अमिताभ बच्चन के बॉलीवुड में पूरे हुए पांच दशक
अमिताभ बच्चन ने हिंदी सिने जगत में पांच दशक पूरे कर लिए हैं। उन्होंने अपनी पहली फिल्म 15 फरवरी, 1969 को साइन की थी। ये कोई सामान्य तारीख़ नहीं है, ये तारीख़ी है। इस दिन एक ऐसे अभिनेता ने अपने अभिनय यात्रा को प्रारंभ किया था, जिसने कईयों को अभिनय की दुनियां में आने की प्रेरणा दी। अब अमिताभ अपने अभिनय करियर के पचासवें साल में प्रवेश कर चुके हैं।
मुंबई। भारतीय सिने जगत के इतिहास में 15 फरवरी 1969 ख़ास मायने रखता है। दरअसल, इसी दिन एक कलाकार ने अपनी अभिनय यात्रा की शुरुआत की थी, जो आगे चलकर सदी का महानायक बना।
जी हां, हम बात कर रहे हैं अमिताभ बच्चन की। लंबा छरहरा कद और भारी आवाज़ वाला कवि हरिवंश राय बच्चन का वो बेटा मायानगरी में अभिनेता बनने की ललक से आया।
कभी रेडियो स्टेशन से भारीभरकम आवाज़ की वजह से निकाले जाने वाले उस युवक के लिए बंबई (मुंबई) की राह भी कोई आसान नहीं थी। लेकिन उसका जज्बा कमाल का था। वो डटा रहा और एक दिन उसे इतनी कामयाबी मिली, की जमाना देखता रहा। इस कामयाबी को पाने के लिए अमिताभ ने पहला कदम 15 फरवरी 1969 को उठाया। इस दिन उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘सात हिंदूस्तानी’ साइन कर ली।
उस तारीख को याद करते हुए अमिताभ बच्चन ट्विटर पर लिखते हैं, ’49 साल पहले मैं सपनों की नगरी में आया था और अपनी पहली फिल्म...सात हिंदूस्तानी 15 फरवरी 1969 को साइन की थी।’
T 2615 - 49 years ago I came to the city of dreams and signed my first film .. "Saat Hindustani' on Feb 15, 1969 .. pic.twitter.com/lNABGJIIXQ— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) February 14, 2018
T 2555 - .. that scene from my 1st film 'Saat Hindustani' when fighting for independence & tortured says " हम हिंदुस्तानी रेंगते नहीं " ! 🇮🇳 pic.twitter.com/SBqLrIMNs1— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) September 22, 2017
ऐसे मिली सात हिंदूस्तनी
कवि हरिवंश राय बच्चन के बेटे अमिताभ बच्चन से ‘द अमिताभ बच्चन’ बनने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा। लेकिन नाम बनाने से पहले ज़मीन तलाशने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। अमिताभ को फिल्म ‘सात हिंदूस्तानी’ कैसे मिली, इसकी कहानी को तफसील से ख्वाजा अहमद अब्बास ने अपनी किताब में बयां किया है।
फिल्म ‘सात हिंदूस्तानी’ की कहानी गोवा मुक्ति आंदोलन से निकली थी, जिसके लिए अब्बास को सात अभिनेताओं की जरूरत थी। अभिनेता बनने का सपना देखने वाले अमिताभ को जब इसकी जानकारी हुई, तो कलकत्ता की नौकरी छोड़ कर वो बंबई आ पहुंचे।
बहरहाल, स्क्रीनटेस्ट हुआ और फिर उनको अब्बास ने दो किरदारों में से किसी एक को चुनने के लिए कहा। पहला किरदार थी पंजाबी और दूसरा मुस्लिम। अमिताभ ने मुस्लिम किरदार शायर अनवर अली के किरदार को चुना।
ख़ास बात तो यह है कि अमिताभ सिर्फ़ स्क्रीनटेस्ट देने के लिए सत्तर के दशक में 1600 की लगी-लगाई नौकरी छोड़-छाड़ कर मुंबई आ पहुंचे थे। इसे ही कहते हैं, सपने देखना भर ही काफी नहीं है, उनके लिए जोखिम का जिगर भी ज़रूर है।
जब अमिताभ की नौकरी छोड़ने की बात अब्बास को पता चली, तो उन्होंने भी सवाल किया और कहा कि यदि ये किरदार न मिलता। तब तुम क्या करते?... जवाब भी कम दिलचस्प न था। अमिताभ ने कहा, ‘कुछ जोखिम तो उठाने ही पड़ते हैं।’
इन वाक्य को जिस अंदाज़ में अमिताभ ने कहा, अब्बास वहीं उनके मुरीद हो गए। ख़ैर, अमिताभ को उस फिल्म के लिए 5000 रुपए दिए गए थे। हालांकि, उनकी उस वक्त की आमदनी के मुक़ाबले काफी कम था, लेकिन सपने की ओर एक कदम आगे इसी फिल्म के सहारे तो बढ़े।
अब्बास ने अमिताभ से जुड़ा एक और वाकया बताया था। अब्बास का कहना था कि वो हरिवंश राय बच्चन को काफी अच्छी तरह से जानते थे, लेकिन अमिताभ ने मुलाक़ात के दौरान अपने पिता के रूआब का जिक्र नहीं किया।
आखिर में जब इसकी जानकारी अब्बास को हुई, तो उन्होंने अमिताभ को साइन करने से पहले उनके पिता हरिवंश राय से इजाज़त लेने का मन बनाया। लिहाजा, तार भेज कर उनके बेटे को साइन करने की अनुमति मांगी। फिर हरिवंश राय की अनुमति के बाद फिल्म ‘सात हिंदूस्तानी’ के कॉन्ट्रेक्ट पर साइन करवाया गया था।
7 नवंबर 1969 में रिलीज हुई इस फिल्म में कवि अनवर अली की भूमिका में थे। फिल्म की कहानी सत्याग्रही मारिया की है, जिसने 6 अलग-अलग धर्म और क्षेत्रों के लोगों के साथ मिलकर गोवा को पुर्तगालियों से आजाद कराने की कोशिश की थी। इस फिल्म को बेस्ट लिरिक्स का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। ख्वाजा अहमद अब्बास ने इसका निर्देशन किया था।
अमिताभ का संघर्ष
फिल्म ‘सात हिंदूस्तानी’ ने बॉलीवुड में प्रवेश तो दिलवा दिया, लेकिन कामयाबी अभी तक नसीब नहीं हुई थी। चार साल के अथक प्रयासों के बाद आखिर अमिताभ के खाते में प्रकाश मेहरा की फिल्म ‘जंजीर’ आई और साल 1973 में रिलीज़ हुई इस फिल्म ने हिंदी सिने जगत को ‘एंग्री यंग मैन’ दिया। हालांकि, ‘सात हिंदूस्तानी’ और ‘जंजीर’ के दरम्यान अमिताभ ने 11 फिल्में कर ली थी, लेकिन सफलता को अभी-भी तरस रहे थे।
अमिताभ ने अपने अभिनय सफर में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। कई बार गिरे और फिर संभले हैं। आज भी किसी युवा के जोश से अपने काम में रमे हुए हैं। वो अपने काम के साथ अपने चाहने वाले यानी फैंस के लिए भी समय निकालना नहीं भूलते। कभी ट्विटर, कभी फेसबुक, तो कभी ब्लॉग के माध्यम से उनसे जुड़े रहते हैं।
यूं ही सतत् आप अपने पथ पर अग्रसर रहें, हम सब की शुभकामनाएं आप के साथ हैं....
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