CBFC : प्रसून जोशी ने ली पहलाज निहलानी की जगह
पहलाज़ निहलानी को सीबीएफसी चेयरमैन के पद से हटा कर गीतकार प्रसून जोशी को कार्यभार सौंप दिया गया है। अरसे से पहलाज निहलानी के काम करने के तौर-तरीक़ों पर सवाल उठाए जा रहे थे। आख़िरकार पहलाज को हटा कर प्रसून को यह कुर्सी सौंपी गई है।
मुंबई। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के नए चेयरमैन गीतकार पद्मश्री प्रसून जोशी बनाए गए हैं। पहलाज निहलानी को हटा कर प्रसून को यह कार्यभार सौंपा गया है। इसके अलावा ख़बरें हैं कि 24 सदस्यों वाले बोर्ड को भी बदला जा सकता है।
आख़िरकार पहलाज निहलानी को अपने हिटलरी रवैये और तुगलकी फ़रमान के चलते सेंसर बोर्ड अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा। जब से पहलाज सीबीएफसी के चेयरमैन बने, तब से ही विवादों से घिरे रहे। कभी फिल्मों को सर्टिफिकेट देने के बजाए ‘कट’ का आदेश देना। मनमानी करते हुए कुछ ख़ास शब्दों को फिल्मों प्रयोग न करने की हिदायत देना।
पहलाज के काम करने के तौर-तरीक़ों से फिल्मकारों की नींदें हराम हो गई थीं। फिलहाल इस ख़बर के आने के बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने चैन की सांस जरूर ली होगी।
हालांकि, पहलाज़ को पद से हटाने के मांग काफी समय से की जा रही थी, लेकिन किन्हीं कारणों से वो अब तक पद पर बने रहे। ख़ैर, नए सीबीएफसी चीफ के रूप में प्रसून जोशी को चुना गया है और उनके साथ अभिनेत्री विद्या बालन भी जुड़ेंगी।
ये हैं प्रसून जोशी
पहलाज साल 2015 से सेंसर बोर्ड चीफ के पद पर थे। पहलाज की ही तरह प्रसून भी भाजपा समर्थक माने जाते हैं और नरेंद्र मोदी के करीबियों में भी शुमार किए जाते हैं, लेकिन प्रसून के छवि विचारवान गीतकार की है। उनके आने पर फिल्मी गलियारों में खुशी का माहौल है।
‘मौला’, ‘कैसे मुझे तू मिल गई’, ‘तू बिन बताए’, ‘सांसों को सांसों में’ और ‘खलबली है खलबली’ सरीखे गीत लिखने वाले प्रसून ने कई सफल विज्ञापन भी लिखे हैं। साल 2015 में प्रसून जोशी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
पहलाज़ के अतरंगी फैसले
वैसे, पहलाज ने अपने कार्यकाल में कई विवादास्पद निर्णय लिए, लेकिन कुछ ऐसे फैसले थे, जिन्होंने फिल्ममेकर्स के साथ दर्शकों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। आइए देखते हैं पहलाज के कुछ ऐसे ही निर्णय....
सबसे पहला क़िस्सा फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ का है। इस फिल्म को पहलाज के बोर्ड ने कुल 42 कट्स के सुझाव दिए थे, जिसके बाद निर्माता हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे थे। आखिरकार फैसला फिल्म के पक्ष में ही हुआ।
फिर किरकिरी हुई थी हॉलीवुड फिल्मों की सीरीज़ ‘जेम्स बॉन्ड’ को लेकर। इस फिल्म से कई सीन बोर्ड ने कटवा दिए थे, जिसके बाद सोशल मीडिया पर सेंसर बोर्ड के फैसले को लेकर काफी हो-हल्ला हुआ था और कहा गया कि पहलाज ने सेंसर बोर्ड को संस्कारी सेंसर बोर्ड बना दिया है।
पहलाज के बोर्ड ने एक फिल्म को सर्टिफिकेट देने से ही मना कर दिया। जी हां, फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्क़ा’ को सेंसर बोर्ड ने पास करने से मना कर दिया था।
हाल ही में रिलीज़ हुई शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ के प्रोमो में ‘इंटरकोर्स’ शब्द पर भी आपत्ति उठाई।
इसके अलावा नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी की आगामी फिल्म के एक गाने ‘बर्फानी रातें पिघल जाने दो’ पर भी आपत्ति जताई और कहा कि इस गाने के बोल अश्लील हैं।
ख़ूब उड़ा मज़ाक
पहलाज़ के काम करने के तरीक़े की वजह से उनका काफी मज़ाक भी उड़ाया गया। हाल ही में हुए आईफा अवॉर्डस में भी उनका जमकर मज़ाक उड़ाया गया था। जिसके बाद पहलाज ने आयोजकों को नोटिस भी भेजा। पहलाज का कहना था कि एक एक्ट के दौरान रितेश देशमुख औऱ मनीष पॉल ने उनकी तस्वीरों की दुरुपयोग किया है औऱ उन्हें वॉचमैन कहा है।