अमिताभ बच्चन क्यों हैं ‘महानायक’?
बॉलीवुड में ‘एंग्री यंग मैन’, ‘महानायक’, ‘बिग बी’, ‘शहंशाह’ ऐसे न जाने कितने तमगों से अभिनेता अमिताभ बच्चन को नवाज़ा गया है। अमिताभ से पहले भी अदाकार आए और अब भी इंडस्ट्री में बदस्तूर आ ही रहे हैं। लेकिन ‘अमिताभ’ आख़िर क्यों सबसे अलहदा हैं। उनके जन्मदिन पर हमने जानने की कोशिश की उनके उस जादू के बारे में जो बरसों से लोगों पर तारी है...
मुंबई। अमिताभ बच्चन। ये जगमगाता सितारा अपनी 74वीं वर्षगांठ मना रहा है। हिन्दी सिने-जगत का ये कलाकार देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी एक अलग साख रखता है। ऐसा नहीं रहा कि ये सितारा कभी गर्दिश में नहीं आया, लेकिन गर्दिश के बाद जो चमका, तो लोगों की आंखें चौंधियां गईं।
इंकलाब से अमिताभ
मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन के बेटे के रूप में जन्म लेने वाले अमिताभ ने अपने पिता को वो गौरव दिया, जिसका लालसा हर पिता को रहती है। वो लालसा थी अपने बेटे के नाम से पहचाने जाने की।
अमिताभ का नाम पहले ‘इंकलाब’ रखा जाने वाला था, लेकिन सुमित्रानंदन पंत, हरिवंश राय बच्चन के नवजात शिशु को देखते ही बोल पड़े, ‘कितना शांत दिखाई दे रहा है, मानो ध्यानस्थ अमिताभ।' तभी बच्चन दंपति ने अपने बेटे का नाम अमिताभ रख दिया था।
आगे चलकर यही अमिताभ, हिन्दी सिनेमा जगता का सबसे चमकदार सितारा बना। उन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत 'ख़्वाजा अहमद अब्बास' द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ (1969) से की थी।
तब से शुरू ये सफर जारी है। इस सफर में कई झटके लगे, कई बार गाड़ी पटरी से भी उतरी, लेकिन फिर से संतुलित चालक की तरह अपने करियर की गाड़ी को रफ्तार में रखे हुए हैं।
वापसी का ‘शहंशाह’
सिने-जगत में कई सितारे आते हैं, जगमगाते हैं और फिर टूट कर गुम हो जाते हैं, लेकिन अमिताभ हमेशा नई चुनौती में योद्धा की तरह निकल आते हैं। फिल्मों से दूर जाने के बाद जब वापसी की कोशिश की तो नाकाम रही। उनकी एक के बाद एक कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धराशाई हो रही थीं।
वहीं दूसरी तरफ उनकी होम प्रोडक्शन कंपनी एबीसीएल (अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड) डूब रही थी और वो बुरी तरह आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। एबीसीएल 1997 में बंगलौर में आयोजित 1996 की मिस वर्ल्ड सौंदर्य प्रतियोगिता का प्रमुख प्रायोजक था और इसके ख़राब प्रबंधन के कारण इसे करोड़ों रूपए का नुकसान उठाना पड़ा था।
एक इंटरव्यू के दौरान अमिताभ ने कहा थी कि मैंने लोगों को गाड़ियां अपने घर में पार्क करने को कहा था, क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे।
जब इस महानायक के पास पैसे की तंगी थी, तभी उन्हें छोटो परदे पर एंकर की भूमिका के लिए प्रस्ताव मिला। जब इसके बारे में अमिताभ ने घर में बताया, तो जया ने सुनते ही मना कर दिया, लेकिन अमिताभ ने इसे स्वीकार किया। उसके बाद साल 2000 में रिएलिटी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के एंकर के रूप में वापसी की।
अमिताभ के प्रशंसकों ने इसे हाथों-हाथ लिया। वैसे इसकी सफलता का राज खुद अमिताभ ही रहे। उन्होंने अपनी विनम्रता, ज्ञान, भाषा और बात करने के अंदाज से मानो सबको सम्मोहित कर दिया हो। इस कार्यक्रम ने लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।
बदलने की क्षमता
जब कोई अभिनेता नायक की भूमिका निभाता है, तो वो ताउम्र ‘नायक’ की बने रहना चाहता है। लेकिन अक उम्र के बाद वो उस ‘नायक’ के जामे में नहीं बैठता, यह बात अमिताभ ने समय रहते ही समझ ली। उन्होंने बड़े उम्र के किरदारों, सेकेंड लीड और प्रयोगात्मक किरदारों के लिए खुद को खोल दिया। कुछ समय इंडस्ट्री को दिया और उसकी धारा में बहते रहे। एक ‘नायक’ ‘चरित्र अभिनेता’ बना, फिर वो एक बदलाव लेकर आ गया।
जहां ‘चरित्र अभिनेता’ दोयम दर्जे में गिने जाते थे, वहीं अब ‘चरित्र अभिनेता’ को केंद्र में रखकर पटकथा लिखी जाने लगी। जहां कुछ अभिनेता ‘सिर्फ’ नायक बनकर खत्म हो गए, वहीं ‘चरित्र अभिनेता’ बनकर अमिताभ ‘नायक’ बने हुए हैं।
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