‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्क़ा’ को सर्टिफिकेट देने से सेंसर का इनकार
सेंसर बोर्ड ने फिर एक फिल्म पर ‘असंस्कारी’ होने की गाज गिराई है। ग़ौर करने वाली बात तो यह है कि जो फिल्म इंटरनैशनल लेवल पर कई अवॉर्ड जीत चुकी है, उसे सेंसर ने सर्टिफिकेट देने से इंकार कर दिया। इंकार की वजह बताते हुए कहा कि यह फिल्म कुछ ज़्यादा ही वुमन ऑरिएंटेड है। कुछ दृश्यों और भाषा पर भी बोर्ड को ऐतराज़ था।
मुंबई। एक बार फिर सेंसर बोर्ड अपने फैसले को लेकर चर्चा में आ गया है। दरअसल, अलंकृता श्रीवास्तव की फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्क़ा’ को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया है।
फिल्म को सर्टिफिकेट न देने की वजह बताते हुए कहा है कि फिल्म में सेक्स को लेकर महिलाओं की फैंटेसी दिखाई गई है। फिल्म में सेक्सुअल सीन, गाली-गलौज वाले शब्द, ऑडियो पोर्नोग्राफी और समाज के एक तबके से जुड़े कुछ सेंसेटिव मामले भी फिल्म हैं।
इसके अलवा सेंसर बोर्ड का कहना है कि यह फिल्म वुमन ओरिएंटेड है, जिसमें महिलाओं की ज़िंदगी से कहीं ज्यादा उनकी फैंटेसी के बारे में दिखाया गया है।
बता दें कि इस फिल्म का निर्माण प्रकाश झा ने किया है। वहीं फिल्म में रत्ना पाठक शाह, कोंकणा सेन शर्मा, विक्रांत मैसी, अहाना कुमरा, प्लाबिता बोरठाकुर और शशांक अरोड़ा अहम भूमिकाओं में हैं।
यह फिल्म एक छोटे से शहर की चार महिलाओं की कहानी है, जो ख़ुद को समाज के बंधनों से मुक्त करना चाहती हैं। ये सभी आज़ादी की तलाश में हैं।
सेंट्रल फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड यानी सीबीएफसी की तरफ से निर्माता प्रकाश झा को एक पत्र भेजा गया, जिसमें फिल्म को सर्टिफिकेट न देने के कारण बताए गए हैं।
झा को भेजे गए पत्र में लिखा है, ‘फिल्म की कहानी महिला प्रधान है और उनके जीवन से परे फैंटेसीज़ पर आधारित है। इसमें यौन दृश्यों, अपमानजनक शब्द और अश्लील ऑडियो हैं। यह फिल्म समाज के एक विशेष तबके के प्रति अधिक संवेदनशील है। इसलिए फिल्म को प्रमाणीकरण के लिए अस्वीकृत किया जाता है।’
सेंसर के इस फैसले को निर्देशक अलंकृता ने ‘महिलाओं के अधिकारों’ पर हमला बताया। वहीं फिल्म को सर्टिफिकेट न दिए जाने पर बॉलीवुड के कई कलाकारों ने इसकी निंदा की। निर्माता-निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने सेंसर बोर्ड पर कटाक्ष करते हुए लिखा कि प्रकाश झा की फिल्म को सर्टिफिकेट न देने पर सेंसर बोर्ड को मेरा हार्दिक अभिनंदन है। उन्होंने साबित कर दिया कि हम पाषाण युग से लाखों साल पीछे हैं।
My Sincere 🙏🏻 to CBFC for refusing to Certify Prakash Jha's #LipstickUnderMyBurkha— Ram Gopal Varma (@RGVzoomined) 23 फ़रवरी 2017
You prove we are a million years behind Stone Age. pic.twitter.com/JYUI6GvJA2
वहीं रेणुका शहाणे ने ट्वीट किया, ‘एक अवॉर्ड विनिंग फिल्म को बे वजह सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया गया।’
"Lipstick Under My Burkha",an award winning film directed by Alankrita Shrivastav refused a Certificate for these unfathomable reasons 👇 😠 pic.twitter.com/QZwi3yhTCn— Renuka Shahane (@renukash) 23 फ़रवरी 2017
फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्क़ा’ के कलाकार शशांक अरोड़ा भी सेंसर से खफा होते हुए लिखते हैं कि सेंसर बोर्ड आपने तीसरी बार मेरे काम से खिलवाड़ किया है। क्या इसे ही आप फ्रीडम ऑफ स्पीच कहते हैं?
This is the third time you are messing with my job dear censor board. What freedom of speech do you go on about? https://t.co/jpgMg8AaKw— Shashank Arora (@ShashankSArora) 23 फ़रवरी 2017
वहीं फिल्म ‘मसान’ के निर्देशक ने तो सेंसर बोर्ड के इस फैसले को ही बैन करार दिया है।
Privileged men have an issue with sexually liberated women.— Neeraj Ghaywan (@ghaywan) 23 फ़रवरी 2017
'Cannot be issued' is a ban. Let's call it that.https://t.co/zvndPtPOzI
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