सुपरहिट गायक, फ़्लॉप हीरो 'मुकेश'
'दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई', 'आवारा हूं', 'दोस्त-दोस्त ना रहा', 'मेरा जूता है जापानी', 'मैने तेरे लिये ही सात रंग के सपने चुने ' जैसे खूबसूरत नगमों के सरताज गायक मुकेश आज उनका जन्मदिन है। उनको श्रद्धांजलि देते हुए इस अवसर पर गूगल ने डूडल भी बनाया है। उन्होंने अपनी दर्दभरी सुरीली आवाज से सबके दिल में अपना खास मुकाम बनाया। मुकेश ने 40 साल के लंबे करियर में लगभग 200 से अधिक फिल्मों के लिए गीत गाए हैं। उनके जन्मदिन पर सिने चिट्ठा की ख़ास पेशकश...
मुंबई। अपनी सुरमई आवाज़ से लोगों के दिलों पर राज करने वाले गायक मुकेश का आज जन्मदिन है। 22 जुलाई1923 के दिल्ली में जन्में मुकेश चन्द्र माथुर को संगीतप्रेमी मुकेश के नाम से जानते हैं। अपने 40 साल के लंबे करियर में लगभग 200 से अधिक फिल्मों के लिए गीत गाए।
मुकेश उस दौर के हर सुपरस्टार की आवाज बने। उनके गाए गीतों को लोग आज भी गुनगुनाते हैं। उनके गीत हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से कहीं न कहीं जुड़ते हैं और यही नहीं, उनके गाए नगमें आज के नए गीतों को टक्कर देते हैं, तभी तो रीमिक्स बनाए जा रहे हैं।
शुरुआत
इंजीनियर जोरावर चंद्र माथुर के दस बच्चों में से छठवें नंबर के मुकेश ने दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद पीडब्लूडी में नौकरी शुरू की थी, लेकिन कुछ ही सालों के बाद उनकी किस्मत उन्हें मायानगरी मुंबई ले आई।
दरअसल, गायिकी मुकेश मधुर स्वर के रूप में एक अनूठा तोहफा लेकर पैदा हुए थे। वे अपने सहपाठियों को कुंदन लाल सहगल के गीत सुनाया करते थे। लेकिन अपनी बहन की शादी में जब मुकेश ने गाना गाया, तो ऐसे शख्स से वाह-वाही मिली, जिसने उनकी जिन्दगी को एक मोड़ दे दिया।
वो शख्स कोई और नहीं बल्कि अभिनेता मोतीलाल राजवंश थे। मोतीलाल उन्हें मुंबई ले गए और अपने घर में साथ रखाऔर पंडित जगन्नाथ प्रसाद से संगीत सिखाने का भी प्रबंध किया।
वो शख्स कोई और नहीं बल्कि अभिनेता मोतीलाल राजवंश थे। मोतीलाल उन्हें मुंबई ले गए और अपने घर में साथ रखाऔर पंडित जगन्नाथ प्रसाद से संगीत सिखाने का भी प्रबंध किया।
करियर
मुकेश मुंबई आए तो थे अभिनेता बनने, लेकिन बन गए गायक। उनका सफर साल 1941 में शुरू हुआ। फिल्म 'निर्दोष' में मुकेश ने अदाकारी करने के साथ-साथ गाने भी खुद गाए। इसके अलावा, उन्होंने 'माशूका', 'आह', 'अनुराग' और 'दुल्हन' में भी बतौर अभिनेता काम किया।
उन्होंने अपने करियर में सबसे पहला गाना 'दिल ही बुझा हुआ हो तो' गाया था। मुकेश को चाहने वाले सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के संगीत प्रेमी थे।
उन्होंने अपने करियर में सबसे पहला गाना 'दिल ही बुझा हुआ हो तो' गाया था। मुकेश को चाहने वाले सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के संगीत प्रेमी थे।
फिल्म-उद्योग में उनका शुरुआती दौर मुश्क़िलों भरा था, लेकिन एक दिन उनकी आवाज का जादू के.एल. सहगल पर चल गया। मुकेश का गाना सुनकर सहगल भी अचंभे में पड़ गए थे। 40 के दशक में मुकेश के पार्श्व गायन का अपना अनोखा तरीका था।
बन गए राज कपूर की आवाज
उस दौर में मुकेश की आवाज में सबसे ज्यादा गीत दिलीप कुमार पर फिल्माए गए। वहीं 50 के दशक में मुकेश को शोमैन 'राज कपूर की आवाज' कहा जाने लगा। राज कपूर और मुकेश में काफी अच्छी दोस्ती थी।
