मिस्टर परफेक्शनिस्ट बचपन से ही हैं चैम्पियन
आमिर खान टेनिस प्लेयर रहे हैं। यहां तक कि अंडर 12-14 ग्रुप के स्टेट चैम्पियन रहे हैं आमिर ने कई नेशनल लेवल के टूर्नामेंट भी खेले हैं। लेकिन उनको एक्टिंग के कीड़े ने बचपन में ही काट लिया था और डायरेक्शन से होते हुए एक्टर बन गए। उनके जन्मदिन पर टेनिस प्लेयर से ‘ठग्स ऑफ हिन्दोस्तां’ के सफर पर चलते हैं।
मुंबई। 14 मार्च 1965 को मुंबई में जन्मे आमिर खान अभिनेता बनने से पहले एक टेनिस प्लेयर थे। महज आठ साल की उम्र में उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपने चाचा नासिर हुसैन की फिल्म ‘यादों की बारात’ से अपना एक्टिंग डेब्यू किया। शायद यही वो फिल्म है, जिसमें आमिर को एक्टिंग के कीड़े ने काट लिया।
ख़ैर, पिता ताहिर हुसैन और मां ज़ीनत बिलकुल भी इच्छा नहीं थी कि बेटा आमिर एक्टर बने। बल्कि उनकी मंशा थी कि वो अच्छी तरह से अपनी पढ़ाई पूरी करें और फिर उम्दा दर्जे का कोई पेशा चुने। लेकिन आमिर, को अब तक एक्टिंग के कीड़े ने काट जो लिया था, तो भला पढ़ाई में मन कैसे लगता। लिहाजा सिर्फ हाई-स्कूल करने के बाद पढ़ाई से तौबा कर लिया।
हालांकि, आमिर ने स्पोर्ट्स में भी अपने हाथ आजमाना शुरू कर दिया था। बता दें कि आमिर ने टेनिस में स्टेट लेवल पर कई चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और अंडर 12-14 ग्रुप में चैम्पियन रहे। यही नहीं बल्कि वो नेशनल लेवल पर बी कई टूर्नामेंट खेल चुके हैं।
आमिर की पिता से ज़िद
आमिर अपने धुन के पक्के हैं। एक इंटरव्यू में आमिर के पिता ताहिर ने एक वाकये का जिक्र करते हुए कहा, ‘आमिर ने एफटीआईआई में जाने की इच्छा जाहिर की, जो उस समय शुरू ही हुआ था। अब क्योंकि वो अपने टीनएज थे, तो मैंने मना कर दिया।’
ताहिर आगे बताते हैं, ‘मेरी मनाही के बाद आमिर जिद पर अड़ गए और मुझसे बहस करने लगे। अपनी दलील में आमिर ने कहा कि जिसे डॉक्टर बनना है, वो मेडिकल कॉलेज जाता है। मैं डारेक्टर बनना चाहता हूं, तो इसलिए मुझे एफटीआईआई जाने की इजाज़त दें।’
आमिर अपनी दलील में पिता से यह भी कहा कि यह काफी अच्छा इंस्टीट्यूट है, जिसे सरकार से भी अनुमति मिली हुई है।
बाद में ताहिर हुसैन ने आमिर को सलाह दिया कि वो एफटीआईआई जाने के बजाय अपने चाचा नासिर हुसैन को असिस्ट करें और उनसे डायरेक्शन के गुर सीखें।
पिता की सलाह आमिर को भा गई और फिर उन्होंने नासिर के साथ ‘मंजिल-मंजिल’ और ‘जबरदस्त’ में उनको असिस्ट किया।
आमिर की पहली फिल्म पैरानोईया
साल 1983 में आई शॉर्ट फिल्म ‘पैरानोईया’ आमिर की पहली फिल्म थी। इसे उनके दोस्त आदित्य भट्टाचार्य ने डायरेक्ट किया था। बाद में आमिर के साथ उन्होंने ही ‘राख’ नाम की फिल्म बनाई थी।
इस फिल्म के बारे में आमिर ने एक इवेंट में कहा था कि वो और आदित्य स्कूल के जमाने के दोस्त हैं। हाई स्कूल करने के बाद उन्होंने इस शॉर्ट फिल्म का निर्माण किया था। इस शॉर्ट फिल्म के मेकिंग के दौरान आमिर न सिर्फ एक एक्टर, बल्कि प्रोडक्शन मैनेजर, असिस्टेंट डायरेक्टर थे, बल्कि उन्होंने स्पॉट बॉय का भी काम किया। इस फिल्म के बारे में आमिर ने किसी से भी चर्चा नहीं की थी, वो घर पर हॉकी खेलने का बहाना करके जाते थे।
यह फिल्म बन कर तैयार हुई, तो शबाना आज़मी को दिखाई गई। फिल्म उनको कुछ खास समझ नहीं आई, लेकिन एक एक्टर से वो काफी प्रभावित हुईं। वो एक्टर थे आमिर खान। अब आमिर खान के बारे में खोजबीन की, तो ताहिर हुसैन के बेटे के रूप में पहचान हुई। शबानी, ताहिर को मुबारकबाद देना चाहती थीं, लेकिन आमिर ने मना कर दिया। क्योंकि हो सकता था, परिवार को उनकी एक्टिंग करने से ऐतराज हो।
आमिर का फिल्मी सफर
