फिल्म समीक्षा: ब्लैकमेल

अभिनय देव के निर्देशन में बनी फिल्म ‘ब्लैकमेल’ इस शुक्रवार को सिनेमाघरों में उतर रही है। इरफान खान की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म ब्लैककॉमेडी जॉनर की है। एक ऐसे शख्स की कहानी है, जिसे अचानक एक दिन पता चलता है कि उसकी पत्नी उसे धोखा दे रही है। फिर शुरू होती है, ‘ब्लैकमेल’ करने और होने की कहानी। इरफान के अलावा कीर्ति कुल्हारी, अरुणोदय सिंह, दिव्या दत्ता और ओमी वैद्य अहम किरदारों में हैं।

ब्लैकमेल फिल्म रिव्यू
फिल्म: ब्लैकमेल
निर्माता: अभिनय देव, भूषण कुमार, कृष्ण कुमार दुआ
निर्देशक: अभिनय देव
कलाकार: इरफान खान, कीर्ति कुल्हारी, अरुणोदय सिंह, दिव्या दत्ता और ओमी वैद्य
संगीत: मिक्की मेकक्लैरी
जॉनर: ब्लैक कॉमेडी ड्रामा
रेटिंग: 4/5


‘गेम’, ‘डेली बैली’ और ‘फोर्स 2’ सरीखी फिल्मों का निर्देशन करने वाले अभिनय देव ‘ब्लैकमेल’ के रूप में अपनी अगली पेशकश लेकर आए हैं। इरफान खान की अहम भूमिका वाली यह फिल्म ब्लैक कॉमेडी जॉनर की फिल्म है। इरफान के अलावा कीर्ति कुल्हारी, अरुणोदय सिंह, दिव्या दत्ता सरीखे कलाकारों से सजी यह फिल्म कैसी है। आइए करते हैं समीक्षा...

कहानी

फिल्म की कहानी शुरू होती है, देव यानी इरफान खान से, जो एक टॉयलेट पेपर सेल्समैन है। देव अपनी बोरिंग ज़िंदगी में एक्साइटमेंट घोलने के लिए एक दिन दफ्तर से जल्दी जाने की योजना बनाता है। ताकि घर जल्दी पहुंच कर अपनी पत्नी रीना यानी कीर्ति कुल्हारी को सरप्राइज़ कर दे। योजना के मुताबिक दफ्तर से जल्दी निकलता है और फिर अपनी पत्नी के लिए गुलाब का गुलदस्ता खरीदकर घर पहुंचता है।

जब देव घर पहुंचता है, तो पाता है कि उसके बेडरूम में उसकी पत्नी रीना अपने बॉयफ्रेंड रंजीत यानी अरुणोदय सिंह के साथ है। यह नज़ारा देखने के बाद देव अब अपनी पत्नी और उसके बॉयफ्रेंड को ब्लैकमेल करने की योजना बनाता है। अपनी योजना के मुताबिक दोनों को ब्लैकमेल कॉल भी करता है।

अब इस स्थिति में फंसने के बाद रंजीत अपनी पत्नी डॉली वर्मा यानी दिव्या दत्ता से मदद मांगता है। डