनी दयाल, न्यूक्लिया
कहानी : शकुन बत्रा, आयशा देवित्री ढिल्लन
गीत : बादशाह, डॉ. देवेन्द्र काफिर, अभिरुचि चंद, मनोज मुंतशिर, कुमार, प्रदीप
जॉनर : फैमिली ड्रामा
रेटिंग 3 स्टार
धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले बनी फिल्म 'कपूर एंड संस' को शकुन बत्रा ने निर्देशित किया है। इसमें आलिया भट्ट, सिद्धार्थ मल्होत्रा, फवाद खान जैसे नए सितारों के साथ ऋषि कपूर, रजत कपूर और रत्ना पाठक जैसे मझे हुए कलाकार भी हैं। इस फैमिली ड्रामा फिल्म में करण जौहर के मसाले साफ नज़र आते हैं। फिल्म की बुनावट में कसावट भी है, लेकिन कहीं कहीं निर्देशन की डोर छूटती सी नजर आती है।
कहानी
फिल्म की कहानी खासकर राहुल कपूर (फवाद खान) और अर्जुन कपूर (सिद्धार्थ मल्होत्रा) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक ऐसे परिवार से हैं, जहां सभी सदस्य एक दूसरे से लड़ते नज़र आते हैं। इसी परिवार में 90 साल बुजुर्ग अमरजीत कपूर (ऋषि कपूर) भी हैं। परिवार के मुखिया अमरजीत की अंतिम इच्छा रहती है कि एक फैमिली फोटो हो और उसके नीचे 'कपूर एंड संस सिंस 1921' लिखा हो।
अमरजीत कपूर अपने बेटे हर्ष कपूर (रजत कपूर) और बहू सुनीता कपूर (रत्ना पाठक) के साथ रहते हैं, जबकि उनके दोनों पोते राहुल (फवाद खान) और अर्जुन (सिद्धार्थ मल्होत्रा) काम के चलते विदेश में रहते हैं। अचानक एक दिन दादाजी को हार्ट अटैक आ जाता है। इस ख़बर के मिलते ही दोनों पोते भारत वापस आ जाते हैं। सालों बाद दोनों दोनों भाई अर्जुन और राहुल मिलते हैं, लेकिन फिर भी दोनों खुश नहीं लगते। अर्जुन को लगता है कि उसके माता-पिता उससे ज्यादा उनके भाई को पसंद करते हैं, क्योंकि वो अपने करियर में कामयाब नहीं है और उसका भाई राहुल एक अच्छा नॉवेलिस्ट है।
तभी आती हैं टीया (आलिया भट्ट)। टीया एक पार्टी में अर्जुन से मिलती है। दोनों अच्छे दोस्त बन जाते हैं। इसके बाद टीया की मुलाकात राहुल से भी होती है और दोनों में अच्छा कनेक्शन बन जाता है। इस परिवार के सभी सदस्य अपने मन में किसी न किसी बात को छुपाए रहते हैं, लेकिन एक दिन अचानक ही बातों की गिरह खुल जाती है और सब एक दूसरे से दुखी हो जाते हैं।
अभिनय
आलिया भट्ट, सिद्धार्थ मल्होत्रा और फवाद खान अपने-अपने किरदारों में एकदम सही बैठे हैं। वहीं, ऋषि कपूर, रत्ना पाठक और रजत कपूर ने भी अपने किरदारों बहुत अच्छी तरह निभाया है। अभिनय की कसौटी पर फिल्म में कोई कमी नहीं नज़र आती है।
निर्देशन
पटकथा तो अच्छी लिखी गई है। कहानी में कई ट्विस्ट डाले गए हैं, जो दर्शकों को शुरू से आखिर तक बांधे रखते हैं। शकुन बत्रा ने एक ही छत के नीचे रहने के बावजूद परिवार के बीच होने वाली खटपट को बखूबी दिखाया है। इसके अलावा, उन्होंने फिल्म में रोमांटिक, मजाकिया और भावुक पलों को बेहतरीन तरीक़े से गूंथा है। निर्देशन में काफी कसावट है, लेकिन कुछ और सीन्स को छोटा किया जा सकता था। बहरहाल, कुल मिलाकार अच्छी फिल्म है। दर्शक निराश नहीं होंगे।
संगीत
फिल्म का संगीत अच्छा है। 'कर गई चुल' फिल्म की रिलीज के पहले ही टॉप लिस्ट में जगह बना चुका था। वहीं 'बोलना', 'बुद्धू सा मन', 'ओ साथी मेरे' और 'लेट्स नाचो' ने भी लोगों को खूब लुभाया है।
ख़ास बात
यदि आप कई दिनों से एक अच्छी फैमिली ड्रामा फिल्म का इंतजार कर रहे थे, तो 'कपूर एंड संस' आपके लिए अच्छी ट्रीट है। इस फिल्म की अच्छी बात यह है कि यह एक मॉडर्न फैमिली ड्रामा है, जो लंबे समय बाद पर्दे में ढाला गया है।
शकुन बत्रा ने आज के जमाने के परिवार को दिखाने की कोशिश की है, जिसमें वो कुछ हद तक कामयाब भी हुए हैं। उन्होंने दिखाया है कि कैसे आज के दौर में एक भाई अपने दूसरे भाई की ख़ुशी के लिए अपना प्यार अपना कॅरियर कुर्बान नहीं करता, जैसे पुराने जमाने की फिल्मों में हुआ करता था। आज लोग अपने हक के लिए लड़ते हैं।
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