‘बालिका वधू’ को न भूल पाएंगे
छोटे परदे पर लगभग आठ साल तक परचम लहराने के बाद 'बालिक वधू' गिरती टीआरपी के चलते ऑफ एयर होने जा रहा है। ये धारावाहिक टेलीविज़न की दुनिया में एक नई और ताजी बयार लेकर आया। सास-बहू और साजिशों से भरे धारावाहिकों के बीच सामाजिक सरोकार लेकर आया। इसे दर्शकों का भरपूर प्यार भी मिला, तभी तो इस धारावाहिक ने अपना नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज करवाया। इसकी आखिरी शूटिंग 22 जुलाई को होगी और अंतिम एपीसोड 31 जुलाई को प्रसारित किया जाएगा। भले ही यह धारावाहिक बंद हो रहा हो, लेकिन दर्शकों के ज़ेहन में यह धारावाहिक और इसके किरदार हमेशा ज़िंदा रहेंगे।
मुंबई। दादी सा, आनंदी, जगिया, शिव, निंबोली, गहना और न जाने कितने किरदारों से भरा धारावाहिक अब अपने अंतिम पड़ाव पर आ पहुंचा है। आठ सालों में इस धारावाहिक ने कई मोड़ लिए, कई किरदार आए और कई विदा भी हुए।
बदलाव की इस प्रक्रिया में धारावाहिक पूरी तरह से नए किरदारों और चेहरों से भर गया। लेकिन दर्शकों को शायद यह किरदार और बदलाव उतने न लुभा पाए, जितने पिछले किरदारों ने मोह लिया था। फिर भी कुछ दर्शक इस से अभी भी बंधे हुए हैं। उन्हें इसके ऑफ एयर होने का दुख है, लेकिन वो यह भी कह जाते हैं कि ऑफ एयर होने से किरदार और धारावाहिक तो नहीं मरते। यानी दर्शकों के ज़ेहन में ज़िंदा रहेगी 'बालिक वधू'।
बदलाव की इस प्रक्रिया में धारावाहिक पूरी तरह से नए किरदारों और चेहरों से भर गया। लेकिन दर्शकों को शायद यह किरदार और बदलाव उतने न लुभा पाए, जितने पिछले किरदारों ने मोह लिया था। फिर भी कुछ दर्शक इस से अभी भी बंधे हुए हैं। उन्हें इसके ऑफ एयर होने का दुख है, लेकिन वो यह भी कह जाते हैं कि ऑफ एयर होने से किरदार और धारावाहिक तो नहीं मरते। यानी दर्शकों के ज़ेहन में ज़िंदा रहेगी 'बालिक वधू'।
आज भले ही यह शो टीआरपी की रेस में पिछड़ रहा हो, लेकिन एक वक़्त ऐसा भी रहा जब इस धारावाहिक की दीवानगी लोगों के सिर चढ़कर बोल रही थी। हालांकि, फिलहाल धारावाहिक में मुख्य भूमिका निभा रहे कलाकार इस धारावाहिक के बंद होने से कुछ खफा से भी हैं। ख़ैर, गिरती टीआरपी वाले धारावाहिक को चैनल कब तक अपने कंधे पर ढोएगा। धारावाहिक तो विदा हो रहा है, ऐसे में आइए डालते हैं इस धारावाहिक में आए अहम पड़ावों और आकर्षण पर निगाह।
किरदारों की बात
नन्हीं आनंदी की मासूमियत- सबसे पहले धारावाहिक के उस किरदार की बात, जिसने दर्शकों का पहली ही झलक में दिल जीत लिया। नन्ही सी आनंदी के किरदार को अविका गौर ने निभाया था। स्कूल जाने वाली छोटी सी आनंदी की मासूमियत ने दर्शकों को अपना दिवाना बना दिया था। छोटी उम्र में शादी, मां-बाप का घर छूटना और पढ़ाई पूरी न कर पाने के दर्द में दर्शकों ने खूब आंसू बहाए। जब वो दादी सा से लड़ी, जब वो जगिया को छेड़ कर हंसी तो दर्शक भी खिलखिलाए।
