फिल्म समीक्षा : हिचकी
अरसे बाद रानी मुखर्जी रुपहले पर्दे पर वापसी कर रही हैं। फिल्म ‘हिचकी’ से उन्होंने अपना कमबैक किया है। रानी की आखिरी फिल्म साल 2014 में आई ‘मर्दानी’ थी। इस फिल्म के पूरे चार साल बाद रानी सिल्वर स्क्रीन नज़र आ रही हैं। सिद्धार्थ पी मल्होत्रा के निर्देशन में बनी रानी मुखर्जी के इस कमबैक फिल्म का, आइए करें समीक्षा...
निर्माता : आदित्य चोपड़ा, मनीष शर्मा
निर्देशक : सिद्धार्थ पी मल्होत्रा
कलाकार : रानी मुखर्जी, सुप्रिया पिलगांवकर, हर्ष मेयर, सचिन पिलगांवकर, नीरज काबी
संगीत : हितेश सोनिक, जसलीन रॉयल
जॉनर : सोशल ड्रामा
रेटिंग : 3/5
अमेरिकन टीवी फिल्म ‘फ्रंट ऑफ द क्लास’ पर बेस्ड फिल्म ‘हिचकी’ से रानी मुखर्जी अपना कमबैक कर रही हैं। सिद्धार्थ पी मल्होत्रा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में रानी टॉरेट सिंड्रोम से ग्रस्त महिला का किरदार निभा रही हैं, जिसे टीचर बनना है।
कहानी
यह कहानी है ‘नैना माथुर’ की, जो टॉरेट सिंड्रोम से ग्रस्त है। दरअसल, टॉरेट सिंड्रोम से ग्रस्त व्यक्ति कुछ ख़ास परिस्थियों में बोलने में अटकने लगता है और उसे हिचकी भी आता है। फिल्म में नैना का किरदार रानी मुखर्जी निभा रही हैं। ख़ैर, नैना को शिक्षक बनना है, लेकिन नैना को बोलने में तकलीफ होती, लिहाजा उसे टीचर की जॉब मिलने में काफी दिक्कत आती है।
फिर भी जैसे-तैसे उसे एक स्कूल में नौकरी मिल ही जाती है। जहां उसे झुग्गी-बस्ती के 14 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी मिलती है। नैना के लिए इन बच्चों को पढ़ानी काफी मुश्किल होता है, क्योंकि ये बच्चे रोज़ नैना को परेशान करने के लिए नए तरीक़ों का इजाद कर लेते हैं।
यहीं से शुरू होता है नैना का सफर। क्या नैना खुद को अच्छी शिक्षिका साबित कर पाएगी? क्या वो झुग्गी-बस्ती के बच्चों को पढ़ाने कामयाब हो पाएगी? इन सवालों के जवाब के लिए सिनेमाघर तक जाना होगा।
समीक्षा
सबसे पहले बात करते हैं निर्देशन की। इस फिल्म का निर्देशन कुछ खास कमाल का नहीं है। एक सीन के बाद दूसरे का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है। सिद्धार्थ ने कोशिश तो की है, लेकिन वो कामयाबी हासिल नहीं कर पाए हैं। वहीं फिल्म का क्लाइमैक्स काफी बोझिल है।
अब बात करें अदाकारी की, तो रानी पूरे चार बाद वापस आई हैं। बतौर अभिनेत्री रानी ने अपने किरदार को पूरी तरह से निभाया है। वहीं सचिन और प्रिया पिलगांवकर के अलावा नीरज काबी ने भी बेहतरीन अदाकारी दिखाई है।
वहीं फिल्म का संगीत सामान्य है। कुछेक गाने अच्छे हैं, लेकिन कोई गाना आप गुनगुनाते हुए थिएटर से बाहर नहीं निकलेंगे।
ख़ास बात
यदि आप रानी के अभिनय के मुरीद हैं, तो फिर यह फिल्म ‘मस्ट वॉच’ है।
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