निम्मी-दिलीप कुमार की ‘आन’ में दिखी थी पर्दे की पहली ‘रंगीली’ होली
त्यौहार हो होली का और उसमें बॉलीवुड तराने न हो, ये तो मुमकिन ही नहीं है, लेकिन आप जानते हैं कि पर्दे पर पहली बार होली कब खेली गई थी। साथ ही कब होली के रंग पर्दे पर नज़र आए थे। हम आपको इस ख़ास रिपोर्ट में बॉलीवुड की पहली होली से लेकर, पहली ‘रंगीली’ होली का सफर कराते हुए आज के होली तरानों तक लाएंगे... तो शुरू करें रंगों का सफर।
मुंबई। होली में रंग-गुलाल होता है, पकवानों में गुझिया ख़ास होती है और पेय में ठंडाई होती है, लेकिन इन सबका मज़ा बॉलीवुड के फाग तरानों के बिना फीका ही रहता है।
किसी भी होली पार्टी में बिना बॉलीवुड होली तारानों के काम ही नहीं चलता। लेकिन आप जानते हैं कि पहली बार पर्दे पर होली किस फिल्म में खेली गई थी। चलिए हम आपको बताते हैं।
महबूब खान की ‘औरत’
पर्दे पर पहली बार होली फिल्म ‘औरत’ में खेली गई थी। यह ब्लैक एंड वाइट फिल्म साल 1940 में रिलीज़ हुई थी। फिल्मकार महबूब के निर्देशन में बनी इस फिल्म में मुख्य भूमिका में महबूब खान की पत्नी और अदाकार सरदार अख़्तर थी। इस फिल्म में होली पर दो गाने फिल्माए गए थे। पहली थी ‘जमुना तट श्याम खेले होली’ और दूसरी थी ‘आज होली खेलेंगे साजन के संग’।
ग़ौरतलब है कि फिल्म ‘औरत’ की ही रीमेक फिल्म ‘मदर इंडिया’ थी, जिसमें सरदार बेग़म या सरदार अख़्तर वाला किरदार नर्गिस ने निभाया था। इस फिल्म को भी महबूब खान ने ही बनाया था।
किदार नाथ शर्मा की ‘जोगन’
साल 1950 में आई किदार नाथ शर्मा की फिल्म ‘जोगन’ में भी होली को फिल्माया गया था। दिलीप कुमार और नर्गिस की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म का गाना ‘डारो रे रंग डारो रे रसिया’ काफी मशहूर हुआ था। इस गाने को गीता दत्त ने आवाज़ दी थी। यह फिल्म उस साल की कमाई के हिसाब से चौथी सफल फिल्म थी।
पहली टेक्नीकलर फिल्म ‘आन’
हिंदी सिनेमा जगत की पहली टेक्नीकलर फिल्म ‘आन’ में होली के असली रंग पर्दे पर देखने को मिले। इससे पहले फिल्मों में होली तो दिखती थी, लेकिन रंग नज़र नहीं आते थे। जाहिर है, जब टेक्नीकलर फिल्म आई, तो रंग भी पर्दे पर नज़र आए।
निम्मी और दिलीप कुमार की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘आन’ को निर्माता-निर्देशक महबूब खान थे। फिल्म में प्रेमनाथ और नादिरा भी थे। बता दें कि यह नादिरा की डेब्यू मूवी थी। नादिरा वाले किरदार के लिए पहली पसंद नर्गिस थीं।
फिल्म ‘राही’ में घुला फोक का अंदाज़
साल 1952 में आई के ए अब्बास की फिल्म ‘राही’ में पहली बार होली के गाने में फोक यानी लोकगीत के संगीत को मिलाया गया। देव आनंद और नलिनी जयवंत की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘राही’ में संगीतकार अनिल बिस्वास ने असम के संगीत को घोला।
इस फिल्म का गाना ‘होली खेले नंदलाला बिरज’ में आप पाएंगे कि असम के वाद्य यंत्रों के साथ नृत्य का भी इस्तेमाल किया गया है। दरअसल, अनिल बिस्वास पर बंगाल के संगीत के साथ पूर्वोत्तर भारतीय संगीत की गहरी छाप थी।
क्लासिकल टच वाली दुर्गेश-नंदिनी की होली
वहीं बॉलीवुड के कुछ तरानों में क्लासिकल टच भी आपको मिलेगा। बीना राय और प्रदीप कुमार की मुख्य भूमिका वाली साल 1956 में आई फिल्म ‘दुर्गेश-नंदिनी’ का होली गीत भी उनमें से एक है।
हेमंत कुमार के कंपोजिशन में तैयार इस गाने को लता मंगेशकर ने अपनी आवाज़ दी थी। बी मित्रा के निर्देशन में बनी फिल्म ‘राही’ का गाना ‘मत मारो श्याम पिचकारी’ अपने दौर के मशहूर होली तरानों में से एक था।
‘मदर इंडिया’ की ‘होली आई रे कन्हाई’
नर्गिस की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने वाली पहली फिल्म थी। साल 1958 में आई इस फिल्म का गाना उस वक़्त की सबसे मशहूर गायिका शमशाद बेग़म ने गाया था।
