बॉलीवुड फिल्में जो पाकिस्तान में हुई बैन
एक और बॉलीवुड फिल्म पाकिस्तान में बैन कर गई। हाल ही में रिलीज़ हुई रोहित धवन की ‘ढिशूम’ को पाकिस्तान में बैन कर दिया गया है। इससे ‘ढिशूम’ की टीम काफी नाराज़ है। फिल्म में पकिस्तान की छवि को गलत तरह से बताने के लिए पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड ने यह निर्णय लिया हैं। वरुण इस फैसले को निराशाजनक बताते हुए एक ट्वीट भी किया। ख़ैर, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी कई फिल्मों को पाकिस्तान में बैन किया गया है। आईए, जानते हैं वो कौन सी फिल्में रहीं, जिन्हें पाकिस्तानी दर्शक देख नहीं पाए।
मुंबई। भारतीय फिल्मों को पाकिस्तान में बैन करना आम बात हो गई है। कभी बॉलीवुड फिल्मों की थीम पाकिस्तान सेंसर बोर्ड को पसंद नहीं आती, तो कभी अश्लील डायलॉग्स का बहाना बना कर भारतीय फिल्मों को प्रतिबंधित कर देते हैं।
हाल ही में रिलीज़ हुई रोहित धवन की फिल्म ‘ढिशूम’ को पाकिस्तान में बैन कर दिया गया है। फिल्म में पकिस्तान की छवि को गलत तरह से बताने के लिए पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड ने यह निर्णय लिया हैं। बैन के फैसले को सुनकर ‘ढिशूम’ की टीम काफी नाराज़ है।
ग़ौरतलब है कि ‘ढिशूम’ में जॉन अब्राहम और वरुण धवन पुलिस अधिकारी बने हैं। वरुण धवन ने पाकिस्तान के इस फैसले को 'ग़लत' बताते हुए, इसे निराशाजनक फैसला करार दिया।
वरुण अपने ट्वीट में लिखते हैं, 'पाकिस्तान में ‘ढिशूम’ पर प्रतिबंध की खबर से निराश हूं। मुझे नहीं लगता कि इसमें किसी भी देश की गलत छवि पेश की गई है। यह एक गलत फैसला है।'
वैसे यह पहला मौका नहीं है कि पाकिस्तान में भारतीय फिल्म बैन हुई है। इससे पहले ऐसी कई फिल्मों को पाकिस्तान सेंसर बोर्ड ने प्रतिबंधित किया है।
नीरजा
सोनम कपूर अभिनीत फिल्म ‘नीरजा’ को भी पाकिस्तान में बैन कर दिया गया। फिल्म की कहानी साल 1986 में हुए भारतीय फ्लाइट पैन एम 73 पर आधारित थी। पाकिस्तान की सेंसर बोर्ड ने कहा कि इस फिल्म में पाकिस्तान की छवि को गलत तरह से पेश किया गया है।
फैंटम
साल 2015 में आई फिल्म 'फैंटम' को भी पाकिस्तान में प्रतिबंधित कर दिया गया। सैफ अली खान और कटरीना कैफ स्टारर फिल्म साल 2008 में हुए हमले पर आधारित थी, जिसकी वजह से फिल्म को पाकिस्तान में दिखाने की पाबन्दी लगाई गई थी।
बंगिस्तान
रितेश देशमुख और पुलकित सम्राट स्टारर फिल्म ‘बंगिस्तान’ को भी पाकिस्तान में बैन कर दिया गया था। फिल्म में एंटी पाकिस्तान कंटेंट होने की आशंका के चलते पाकिस्तान सेंसर बोर्ड ने फिल्म को बैन करने का आदेश दिया था।
भाग मिल्खा भाग
राकेश ओमप्रकाश की यह फिल्म एथलीट फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह पर आधारित थी और इसमें मुख्य भूमिका फरहान अख्तर ने निभाई थी। इस फिल्म में एक आम इंसान की दास्तां को बयां किया गया है, जिसमें वह विभाजन और दुनिया की तमाम झंझावतों से लड़ते हुए अपने सपनों की उड़ान भरता है । लेकिन पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड को यह नागवार लगा कि इस फिल्म ने पाकिस्तान को सही ढंग से प्रदर्शित नहीं किया।
अब जैसा कि फिल्म हिन्द-पाक विभाजन को भी दर्शाती है। बंटवारे के दौरान मिल्खा परिवार की बड़ी क्रूरता से हत्या की जाती हैं। इस फिल्म में एक डायलॉग भी है ‘मुझसे नहीं होगा। मैं पाकिस्तान नहीं जाऊंगा’। यही डायलॉग इस फिल्म को पाकिस्तान में बैन किए जाने का कारण बन गया।
अब जैसा कि फिल्म हिन्द-पाक विभाजन को भी दर्शाती है। बंटवारे के दौरान मिल्खा परिवार की बड़ी क्रूरता से हत्या की जाती हैं। इस फिल्म में एक डायलॉग भी है ‘मुझसे नहीं होगा। मैं पाकिस्तान नहीं जाऊंगा’। यही डायलॉग इस फिल्म को पाकिस्तान में बैन किए जाने का कारण बन गया।
रांझना