50 का दशक मुकेश को एक नई पहचान दे गया. उन्हें शोमैन राजकपूर की आवाज कहा जाने लगा. कई इटंरव्यू में खुद राज कपूर ने अपने दोस्त मुकेश के बारे में कहा है कि मैं तो बस शरीर हूं मेरी आत्मा तो मुकेश है।
उनकी दोस्ती स्टूडियो तक ही नहीं थी। मुश्किल दौर में राज कपूर और मुकेश हमेशा एक-दूसरे की मदद को तैयार रहते थे। उन्होंने साल 1951 की फिल्म 'मल्हार' और साल 1956 की 'अनुराग' में निर्माता के तौर पर काम किया।
50 का दशक मुकेश को एक नई पहचान दे गया. उन्हें शोमैन राजकपूर की आवाज कहा जाने लगा. कई इटंरव्यू में खुद राज कपूर ने अपने दोस्त मुकेश के बारे में कहा है कि मैं तो बस शरीर हूं मेरी आत्मा तो मुकेश है।
उनकी दोस्ती स्टूडियो तक ही नहीं थी। मुश्किल दौर में राज कपूर और मुकेश हमेशा एक-दूसरे की मदद को तैयार रहते थे। उन्होंने साल 1951 की फिल्म 'मल्हार' और साल 1956 की 'अनुराग' में निर्माता के तौर पर काम किया।
मुकेश को बचपन से ही अभिनय का शौक था, जिसके चलते वह फिल्म 'माशूका' और 'अनुराग' में बतौर हीरो भी नजर आए, लेकिन दोनों फिल्में फ्लॉप हो गईं और उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा।
फिल्म फेयर पाने वाले पहले पुरुष गायक
साल 1959 में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'अनाड़ी' ने राज कपूर को पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड दिलाया, लेकिन कम ही लोगों को पता है कि राज कपूर के जिगरी यार मुकेश को भी अनाड़ी फिल्म के 'सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी' गाने के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था।
मुकेश फिल्मफेयर पुरस्कार पाने वाले पहले पुरुष गायक थे। उन्हें फिल्म 'अनाड़ी' से 'सब कुछ सीखा हमने', साल 1970 में फिल्म 'पहचान' से 'सबसे बड़ा नादान वही है', साल 1972 में 'बेइमान' से 'जय बोलो बेईमान की जय बोलो' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया।
फिल्म साल 1974 में 'रजनीगंधा' से 'कई बार यूं भी देखा है' के लिए नेशनल पुरस्कार, साल 1976 में 'कभी कभी' से 'कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया है।
फिल्म साल 1974 में 'रजनीगंधा' से 'कई बार यूं भी देखा है' के लिए नेशनल पुरस्कार, साल 1976 में 'कभी कभी' से 'कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया है।
मुकेश ने हर तरीके के गाने गाए, लेकिन उन्हें दर्द भरे गीतों से अधिक पहचान मिली, क्योंकि दिल से गाए हुए गीत लोगों के जेहन में ऐसे उतरे कि लोग उन्हें आज भी याद करते हैं। 'दर्द का बादशाह' कहे जाने वाले मुकेश ने 'अगर जिंदा हूं मैं इस तरह से', 'ये मेरा दीवानापन है', 'ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना', 'दोस्त दोस्त ना रहा' जैसे कई गीतों को अपनी आवाज दी।
परिवार
मुकेश को एक गुजराती लड़की सरल भा गई थी। वह उसी से शादी करना चाहते थे, लेकिन दोनों परिवार इस शादी के लिए रजामंद नहीं थे। इश्क़ में डूबे मुकेश ने दोनों परिवारों के तमाम बंधनों की परवाह न करते हुए ठीक अपने जन्मदिन के दिन 22 जुलाई 1946 को सरल से शादी कर ली।
मुकेश के एक बेटा और दो बेटियां हैं। बेटे का नाम नितिन और बेटियां रीटा व नलिनी हैं। बड़े होने पर नितिन अपने नाम में पिता का नाम जोड़कर नितिन मुकेश हो गए। उन्होंने पिता की तरह कई फिल्मों के लिए गाया भी।
