फिल्म समीक्षा: अय्यारी
हमेशा मुद्दों पर आधारित फिल्में बनाने वाले नीरज पांडेय अब फिल्म ‘अय्यारी’ लेकर आए हैं। मनोज बाजपेयी, नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर आदिल हुसैन, कुमुद मिश्रा सरीखे मंझे हुए अभिनेताओं के साथ सिद्धार्थ मल्होत्रा, रकुलप्रीत और पूजा चोपड़ा जैसे नए जनरेशन के कलाकारों को लेकर इस फिल्म को बनाया है। आइए देखते हैं, इस बार नीरज पांडेय ने अपने दर्शकों को क्या ख़ास दिया है...
फिल्म : अय्यारी
निर्माता : शीतल भाटिया, पैन इंडिया, मोशन पिक्चर कैपिटल
निर्देशक : नीरज पांडेय
कलाकार : मनोज बाजपेयी, सिद्धार्थ मल्होत्रा, रकुलप्रीत, नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर,
आदिल हुसैन, कुमुद मिश्रा, पूजा चोपड़ा
संगीत : रोचक कोहली, अंकित तिवारी
जॉनर : पॉलिटिक थ्रिलर
रेटिंग : 2/5
संगीत : रोचक कोहली, अंकित तिवारी
जॉनर : पॉलिटिक थ्रिलर
रेटिंग : 2/5
‘ए वेडनेसडे’, ‘बेबी’, ‘स्पेशल 26’ और ‘रुस्तम’ सरीखी फिल्में बनाने वाले नीरज पांडेय की अगली पेशकश ‘अय्यारी’ है। इस बार वो सेना में व्याप्त भ्रष्टाचार की कहानी दर्शकों के सामने लेकर आए हैं। फिल्म ‘अय्यारी’ में उनके पसंदीदा कलाकारों का जमावड़ा है...तो फिर आइए करते हैं समीक्षा।
कहानी
फिल्म की कहानी शुरू होती है सेना मुख्यालय से। यहां पर मौजूद ब्रिगेडियर श्रीनिवास यानी राजेश तैलंग, माया यानी पूजा चोपड़ा से सवाल-जवाब करते हैं। दरअसल, श्रीनिवास जानने चाहते हैं कि आखिर कर्नल अभय सिंह यानी मनोज बाजपेयी और मेजर जय बख्शी यानी सिद्धार्थ मल्होत्रा के बीच ऐसी क्या बात हो गई कि दोनों अब एक-दूसरे से बेइंतहा नफरत करते हैं।
इस दौरान अभय सिंह के अय्यारी करतब देखने को मिलते हैं, तो अय्यार जय बख्शी भी अपना हुनर दिखाते हैं। वहीं फिल्म में सोनिया बनी रकुल प्रीत, तारिक भाई यानी अनुपम खेर, बाबूराव यानी नसीरुद्दीन शाह, गुरिंदर यानी कुमुद मिश्रा और मुकेश कपूर यानी आदिल हुसैन भी ख़ास किरदारों में हैं। फिल्म की पूरी कहानी क्या है और आखिर जय बख्शी और अभय सिंह की दूरी की क्या वजह है, यह जानने के लिए आपको थिएटर का ही रुख करना होगा।
समीक्षा
फिल्म का निर्देशन और लोकेशन अच्छे हैं। एक्शन सीक्वेंस भी ठीक-ठाक है। फिल्म में कई सरप्राइज़ एलीमेंट्स हैं। कुल मिलाकर फिल्म की कहानी, तो अच्छी है, लेकिन स्क्रीनप्ले काफी लचर है। फिल्म काफी धीमी है। कमजोर स्क्रिप्टिंग से लेकर खराब एडिटिंग ने फिल्म को लंबा और बोझिल बनाया है।
अब यदि अभिनय की बात करें, तो शानदार अभिनेताओं से कमतर की उम्मीद तो नहीं की जा सकती। लेकिन नीरज पांडेय ने सिद्धार्थ मल्होत्रा तक से अभिनय करवा लिया। ये वाकई तारीफ़-ए-काबिल बात है।
वहीं मनोज बाजपेयी को अलग-अलग अवतारों में देखना किसी ट्रीट से कम नहीं है। नए कलाकारों में रकुलप्रीत ने उम्दा प्रदर्शन किया है। वहीं नसीरुद्दीन काफी कम समय के लिए स्क्रीन पर आए, लेकिन दर्शकों के जेहन में बने रहे। वहीं राजेश तैलंग, आदिल हुसैन और कुमुद मिश्रा ने शानदार प्रदर्शन किया है।
संगीत ठीक-ठाक की कैटेगरी में ही आता है। हालांकि, बैकग्राउंट स्कोर अच्छा है।
ख़ास बात
यदि आपको बेहतरीन अदाकारी देखने में मज़ा आता है और इतने सारे माहिर कलाकारों को एकसाथ पर्दे पर देखना है, तो फिर ये फिल्म आप देख सकते हैं। बाकी वीकेंड मनोरंजन के लिए और भी विकल्प हैं।
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