गाना ‘होली आई रे कन्हाई’ में नर्गिस, सुनील दत्त, शशिकला और राजकुमार नज़र आते हैं। गाने में ही नर्गिस फ्लैशबैक में जाती हैं। यह गाना आज भी लोगों को उतना ही पसंद है, जितना तब हुआ करता था।
वी शांताराम की नौटंकी वाली होली
साल 1959 में आई वी शांताराम की ‘नवरंग’ में नौटंकी वाली होली देखने को मिली। महिपाल और संध्या की मुख्य भूमिका वाली फिल्म में संध्या महिला और पुरुष की दोहरी भूमिका में मंच ‘जा रे हट नटखट’ पर नाच रही हैं। इस फिल्म में महिपाल, दिवाकर नाम के कवि की भूमिका में थे।
सत्तर के दशक के होली तराने
सत्तर के दशक में भी कुछ होली के गीत सदाबहार की सूची में हैं। पहला नाम है साल 1960 में आई फिल्म ‘कोहिनूर’ का ‘तन रंग लो जी मन रंग लो’। मीना कुमारी और दिलीप कुमार अभिनीत इस फिल्म में ‘शाही होली’ नज़र आती है।
इसके बाद साल 1963 में आई फिल्म ‘गोदान’ का होली के गाने में सिर्फ पुरुष ही नज़र आएंगे। सितार वादक पंडित रवि शंकर के कंपोजिशन में तैयार होली गीत ‘होली खेलत नंदलाला’ में गांवठी फाग की महक मिलती है। इस गाने को मोहम्मद रफी ने गाया था।
त्रिलोक जेटली के निर्देशन में बनी यह फिल्म मशहूर उपन्यासकार प्रेमचंद के उपन्यास पर आधारित थी। वहीं फिल्म में राजकुमार, महमूद और शशिकला मुख्य भूमिका में थे।
इसके बाद फिल्म ‘दो दिल’ और ‘फूल और पत्थर’ का होली गीत भी काफी प्रचलित हुआ था।
अस्सी के सदाबहार होली तराने
अस्सी के दशक में आई फिल्मों के होली तराने आज भी हर होली पर सुनाई दे जाते हैं। सबसे पहला नंबर राजेश खन्ना और आशा पारेख की फिल्म ‘कटी पतंग’ के गाने ‘आज न छोड़ेंगे हमजोली’ का आता है।
इसके बाद साल 1973 आई वहीदा रहमान और धर्मेन्द्र की फिल्म ‘फागुन’ का गाना ‘फागुम आयो रे’ और इसी साल आई फिल्म ‘नमक हराम’ का गाना ‘नदिया से दरिया’ भी होली के तरानों में अहम पड़ाव रहे हैं।
फिर आया साल 1975। इस साल आई फिल्म ‘शोले’ का होली गाना ‘होली के दिन दिल खिल जाते हैं’ पर आज भी युवा उसी जोश में झूमते हैं।
इसी साल आई सुनील दत्त की फिल्म ‘जख़्मी’ का गाना ‘होली आली रे आली रे’ का अलग ही खुमार लोगों पर चढ़ा।
फिर साल 1978 में बासु चटर्जी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘दिल्लगी’ का गाना ‘कर गई मस्त मुझे’ ने भी लोगों को झूमने पर मजबूर किया।
होली एंथम की याद में
होली के इतने तरानों में बस एक गाने को होली के एंथम का दर्जा मिला हुआ है। सही पहचाना। साल 1981 में आई फिल्म ‘सिलसिला’ का ‘रंग बरसे भीगे चुनर वाली’ गाना इस तरह होली के रंगों में मिल गया है कि बिना इसके होली होती ही नहीं है।
यश चोपड़ा की यह फिल्म और इस फिल्म का वो होली सीन भी आइकॉनिक ही है।
बाकी ये भी हैं सुपरहिट होली तराने
- साल 1982 में आई फिल्म ‘राजपूत’ का गाना ‘भागी रे भागी ब्रिज की बाला’।
- राकेश रोशन की फिल्म ‘कामचोर’ का ‘रंग दे गुलाल मोहे’।
- साल 1984 में आई फिल्म ‘मशाल’ का ‘होली आई, होली आई’।
- साल 1885 में आई फिल्म ‘आखिर क्यों’ का गाना ‘सात रंग में खेले’।
- साल 1993 में आई फिल्म ‘डर’ का गाना ‘अंग से अंग लगाना’।
- साल 2000 में आई फिल्म ‘मोहब्बतें’ का गाना ‘सोनी-सोनी अंखियों वाली’।
- साल 2003 में आई फिल्म ‘बागबान’ का गाना ‘होली खेले रघुवीरा’।
- साल 2005 में आई फिल्म ‘वक़्त द रेस अगेंस्ट टाइम’ का ‘लेट्स प्ले होली’।
- साल 2013 में आई फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी’ का ‘बलम पिचकारी’।
- साल 2014 में आई फिल्म ‘रामलीला’ का ‘लहू मुंह लग गया’।
- इस साल रिलीज़ हुई फिल्म ‘जॉली एलएलबी 2’ का ‘गो पागल’ और फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ का ‘जोगीरा सारारा’ तक होली का सफर आ पहुंचा है।
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