फिल्म समीक्षा : रमन राघव 2.0

एक बार फिर अनुराग कश्यप ने निर्देशक की कुर्सी संभाली है। इस बार वो 60 के दशक में मुंबई के एक साइको किलर 'रमन' की कहानी लेकर आए हैं। हालांकि, उनकी पिछली फिल्म 'बॉम्बे वेलवेट' भी साठ के दशक पर ही आधारित थी। लेकिन बड़े बजट की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी। अब इस बार अनुराग की इस कम बजट वाली फिल्म का रिव्यू करते हैं...

फिल्म 'रमन राघन 2.0' के डायरेक्टर अनुराग कश्यप और कलाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी, विकी कौशल, विपिन शर्मा, सोभिता धुलिपाला, अमृता सुभाष हैं
फिल्म : रमन राघव 2.0
निर्माता : रिलायंस एंटरटेनमेंट, फैंटम फिल्म्स
निर्देशक : अनुराग कश्यप
कलाकार : नवाजुद्दीन सिद्दीकी, विकी कौशल, विपिन शर्मा, सोभिता धुलिपाला, अमृता सुभाष
संगीतकार : राम सम्पत
जॉनर : क्राइम थ्रिलर
अवधि: 2 घंटा 20 मिनट
सर्टिफिकेट: A
रेटिंग: 2/5


60 के दशक में मुंबई में एक साइको किलर पर बनी अनुराग कश्यप की फिल्म 'रमन राघन 2.0' इस शुक्रवार रिलीज़ हुई। वैसे. इस साइको किलर पर साल 1991 में डायरेक्टर श्रीराम राघवन एक डॉक्यूमेंट्री भी बना चुके हैं।

कहानी

कहानी मशहूर साइको किलर रमन (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की है, जो तरह तरह से लोगों का मर्डर करता था। कभी किसी मास्टर का, कभी अपने घर वालों का तो कभी सूद पर पैसे देने वाले का मार देता था। हर मर्डर की शिनाख्त करने का काम पुलिस इंस्पेक्टर राघव सिंह उब्बी (विकी कौशल) करता है।

राघव भी स्वभाव से काफी जटिल व्यक्तित्व का इंस्पेक्टर है। फिल्म में रमन की बहन (अमृता सुभाष ) बनी हैं। साथ ही समृतिका नायडू यानी सिम्मी (सभ्यता धुलिपाला ) का भी एक अहम किरदार है। रमन का कत्ल करने के पीछे का क्या मकसद होता है, वो सबसे आखिर में पता चलता है।

पटकथा-निर्देशन

फिल्म की कहानी एक साइको किलर के मानसिक स्थिति के हिसाब से लिखी गई है। एक किलर हर किलिंग से पहले क्या सोचता है, इसे स्क्रिप्ट में उतारने की कोशिश तो की है, लेकिन वो नाकाम सी नजर आती है। फिल्म की पटकथा कमजोर और लम्बाई काफी ज्यादा है।

एक वक्त के बाद यह लगने लगता है कि यह फिल्म कब खत्म होगी। हालांकि कभी-कभी नवाजुद्दीन की मौजूदगी फिल्म में मनोरंजन ले आती है, लेकिन वो भी स्क्रीनप्ले के हिसाब से फीकी ही पड़ जाती है। 

फिल्म का निर्देशन एकदम अनुराग कश्यप स्टाइल है, जिसे देखते हुए 'ब्लैक फ्राइडे' की याद आती है, क्योंकि इसमें भी चेप्टर के हिसाब से अलग अलग घटनाएं घटती हुई दिखाई देती है।

कुल मिलाकर 8 चेप्टर में पिक्चराइजेशन किया गया है। इस लंबी फिल्म को छोटा किया जा सकता था। साथ ही 'बॉम्बे वेलवेट' के बाद लगा कि शायद अनुराग इस बार पटकथा का ख्याल रखेंगे, लेकिन इस बार भी कहानी फैली हुई दिखती है।

अभिनय

एक बार फिर से नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपना बेस्ट दिया है। उन्होंने सीरियल किलर की मानसिकता को बखूबी निभाया है। विकी कौशल ने पुलिस के रूप में ठीक काम किया है जो कि और भी बेहतर हो सकता था। नवाजुद्दीन की बहन के किरदार में एक्ट्रेस अमृता सुभाष ने लाजवाब काम किया है। वहीं सोभिता धुलिपाला का काम भी अच्छा है।

संगीत

फिल्म का संगीत राम सम्पत ने दिया है। बैकग्राउंड स्कोर भी कहानी के साथ-साथ सटीक जाता है। 'बेहूदा' और 'कत्ल ए आम' गाने अच्छे हैं।

ख़ास बात

यदि आप नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्मों के फैन हैं, तो एक बार जरूर देख सकते हैं। फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी स्पीड और कहानी है, जिसे बेहतर किया जा सकता था। एडिटिंग पर और भी ज्यादा ध्यान देते तो फिल्म किसी और लेवल पर दिखाई पड़ती और ज्यादा प्रभावित करती।

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