दादी-सा का रौब- इस धारावाहिक में आनंदी के बाद किसी किरदार से दर्शक प्रभावित हुए, वो थी दादी सा। दादी-सा बनी सुरेखा सीकरी घर की मुखिया थी। उनके कहे बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था। शुरू में दादी सा का किरदार ग्रे शेड का था, बाद में उनके किरदार की छवि शसक्त महिला के रूप में दिखाई गई। शुरू में तो दादी सा तो बेमेल शादी, बाल विवाह, लड़के -लड़की में फ़र्क़ करने वाली महिला थीं, लेकिन धीरे-धीरे वो भी बदल गईं।
धारावाहिक के अहम पड़ाव
जगिया की डॉ. गौरी से शादी- आनंदी बड़ी हुई, तो उसका चेहरा भी बदला। अब बड़ी आनंदी बनकर आईं प्रत्युषा बैनर्जी। प्रत्यूषा ने भी आनंदी के किरदार को बखूबी निभाया। घर-परिवार की जिम्मेदारियां तो ठीक से निभा रही आनंदी की शादी डोर ही कमजोर पड़ने लगी थी। जगिया ने उसे छोड़कर शहर में पढ़ी-लिखी डॉ. गौरी से शादी कर ली। शहर और गांव के रहन-सहन के द्वंद्व में फंसे जगिया, शहरी परिवेश में पली-बढ़ी डॉ. गौरी और सीधी-सादी आनंदी के दर्द को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया था।
शिवराज ने थामा आनंदी का हाथ- एक बार फिर आनंदी का चेहरा बदला। इस बार आनंदी बनीं तोरल रासपुत्र। उम्र के एक अलग पड़ाव पर आ चुकी आनंदी के हाव-भाव में अब संजीदगी दिखने लगा था। इस किरदार के जरिए तोरल ने बहुत कम समय में लोगों के दिल में जगह बना ली। सामाजिक मुद्दों पर अपने गांव में लोगों को जागरूक करने, लड़कियों को साक्षर बनाने बनाने के काम में लगी आनंदी से शिवराज का प्रेम और फिर शादी का ट्रैक दर्शकों को खूब भाया।
आए नए चेहरे और शुरू किया नया थीम- धारावाहिक में नए चेहरों को भी लाया गया और थीम भी बदली गई, ताकि युवा दर्शकों को आकर्षित किया जा सके। नए चेहरों में माही विज, अविनाश सचदेवा और रुसलान मुमताज़ प्रमुख रहे। धारावाहिक में आगे की कहानी नंदिनी के प्रेम के इर्दगिर्द घूमेगी।
धारावाहिक की ख़ास बात
अलग थीम- नए चैनल कलर्स के लॉन्च होने के साथ अलग थीम वाला यह शो 21 जुलाई 2008 को शुरू हुआ। बालिका वधू बेहद दिलचस्प पड़ावों से गुजरा। पहली बार टीवी के दर्शक एक शो सिर्फ मनोरंजन के लिए ही नहीं देख रहे थे, बल्कि समाज में फैली कुरीतियों के असर को भी महसूस कर रहे थे। दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ-साथ शो में बाल-विवाह जैसे विषय गंभीर मुद्दे को उठाया गया और दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत किया गया।
लोगों को भावुक कर देने वाले इस शो ने कच्ची उम्र में शादी होने की मुश्किलों को प्रभावी तरीके से दिखाया गया। बचपन की शादी न सिर्फ इंसान के व्यक्तिगत अधिकारों का हनन है, बल्कि उसका बचपन, उसकी पढ़ाई, उसका अस्तित्व सबकुछ इसकी भेंट चढ़ जाते हैं।
लोगों को भावुक कर देने वाले इस शो ने कच्ची उम्र में शादी होने की मुश्किलों को प्रभावी तरीके से दिखाया गया। बचपन की शादी न सिर्फ इंसान के व्यक्तिगत अधिकारों का हनन है, बल्कि उसका बचपन, उसकी पढ़ाई, उसका अस्तित्व सबकुछ इसकी भेंट चढ़ जाते हैं।
