दंगल फिल्म समीक्षा
बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान फिल्म 'पीके' के दो साल बाद अब स्पोर्ट्स ड्रामा बेस्ड बायोपिक लेकर आए हैं, जिसे 'भूतनाथ रिटर्न्स' और 'चिल्लर पार्टी' जैसी फिल्मों के निर्देशक नितेश तिवारी ने निर्देशित किया है। रेसलर महावीर फोगाट और उनकी रेसलर बेटियां गीता-बबीता के चैंपियन बनने की कहानी को लेकर इस बार आमिर आए हैं। आमिर से अच्छे सिनेमा की उम्मीद रहती है, तो कितने खरे उतरे हैं वो इस उम्मीद पर, आइए करते हैं समीक्षा...
फिल्म : दंगलनिर्माता : आमिर खान, यूटीवी , किरण राव
निर्देशक : नितेश तिवारी
कलाकार : आमिर खान, फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा ,
साक्षी तंवर , जायरा वसीम, सुहानी भटनागर
संगीत : प्रीतम
जॉनर : स्पोर्ट्स ड्रामा
रेटिंग : 5 /5
आमिर खान की इस फिल्म की कहानी एक ऐसे पिता और उसके सपने की है, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए बेटे की इच्छा रखता है। लेकिन उसके इस सपने को सच का जामा बेटे की जगह बेटियां पहनाती हैं।
आमिर फिल्म दर्शक इस सोच के साथ देखने जाता है कि इसमें कोई तो बात ज़रूर होगी और उन्होंने यह भरोसा बीते 16 साल से बनाया हुआ है। 'धूम 3' को एक अपवाद मान लें, तो आमिर की फिल्में मनोरंजन के साथ संदेश भी लिए होती हैं और बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी कमाई भी करती हैं।
दंगल की कहानी
'दंगल' कहानी है हरियाणा के बलाली गांव के रेसलर महावीर फोगाट (आमिर खान) की, जिनका सपना है कि वो अपने देश के लिए रेसलिंग में गोल्ड मैडल जीते, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाता।
अब महावीर ख़्वाहिश है कि उनका यह सपना उनका बेटा पूरा करे। महावीर और उनकी पत्नी शोभा कौर (साक्षी तंवर) को बेटा नहीं, बल्कि 4 बेटियां होती हैं। लेकिन कुछ सालों के बाद जब महावीर को पता चलता है कि उनकी बेटियां गीता (जायरा (बचपन में), फातिमा सना शेख(बड़ी होने पर)) और बबिता (सुहानी (बचपन में ), सान्या मल्होत्रा (बड़ी होने पर)) 2 लड़कों की पिटाई करके आई हैं, तो उन्हें यकीन हो जाता है कि देश के लिए गोल्ड उनकी बेटियां भी जीत सकती हैं।
महावीर दोनों बेटियों को रेसलिंग की ट्रेनिंग देते है और आख़िर ये लडकियां मां-बाप के साथ-साथ देश का भी नाम वैश्विकपटल पर दर्ज कराती हैं।
लेकिन हरियाणा के उस छोटे से गांव से लेकर वैश्विकपटल पर अपनी बेटियों की उपस्थिति दर्ज़ कराने के लिए महावीर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कई ट्विस्ट और टर्न्स के बाद उनका कामयाबी मिलती है।
निर्देशन-स्क्रीनप्ले
फिल्म का निर्देशन बेहतरीन है। रियलिस्टिक अप्रोच के साथ हुई रियल लोकेशन की शूटिंग देखने लायक है। निर्देशक के तौर पर नितेश तिवारी सफल साबित हुए हैं।
सीन शूट करना आसान भले ही हो, लेकिन उसके इमोशंस को दर्शक तक पहुंचा पाने में नितेश ने सौ फीसदी कामयाब रहे हैं। वहीं रेसलिंग के सीक्वेंस इतने बेहतरीन तरीके से पिरोए गए हैं कि दर्शकों को रेसलिंग के हर के मूव पर ताली बजा रहे थे।
निर्देशन के साथ-साथ फिल्म की कास्टिंग अच्छी है, जिसका असर प्रदर्शन पर साफ देखने को मिल रहा है। फिल्म दर्शकों को भावुक भी करती है और प्रेरित भी करती है।
फिल्म का स्क्रीनप्ले भी जबरदस्त रहा। सीन्स जिस तरह से एक के बाद एक सामने आ रहे थे, दर्शकों को पूरे समय बांधे हुए थे। अब यदि बात करें संवादों की तो हरियाण्वी टच के साथ बोले गए डायलॉग दर्शकों को भाएंगे।
दंगल में अभिनय
आमिर खान का यह परफ़ॉर्मेंस उनकी पिछली रिलीज़ फिल्मों से काफी अलग है और आपको भीतर तक छू जाता है। फिल्म के हरेक किरदार ने ग़जब का प्रदर्शन किया है।
मां के रूप में साक्षी तंवर ने छोटी गीता-बबिता की भूमिका में जायरा और सुहानी ने, साथ ही बड़ी गीता और बबिता के किरदार में फातिमा और सान्या मल्होत्रा ने बेहतरीन अभिनय किया है। वहीं आमिर के भतीजे का किरदार अपारशक्ति खुराना ने भी उम्दा काम किया है।
दंगल का संगीत
फिल्म के सभी गीत फिल्म की कहानी के साथ बढ़ते हैं। ये कहानी के साथ इस तरह चलते हैं कि पता ही नहीं चलता कि कब गाना शुरू हुआ और कब ख़त्म। सभी गाने कहानी का हिस्सा है। हानिकारक बाबू हो या धाकड़ या फिर दंगल का टाईटल ट्रेक।
दंगल की ख़ास बात
ये फिल्म ‘अच्छी सिनेमा’ की कैटगरी में आती है। आमिर के साथ बाकी कलाकारों का भी प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। वीकेंड में परिवार को बेहतरीन मनोरंजन दिखाने का अच्छा विकल्प है।
संबंधित ख़बरें➤फिल्म समीक्षा : कहानी 2 : दुर्गारानी सिंह
➤आमिर खान ने रिलीज़ किया 'सीक्रेट सुपरस्टार' का टीजर