‘शोले’ का क्लाइमैक्स क्यों हुआ दोबारा शूट?
हाल ही में प्रकाश झा के होम प्रोडक्शन में बनी फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्क़ा’ को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेशन की मनाही कर दी। कारण बताते हुए कहा कि यह फिल्म ‘वुमन ऑरिएंटेड’ है और महिलाओं की ज़िंदगी से ज़्यादा उनकी फैंटेसी को तरजीह दी गई है। वैसे, यह पहली दफा नहीं है, जब सेंसर की ओर से अजीब फैसला आया है। साल 1975 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ का तो अंत ही बदलवा दिया गया था। बेचारे फिल्ममेकर्स को वो सीन तो दोबारा शूट करना पड़ा था।
मुंबई। सेंसर बोर्ड इन दिनों अपने तुगलकी फरमान के लिए चर्चित हो रहा है। हाल ही में अन्विता श्रीवास्तव की फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्क़ा’ को सेंसर ने सर्टिफिकेट देने से ही मना कर दिया है। इस बात एक बार फिर से सेंसर के काम करने के तरीक़े पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
वैसे, सेंसर की कैंची हमेशा से फिल्ममेकर्स के लिए दुखदाई ही रही है। आप जानते हैं साल 1975 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘शोले’ पर तो सेंसर की गाज कुछ यूं गिरी कि फिल्म के अंत को दोबारा शूट करना पड़ा।
दरअसल, फिल्म में पहले क्लाइमैक्स में ‘ठाकुर’, ‘गब्बर’ को मार देता है। लेकिन जब फिल्म सेंसर बोर्ड के पास सर्टिफिकेशन के लिए, तो बोर्ड ने कहा कि फिल्म में काफी हिंसा है। इसलिए फिल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी को फिल्म का क्लाइमैक्स दोबारा शूट करना पड़ा। दोबारा शूट में फिल्म में दिखाया गया कि ‘ठाकुर’, ‘गब्बर’ को पुलिस के हवाले कर देता है।
इन फिल्मों पर भी गिरी सेंसर की गाज
- विकास बहल के निर्देशन में बनी फिल्म ‘क्वीन’ में एक सीन में कंगना रनौत अपने हाथ में ‘ब्रा’ थामें नज़र आती हैं। सेंसर बोर्ड की आपत्ति के बाद ‘ब्रा’ को ब्लर करवाया गया।
- मधुर भंडारकर की फिल्म ‘हिरोइन’ के एक सीन में करीना कपूर सिगरेट पीते हुए इंडियन मोरालिटी की बात करती हैं। सेंसर को यह सीन भी उचिन नहीं लगा और उस पर कैंची चल गई।
- संजय गुप्ता के निर्देशन में बनी जॉन अब्राहम और कंगना रनौत अभिनीत फिल्म ‘शूटआउट एट वडाला’ के लव मेकिंग सीन पर भी सेंसर की कैंची चली थी और इस सीन को छोटा करवाया।
- होमी अदजानिया की फिल्म ‘फाइंडिंग फैनी’ में इस्तेमाल ‘वर्जिन’ शब्द पर भी सेंसरल को आपत्ति हुई और फिल्म से ‘वर्जिन’ शब्द को काट दिया गया। इसके बाद फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट दिया गया।
- करिश्मा कपूर और गोविंद स्टारर फिल्म ‘खुद्दार’ के गाने में ‘सेक्सी’ शब्द सेंसर को अभद्र लगा और ‘सेक्सी’ की जगह ‘बेबी’ शब्द आया।
- राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ‘रंग दे बसंती’ के टाइटल ट्रैक से एक सीन काट दिया गया। दरअसल, उस सीन में निहंग सिखों को घुड़सवारी करते दिखाया गया था। यह सीन बीस सेकेंड का था। गाने से उस बीस सेकेंड की सीन पर कैंची चलाई गई।
- अभिषेक चौबे के निर्देशन में बनी फिल्म ‘इश्क़िया’ से ‘गोरखपुर’ शब्द को हटवाया गया था। सेंसर ने कहा था कि इसकी वजह से ‘गोरखपुर’ बदनाम हो सकता है।
- तिग्मांशु धूलिया की फिल्म ‘साहब, बीवी और गैंगस्टर’ में माही गिल और रणदीप हुड्डा के बीच फिल्माए गए बेडरूम सीन को छोटा करवाने के बाद भी सेंसर बोर्ड ने ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया।
- विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘कमीने’ के गाने ‘ढेन टे णेन’ में हुए ‘तेली’ शब्द पर तेली समाज के लोगों ने आपत्ति जताई। इसके बाद फिल्म में ‘तेली’ शब्द को म्यूट किया गया। इसके बाद भी फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया गया।
- फिल्म ‘बिल्लू बार्बर’ में ‘बार्बर’ शब्द पर बार्बर कम्यूनिटी को ऐतराज था, जिसके बाद फिल्म का नाम ‘बिल्लू’ कर दिया गया था।
- माधुरी दीक्षित की कमबैक फिल्म ‘आजा नच ले’ फिल्म के टाइटल सॉन्ग में इस्तेमाल हुए ‘मोची’ शब्द पर भी विरोध हुआ, जिसके बाद सेंसर ने गाने से ‘मोची’ शब्द को हटा दिया गया।
- पैन नलिन की फिल्म ‘एंग्री इंडियन गॉडेसेस’ में देवी-देवताओं के कुछ विजुअल्स को भी ब्लर करवाया और ‘मेरा इंडियन फिगर है’ सरीखे संवाद भी हटवाए गए।
- विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘हैदर’ के एक सीन पर सेंसर का कैंची सिर्फ इसलिए चली, क्योंकि उस सीन में ‘नंगी पीठ’ दिख रही थी। बावजूद इसके फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया गया।
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