कई सामाजिक मुद्दे उठाए- कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ी, उसमें बाल-विवाह के कारण बड़े होने पर पड़ने वाले असर को दिखाया गया, मसलन बड़े होने पर युवा जल्द से जल्द ऐसा रिश्ता तोड़ लेना चाहते हैं। इसमें वयस्क शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, पुनर्विवाह जैसे मुद्दे भी दिखाए गए। कहानी के रूप में वास्तविकता के साथ मनोरंजन का मेल दर्शकों को रास आया।
बनाई अंतरराष्ट्रीय पहचान- कहानी की विश्वव्यापी अपील से इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। इस शो को भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में रह रहे भारतीयों और मुख्य धारा के दर्शकों ने भी बड़े पैमाने पर पसंद किया। वियतनाम, अफगानिस्तान, इस्राइल, कनाडा, सर्बिया, बोस्निया, मकदूनिया, मोंटेनेग्रो, कजाकिस्तान, क्रोएशिया और अजरबैजान में भी इस शो के दर्शक लाखों की तादाद में रहे।
सबसे भारतीय भाषाओं में देखा गया- यह शो सबसे ज्यादा भाषाओं में दिखाया गया। फिलहाल राज टीवी पर मन वसनई, सूर्या टीवी/किरण टीवी पर बालिका वधू, मां टीवी पर चिन्नारी पेली कुतुरु, ईटीवी कन्नड़ पर पुट्टा गौरी मुडुवे, ईटीवी उड़िया पर बालिका वधू के नाम से दिखाया जा रहा है।
बदलाव की प्रेरणा
इस धारावाहिक को देखने के बाद लोगों ने अपने इर्दगिर्द की जिंदगी को संजीदगी से महसूस किया। 18 वर्षीय राजस्थानी लड़की लक्ष्मी सरगारा की शादी उसके मां-बाप ने तभी कर दी थी, जब वह एक साल की थी। लक्ष्मी अपने अधिकारों के लिए लड़ी और शादी तुड़वाकर ही मानी। ऐसी कहानियों ने लड़कियों को अपने हक़ के लिए संघर्ष करने की हिम्मत दी।
धारावाहिक के पीक पॉइंट
- 21 जुलाई 2008 को कलर्स चैनल के लॉन्च के साथ हुई शो की शुरुआत।
- धारावाहिक में पहला लीप साल 2010 में आया। इसके बाद कहानी में वयस्क हो चुके आनंदी और जगिया के संबंधों को दिखाया गया।
- जगिया की डॉ. गौरी से शादी के बाद आनंदी की जिंदगी नए सिरे से आगे बढ़ी और उसके जीवन में शिवराज शेखर आए। बाद में शिवराज शेखर से आनंदी ने शादी की। शिवराज शेखर के आने पर शो ने 1000 एपीसोड पूरे करने का जश्न मनाया।
- साल 2015 में आनंदी जब प्रेगनेंट हुई, उसी दौरान एक आतंकवादी हमले में शिव मारा गया।
- 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' के रिकॉर्ड तोड़ते हुए मार्च 2015 में 'बालिका वधू' सबसे ज्यादा एपीसोड वाला धारावाहिक बन गया।
- 11 साल के लीप के साथ आनंदी की बेटी नंदिनी बड़ी हो गई, जिसका बचपन अपहरण और बचपन की शादी की भेंट चढ़ गया था।
- सितंबर 2015 में धारावाहिक ने 2000 एपीसोड पूरे करने का रिकॉर्ड बनाया।
- अप्रैल 2016 में धारावाहिक में 15 साल का लीप आया। अब धारावाहिक में आनंदी की बेटी नंदिनी अपना अतीत भुलाकर मां का डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर रही है।
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