फिल्म समीक्षा: फिल्लौरी
अनुष्का शर्मा और उनके भाई करनेश की प्रोडक्शन कंपनी ‘क्लीन स्लेट’ के बैनर तले बनी फिल्म ‘फिल्लौरी’ रिलीज़ हो गई। इस कंपनी की दूसरी फिल्म है। जहां पहली फिल्म डार्क थी, वहीं इस बार कॉमेडी के तड़के साथ एक नई कहानी कहने आए हैं। फिल्म की कहानी को अन्विता दत्ता ने लिखा है और अंशई लाल ने निर्देशित किया है। फिर आईए करते हैं समीक्षा...
फिल्म : फिल्लौरी
निर्देशक : अनुष्का शर्मा, करनेश शर्मा, फॉक्स स्टार स्टूडियोज़
निर्माता : अंशई लाल
कलाकार : अनुष्का शर्मा, दिलजीत दोसांझ, सूरज शर्मा, महरीन पीरज़ादा
संगीत : शशांक सचदेव, जसलीन रॉयल
रेटिंग : 3/5
फॉक्स स्टार और अनुष्का की क्लीन स्लेट ने मिलकर ‘फिल्लौरी’ बनाई। एक ऐसी फिल्म जिसमें दो अलग-अलग कालखंड की प्रेम कहानियां है, जिसे एक तार ने जोड़ रखा है और वो तार जोड़ा है एक भूतनी ने। फिल्म में ‘भूतनी’ बनी अनुष्का शर्मा अपनी सदियों पुरानी कह रही हैं। रोमांटिक कॉमेडी जॉनर की यह फिल्म कैसा सफर करती है, वो समय ही बताएगा।
कहानी
इस फिल्म की कहानी शुरू होती है, एक एनआरआई लड़के कनन (सूरज शर्मा) की शादी की बात से। एनआरआई कनन शादी के लिए भारत आता है, उसकी शादी अनु (मेहरीन पीरज़ादा) से तय होती है।
सगाई के दिन ही पता चलता है कि कनन घोर मांगलिक है। कनन के मंगल के निवारण के लिए परिवार वाले उसकी शादी एक पेड़ से करवा देते हैं और फिर पेड़ को काट दिया जाता है।
इसके बाद कहानी में ट्विस्ट आता है, कनन के सगाई वाले दिन, जब शशि (अनुष्का शर्मा) सामने आती है। ‘भूतनी’ शशि, कनन से कहती है कि उन दोनों की शादी हो चुकी है। कनन के पूछने पर कहती है कि पेड़ के साथ फेरे लेने के दौरान ही दोनों की शादी हो गई। मज़ेदार बात यह है कि शशि का ‘भूत’ सिर्फ कनन को ही नज़र आता है। अब शशि, कनन को ही क्यों परेशान करती है? उसकी शादी में क्यों अड़चने पैदा कर रही है? कनन खुद को कैसे शशि से बचाएगा? इन सबके जवाब के लिए सिनेमा हॉल जाना होगा।
निर्देशन
इस फिल्म से अंशई लाल निर्देशन के क्षेत्र में कदम रख रहे हैं। बेहतरीन कहानी को जबरदस्त लोकेशन पर शूट किया गया है। लेकिन दिक्कत इसकी रफ़्तार से है। फर्स्ट हॉफ इतना धीमा है कि आप बोर होने लगते हैं, जबकि सेकेंड हॉफ सरपट भागा है। दो अलग-अलग कालखंड की कहानियां चल रही हैं, तो कई बार भटकाव की स्थिति भी आ जाती है। फिर भी काफी कुछ निर्देशक संभाल ले गए हैं। दो युगों की इस प्रेम कहानी में प्रेमियों के लक्षण, व्यवहार और अपेक्षाओं के तुलनात्मक अध्ययन से हम बीते सौ सालों में स्त्री-पुरुष के संबंधों में आए बदलाव को पढ़ सकते हैं।
अभिनय
अभिनय में सबसे पहले बात करते हैं सूरज शर्मा की। फिल्म ‘लाईफ ऑफ पाई’ से बाद रुपहले पर्दे पर नज़र आए सूरज बेजोड़ रहे हैं। वहीं ‘भूतनी’ बनी अनुष्का भी जंची हैं, जबकि गायक और कवि बने दिलजीत दोसांझ ने अपने किरदार के साथ बखूबी न्याय किया है। दिलजीत के साथ अनुष्का की जोड़ी अच्छी लगी। वहीं बाकी के कलाकार भी अच्छे रहे।
संगीत
फिल्म ‘फिल्लौरी’ का संगीत औसत दर्जे का है।
ख़ास बात
वीकेंड में परिवार के साथ कुछ अच्छा देखने का मन हो, तो इस फिल्म को देखा जा सकता है। प्रेम-कहानी पुरानी है, लेकिन पर्दे पर प्यारी ‘भूतनी’ बच्चों को लुभाएगी।
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