हर्षवर्धन पापा अनिल कपूर से नहीं लेते हैं एडवाइज़
बॉलीवुड में एक और स्टारसन कदम रख रहा है। अभिनेता अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर रुपहले परदे की पारी शुरू करने जा रहे हैं। वो राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म 'मिर्ज़िया' की फिल्म में 'मिर्ज़ा' के किरदार में नज़र आएंगे। हर्ष ऐसे खानदान से आते हैं, जिसमें कई अदाकार हैं, तो कुछ निर्माता हैं। लेकिन हर्ष की मानें तो वो अपने काम के सिलसिले में किसी की सलाह नहीं लेते। यहां तक कि अपने पापा अनिल कपूर से भी सलाह-मशविरा नहीं करते।
मुंबई। लीक से हटकर फिल्में बनाने वाले राकेश ओमप्रकाश मेहरा अपनी अगली फिल्म से अभिनेता अनिल कपूर के बेटे को लॉन्च करने जा रहे हैं। अभी तक सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर फिल्में बनाने वाले राकेश पहली दफा प्रेम-कहानी पर फिल्म बना रहे हैं। उत्तरी भारत में मशहूर दंत प्रेमकहानी 'मिर्ज़ा-साहिबान' को परदे पर उतारा है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या हर्ष इस प्रेम कहानी के बारे में जानते थे। इसके जवाब में वो कहते हैं कि नहीं, सच पूछिए तो बिलकुल भी नहीं। जब इसके बारे में मुझे बताया गया। उसके बाद गूगल पर पढ़ा और फिर यहां-वहां से जानकारियां जुटाईं। वो अपनी बात में आगे कहते हैं, 'ये अन्य प्रेमकहानियों से जुदा है। इससे पहले की प्रेमकहानियों में आपने पाया होगा कि कभी समाज, तो कभी परिवार आ जाता है। लेकिन इस कहानी में प्रेमिका ही प्रेम को छोड़ परिवार को चुनती है। 'हर्ष ख़ुद की प्रेम की परिभाषा समझाते हुए कहते हैं कि मैं तो डीप रोमांस में यक़ीन करता हूं।
हर्ष ने किया था इंकार
अपने और राकेश की मुलाकात के बारे में हर्ष ने बताया कि सोनम की फिल्म 'दिल्ली 6' के सेट पर उनसे मुलाक़ात हुई थी। तब उन्होंने कहा था कि तुम्हारे साथ फिल्म बनानी है। उस वक्त काफी छोटा था। हालांकि, उसके बाद मैं उनसे लागातार टच में था। फिर मैं जब अमेरिका में था, तो डैड का कॉल कर बताया कि राकेश तुमको लेकर फिल्म बनाना चाहते हैं और उसकी स्क्रिप्ट गुलज़ार साहब लिख रहे हैं। तब मैंने कहा कि मैं तो अभी इक्कीस साल का हूं और इसके लिए तैयार नहीं हूं।
जब डैड ने राकेश को यह बात कही, तो वो बहुत खुश हुए। उसके बाद वो मिल्खा बनाने में व्यस्त हो गए। हर्ष हंसते हुए कहते हैं, 'अब सोचिए, यदि उस वक़्त हां कर देता, तो मिल्खा से पहले ही मिर्ज़िया बन जाती।' वो आगे कहते हैं कि इस फिल्म के बारे में साल 2009 से बात शुरू हुई थी और साल 2013 में फाइनल हुआ । फिल्म साल 2016 में बन कर तैयार हुई है।
जब डैड ने राकेश को यह बात कही, तो वो बहुत खुश हुए। उसके बाद वो मिल्खा बनाने में व्यस्त हो गए। हर्ष हंसते हुए कहते हैं, 'अब सोचिए, यदि उस वक़्त हां कर देता, तो मिल्खा से पहले ही मिर्ज़िया बन जाती।' वो आगे कहते हैं कि इस फिल्म के बारे में साल 2009 से बात शुरू हुई थी और साल 2013 में फाइनल हुआ । फिल्म साल 2016 में बन कर तैयार हुई है।
अस्तबल भी साफ किया