उनके बेटे यानी मुकेश के पोते नील के नाम में पिता और दादा,दोनों के नाम जुड़े हैं। नील नितिन मुकेश लेकिन गाना नहीं गाते, वह आज बॉलीवुड के चर्चित अभिनेता हैं।
मुकेश के एक बेटा और दो बेटियां हैं। बेटे का नाम नितिन और बेटियां रीटा व नलिनी हैं। बड़े होने पर नितिन अपने नाम में पिता का नाम जोड़कर नितिन मुकेश हो गए। उन्होंने पिता की तरह कई फिल्मों के लिए गाया भी।
उनके बेटे यानी मुकेश के पोते नील के नाम में पिता और दादा,दोनों के नाम जुड़े हैं। नील नितिन मुकेश लेकिन गाना नहीं गाते, वह आज बॉलीवुड के चर्चित अभिनेता हैं।
मुकेश का निधन
मुकेश का निधन 27 अगस्त, 1976 को अमेरिका में एक स्टेज शो के दौरान दिल का दौरा पड़ने से हुआ। उस समय वह गा रहे थे- 'एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल'। सचमुच, दुनिया से ओझल हो चुके मुकेश के गाए बोल जग में आज भी गूंज रहे हैं और हमेशा गूंजते रहेंगे।
मुकेश के गाने से ठीक हुई बीमार लड़की
दर्द भरे नगमों के बेताज बादशाह मुकेश ने बीमार लड़की की फरमाइश पूरी की थी। दरअसल, बीमार लड़की ने अपनी मां से कहा कि यदि मुकेश उन्हें कोई गाना गाकर सुनाएं तो वह ठीक हो सकती है।
मां ने जवाब दिया कि मुकेश बहुत बड़े गायक हैं। भला उनके पास तुम्हारे लिए कहां समय है। यदि वह आते भी हैं तो इसके लिए काफी पैसे लेंगे। तब उसके डॉक्टर ने मुकेश को उस लड़की बीमारी के बारे में बताया।
मुकेश तुरंत लड़की से मिलने अस्पताल गए और उसे गाना गाकर सुनाया और इसके लिए उन्होंने कोई पैसा भी नहीं लिया। लड़की को खुश देखकर मुकेश ने कहा इनसे ज़्यादा तो खुशी मुझे मिली है।
मुकेश तुरंत लड़की से मिलने अस्पताल गए और उसे गाना गाकर सुनाया और इसके लिए उन्होंने कोई पैसा भी नहीं लिया। लड़की को खुश देखकर मुकेश ने कहा इनसे ज़्यादा तो खुशी मुझे मिली है।
गूगल ने बनाया डूडल
ख़ास मौको पर गूगल अपना ख़ास डूडल बनाकर लोगो को सौगात देता रहा था। आज ऐसे ही गूगल ने बॉलीवुड के महान गायक मुकेश की जन्मतिथि पर उन्हें याद किया है।
बता दें कि आज मुकेश का 93वां जन्मदिन है, और इसलिए गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है। इससे पहले गूगल ने किशोर कुमार,नुसरत फतेह अली खान, आर डी बर्मन, राजकपूर और नर्गिस का भी डूडल बनाया है।
बता दें कि आज मुकेश का 93वां जन्मदिन है, और इसलिए गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है। इससे पहले गूगल ने किशोर कुमार,नुसरत फतेह अली खान, आर डी बर्मन, राजकपूर और नर्गिस का भी डूडल बनाया है।
मुकेश के यादगार गीत
- मेरा जूता है जापानी
- ये मेरा दीवानापन है
- किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
- ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना
- दोस्त दोस्त ना रहा
- जाने कहाँ गये वो दिन
- मैने तेरे लिये ही सात रंग के सपने चुने
- इक दिन बिक जायेगा माटी के मोल
- मैं पल दो पल का शायर हूं
- कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है
- चंचल शीतल निर्मल कोमल
- दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई
- आर.डी. बर्मन के जन्मदिन पर गूगल का डूडल
- गुगल के डूडल में कव्वाली के बेताज़ बादशाह
- बॉलीवुड को 'डूडलिंग' की सौगात देने वाले किशोर