जब आमिर 18 साल के थे, तब उनकी फिल्म ‘सुबह-सुबह’ शुरू हुई। यह एफटीआईआई की डिप्लोमा फिल्म थी, जो कभी रिलीज़ नहीं हो पाई। इसी दौरान केतन मेहता ने आमिर को फिल्म ‘होली’ के लिए साइन कर लिया था। साल 1984 में आई ‘होली’ में आमिर को आमिर हुसैन खान नाम से क्रेडिट दिया गया था। यह उनका पूरा नाम है।
फिर आमिर की ज़िंदगी में पहली सुपरहिट फिल्म ‘क़यामत से क़यामत’ तक आई। साल 1988 में आई इस फिल्म ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और आमिर खान को रातोंरात सुपरस्टर्स की कतार में खड़ा कर दिया था। इस फिल्म को आमिर के चचेरे भाई मंसूर खान ने बनाया था। इसमें आमिर के अपोज़िट जूही चावला थीं।
दिलचस्प बात तो यह है कि इस फिल्म का बजट इतना कम था कि इसके प्रमोशन के लिए आमिर ने राज़ जुत्सी के साथ मिल कर बसों और ऑटो पर फिल्म के पोस्टर्स चिपकाए थे। यहां तक कि आमिर खुद सबको बताते थे कि वो इस फिल्म के एक्टर हैं। इस फिल्म के लिए आमिर को फिल्मफेयर का बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड मिला था।
नहीं जाते हैं अवॉर्ड फंक्शन में
आमिर 19 बार फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर के लिए नॉमिनेट हो चुके हैं, जबकि तीन फिल्मों ‘राजा हिंदुस्तानी’, ‘लगान’ और ‘दंगल’ के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला है। वहीं ‘रंग दे बसंती’ के लिए बेस्ट एक्टर क्रिटिक अवॉर्ड मिला था।
आमिर को चार बार नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिल चुका है। हालांकि, बेस्ट एक्टर वो अभी तक नहीं चुने गए हैं। आमिर को पहला नेशनल आवॉर्ड फिल्म ‘राख’ के लिए मिला था। फिर फिल्म ‘लगान’ को बेस्ट फिल्म के लिए मिला। फिल्म ‘तारे जमीन पर’ के लिए बेस्ट फिल्म ऑन फैमिली वेलफेयर का नेशनल अवॉर्ड मिला। ‘तारे जमीन पर’ आमिर की पहली डायरेक्टेड फिल्म थी उनको बेस्ट फिल्म और बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला।
आमिर को देश के चौथे सबसे बड़े सम्मान पद्मश्री और तीसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
इन सबके बावजूद आमिर अवॉर्ड फंक्शन में शिरकत नहीं करते हैं। इसके पीछे आमिर की नाराज़गी है। दरअसल, साल 1990 में आमिर की फिल्म ‘दिल’ और सनी देओल की फिल्म ‘घायल’ रिलीज़ हुए थी। आमिर को उम्मीद थी कि उनको फिल्म ‘दिल’ के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उस साल बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड सनी देओल को मिला। आमिर इस बात से काफी आहत हुए और उन्होंने आगे से आवॉर्ड फंक्शन में ना जाने की कसम खा ली।
‘कन्हैयालाल’ आमिर के दिलचस्प क़िस्से
आमिर खान का निकनेम ‘कन्हैयालाल’ है। यह नाम उनके परिवार ने एक ख़ास वजह से दिया है। दरअसल, आमिर बचपन में लड़कियों के बीच रहा करते थे। उनकी इस हरकत की वजह से घर वाले उन्हें कन्हैयालाल कहने लगे।
अपने किरदार में भीतर तक उतर जाने वाले आमिर ने फिल्म ‘गुलाम’ के अपने कैरेक्टर को रियल दिखाने के लिए कई दिनों तक नहाना ही बंद कर दिया था। जी हां, उन्होंने कई दिनों तक नहाने से ही तौबा कर लिया।
साल 1995 में फिल्म ‘बाजी’ के लिए आमिर ने फुल बॉडी वैक्स करवा लिया था। आशुतोष गोवारिकर के निर्देशन में बनी इस फिल्म का एक गाना ‘डोले डोले दिल डोले’ में आमिर को कैबरे डांसर बनना था, सो आमिर कैरेक्टर में घुस गए और वैक्स करवा आए।
आमिर की पत्नी ने कुछ दिनों पहले बताया था कि उनको ईटिंग डिसआर्डर है, वो हर समय कुछ न कुछ खाते रहते हैं। वहीं आमिर को नहाना बिलकुल भी पसंद नहीं है। जब भी उनको नहाने के लिए कहा जाता है, तो वो कहते हैं कि मैं तो काफी क्लीन हूं। हालांकि, आमिर को बारिश में भीगना बहुत पसंद है।
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