साल 2013 में आई धनुष और सोमन कपूर की इस फिल्म पर बैन की बात किसी के भी पल्ले नहीं पड़ी। फिल्म 'रांझना' में एक हिन्दू लड़के को एक मुस्लिम लड़की के प्यार में पड़ते दिखाया गया था, जिससे पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड को खासी आपत्ति थी। इस फिल्म ने भारत में अच्छा कारोबार किया, लेकिन पाकिस्तान को सोनम कपूर के किरदार से दिक्कत थी, जो दो-दो हिन्दू लड़कों के प्यार में पड़ कर उनके अनुसार इस्लाम को कलंकित करती है।
चेन्नई एक्सप्रेस
शाहरुख़ खान बॉलीवुड के ऐसे सितारे हैं, जिनकी फिल्में भारती और पाकिस्तान में पूरी शिद्दत से देखी जाती हैं। लेकिन शाहरुख़ की इस फिल्म पाकिस्तान में रिलीज़ ही नहीं होने दिया गया।दरअसल, यह फिल्म ईद के मौके पर वहां रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन इस दिन ही पाकिस्तानी सिनेमा इंडस्ट्री में चार फिल्में- जोश, इश्क ख़ुदा, वार और मेरा नाम अफ्रीदी रिलीज़ होने वाली थीं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ को रोक दिया गया, हालांकि इसे फिर बाद में किसी और ही दिन रिलीज़ किया गया।
डेविड
बिजॉय नांबियार की फिल्म 'डेविड' को भी पाकिस्तान में बैन कर दिया गया। पाकिस्तान में इस फिल्म पर बैन को सही ठहराते हुए पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड के चेयरमैन राय अकबर ने कहा कि इस फिल्म को हम पाकिस्तान में दिखाने लायक नहीं समझते।
एक था टाइगर
सलमान खान की फिल्म ‘एक था टाइगर’ को भी पाकिस्तान में बैन झेलना पड़ा। इस फिल्म की पटकथा भारत और पाकिस्तान की ख़ूफिया एजेंसियों के बीच के खींच-तान पर लिखी गयी थी। इस फिल्म में सलमान जहां भारत के एजेंट का भूमिका में थे, वहीं कटरीना कैफ पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी की एजेंट बनी थी। इसलिए इस फिल्म को पाकिस्तान में बैन कर दिया गया।
जब तक है जान
‘जब तक है जान’ फिल्म में शाहरुख़ खान ने इंडियन आर्मी ऑफिसर का किरदार निभाया था, जो बम-निरोधक टीम का हिस्सा थे। पाकिस्तानी सेना को इस फिल्म के कुछ डायलॉग्स रास नहीं आए और नतीजतन फिल्म को वहां बैन कर दिया गया। हालांकि, यश चोपड़ा ने अपनी पहुंच और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए फिल्म को रिलीज़ करवा ही लिया था।
एजेंट विनोद
सैफ अली खान की फिल्म ‘एजेंट विनोद’ को भारत में भी दर्शक नहीं मिले और पाकिस्तान ने इसे रिलीज़ ही नहीं होने दिया। इसे पाकिस्तान में बैन करने की वजह के बताते हुए कहा गया कि फिल्म में पाकिस्तान की ख़ूफिया एजेंसी आईएसआई का छवि को गलत तरह से दिखाया जा रहा है। सैफ अली खान और करीना कपूर खान इस फिल्म में इंटेलीजेंस में होते हैं।
खिलाड़ी 786
अक्षय कुमार की फिल्म 'खिलाड़ी 786' को भी पाकिस्ताम में बैन का दर्द झेलना पड़ा। पाकिस्तान में और ख़ास तौर पर मुस्लिमों के बीच ‘786’ को पवित्रता का दर्जा प्राप्त है, तो जैसे ही इस कॉमेडी फिल्म के पोस्टर्स पाकिस्तान में जारी किए पाकिस्तान ने धार्मिक कारणों से इस फिल्म के रिलीज़ पर ही रोक लगा दी।
द डर्टी पिक्चर
विद्या बालन की इस फिल्म को भारत में ‘A’ सर्टिफिकेट के साथ रिलीज़ किया गया था। फिल्म में विद्या ने सिल्क स्मिता के किरदार को निभाया था। इस फिल्म को पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने फूहड़, उत्तेजक और बाज़ारू कहते हुए बैन कर दिया।
लाहौर
फिल्म ‘लाहौर’ में राजनीतिक खुन्नस को किकबॉक्सिंग के रिंग में सुलझाने की कोशिश की गई थी, लेकिन पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड को फिल्म के डायलॉग्स रास नहीं आए, नतीजतन उन्होंने इसे बैन करना ही उजित समझा।
तेरे बिन लादेन
इस बार पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने उस फिल्म को ही बैन कर दिया, जिसमें उनके देश के ही गायक-अभिनेता अली ज़फर मुख्य किरदार निभा रहे थे। साल 2010 में आई फिल्म ‘तेरे बिन लादेन’ को पाकिस्तान में सिर्फ इसलिए बैन किया गया क्योंकि इस विवादित फ़िल्म में अल-कायदा के प्रमुख को टारगेट किया गया था। पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड का मानना था कि इसमें बिन लादेन का मज़ाक बनाया गया था, जिसे देख कर लोगों की भावना भड़क सकती थी और पाकिस्तान में दंगे भी हो सकते थे।