फिल्म समीक्षा: न्यूटन
साल 2013 में अमित मसूरकर ने ‘सुलेमानी कीड़ा’ नाम की फिल्म बनाई थी, जिसे आलोचकों ने भी काफी सराहा था। अब अमित भारत के चुनाव तंत्र पर आधारित फिल्म ‘न्यूटन’ लेकर आए हैं। राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी और संजय मिश्रा सरीखे कलाकारों से सजी यह फिल्म कैसी है, आइए करते हैं समीक्षा...
फिल्म : न्यूटन
निर्माता : दृश्यम फिल्म्स
निर्देशक : अमित मसूरकर
कलाकार : राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, अंजलि पाटिल, रघुबीर यादव
संगीतकार : नरेन चंदावरकार, बेनेडिक्ट टेलर
जॉनर : ब्लैक कॉमेडी ड्रामा
रेटिंग : 4/5
पहली फिल्म ‘सुलेमानी कीड़ा’ की चहुंओर तारीफ पा चुके अमित मसूरकर अपनी दूसरी फिल्म में मंझे हुए कलाकारों को भर लाए हैं। इस बार वो भारत के चुनावी सिस्टम पर चोट करने आए हैं। राजकुमार राव की मुख्य भूमिका वाली फिल्म क्या कुछ कह रही है, आइए जानते हैं।
कहानी
यह कहानी है नूतन कुमार (राजकुमार राव) की, जिसके नाम का सब मज़ाक उड़ाते हैं। सब कहते हैं कि उसका नाम लड़कियों वाला है। इससे तंग आकर वो दसवीं बोर्ड एग्जाम में अपना नाम बदल कर ‘न्यूटन’ कर लेता है। फिजिक्स से एमएसी करने के बाद इलेक्शन बोर्ड में काम करने लगता है।
इसी दौरान उसकी तैनाती छत्तीसगढ़ के एक जंगली इलाक़े में वोटिंग के लिए की जाती है। इस इलाक़े में पहले कभी वोटिंग नहीं हुए है। लोकनाथ (रघुबीर यादव) के साथ पूरी टीम इलाक़े में जाती है। पुलिस अफसर आत्मा सिंह (पंकज त्रिपाठी) टीम की मौजूदगी में वोटिंग की कोशिश करते हैं। साथ ही वो कहते हैं कोई वोटिंग के लिए नहीं आएगा, लेकिन न्यूटन को भरोसा रहता है कि वोटिंग तो ज़रूर होगी। कुछ समय के बाद हालात बदलते हैं और फिर कुछ अप्रत्याशित घटता है। अब उसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
समीक्षा
यह अमित मसूरकर की दूसरी फिल्म है, लेकिन उन्होंने शानदार निर्देशन किया है। जंगल के सीन जिस तरह से शूट किए गए हैं, वो एकदम असल लगते हैं। एडिटिंग भी कमाल की है। वहीं मयंक तिवारी के डायलॉग काबिल-ए-तारीफ हैं। ये फिल्म सहजता से बड़ी बात कह जाती है।
राजकुमार राव ने एक बार फिर साबित किया कि वो जबरदस्त अभिनेता हैं। पंकज त्रिपाठी और राजकुमार राव के बीच गज़ब का तालमेल देखने को मिलता है। संजय मिश्रा और रघुबीर यादव भी फिल्म पर अपनी छाप छोड़ते हैं। अंजलि पाटिल का भी काम अच्छा रहा।
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर काफी अच्छा है। फिल्म में एक गाना रघुबीर यादव की आवाज में है, जो समय-समय पर आता रहता है।
ख़ास बात
अच्छी फिल्म के शौकीन है, तो फिर यह फिल्म ‘मस्ट वॉच’ की कैटेगरी में आती है। हालांकि, फिल्म में मसाला खोजने वाले वीकेंड के लिए कुछ और प्लान कर सकते हैं।