पच्चीस वर्षीय हर्ष कहते हैं, 'इस फिल्म के लिए मुझे काफी तैयारी करनी पड़ी। इस फिल्म के लिए लगातार अठारह महीने मैंने मेहनत की है। घुड़सवारी से लेकर पोलो खेलना और फिर तीर चलाना सीखा। 'उन्होंने आगे कहा कि शुरू में तो मुझे खुद पर ही शक था। आठ महीने की प्रैक्टिस के बाद जब राकेश और एक्शन डायरेक्टर एलेन अमीन ने जब मुझे देखा, तो कहा कि तुमको जहां होना चाहिए वहां पर पच्चीस प्रतिशत तक भी नहीं पहुंचे हो। ये बात सुनकर मेरा सिर ही चकरा गया।
वो कहते हैं, 'फिर मुझे अमेरिका के सियाटल भेजा गया। सियाटल के पास एक शहर है, वहां कैटी नाम से एक महिला है, जो घुड़सवारी के गुर सिखाती है। पंद्रह चीजों की चेक लिस्ट के साथ में वहां पहुंचा। '
हर्ष वहां के अपने अनुभव के बारे में बताते हैं कि कैटी जहां रहती है, वहां न तो फोन लाइन है और न ही कोई रेस्तरां। ज़रूर है इंटरनेट। मेरा दिन शुरू होता था अस्तबल की सफाई के साथ। मैं घोड़े की लीद उठाने के साथ उनको नहलाता था। घोड़े पर ख़ुद ज़ीन रखकर चढ़ता था। कैटी ही खाना बनाती थी, जिसे मुझे खाना होता था।
बॉक्स ऑफिस प्रेशर है
स्टारसन से काफी उम्मीदें होती है, तो क्या आपको उन उम्मीदों का दबाव महसूस रहा है हो। इस पर हर्ष समझाते हुए कहते हैं, 'देखिए, दबाव तीन तरह के होते हैं। पहला क्रिएटिव, दूसरा बॉक्स ऑफिस और तीसरा कंपेरिजन। जहां तक पहले दबाव की बात है, तो बिलकुल भी नहीं और तीसरा दबाव इसलिए बन सकता क्योंकि जो मैं कर रहा हूं, वो डैड ने नहीं किया है। हां, बॉक्स ऑफिस दबाव ज़रूर महसूस कर रहा हूं। '
हर्ष ने फिल्म 'बॉम्मे वेलवेट' में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर भी काम किया है। ऐसे में फिल्मों के कारोबार न कर पाने के बारे में वो अपना विचार रखते हुए कहते हैं कि एक्टर्स परफॉर्म कर सकता है। फिल्म तो ऑडियंस ही चला सकती है।
परिवार का सलाह
फिल्मी परिवार से आने की वजह से घर में बातें तो होती हैं, लेकिन क्रिएटिव मामलों में डैड की भी नहीं सुनता। हां, सजेशन ज़रूर लेना पसंद है। वहीं सोनम मुझे एक्टिंग के बारे में कभी भी सलाह नहीं देती। उसकी तरफ से व्यवहारिकता की बातों को लेकर सलाह आती है। सोनम ने कई बार कहा कि मुझे लोगों से बहुत ईमानदार होनो की ज़रूरत नहीं है
कई फिल्मों की भरमार
हर्ष की पहली फिल्म रिलीज़ नहीं हुई और दूसरी की शूटिंग भी शुरू हो गई और तीसरी साइन भी कर ली। इस सफलता का राज़ क्या है?
इस सवाल पर ठहाका लगाते हुए हर्ष ने कहा, 'जो भी ख़बरें आई हैं, वो पूरी सच नहीं हैं। दरअसल, मैं विक्रमादित्य के टच में था। उसके बाद विक्रम ने राकेश और मेरे साथ 'मिर्जिया' के रशेज देखी फिर 'भावेश जोशी' के लिए मुझे साइन किया। 'वो आगे कहते हैं कि इसके बाद श्रीराम राघवन ने फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद ही मुझे साइन किया। फिलहाल चौथी फिल्म की बात चल रही है, लेकिन तय कुछ भी नहीं है।
- हर्षवर्धन कपूर ने की तीसरी फिल्म साइन
- एक सवाल का जवाब है 'मिर्जिया' : राकेश ओमप्रकाश मेहरा
- हर्षवर्धन बनेंगे ‘भावेश जोशी’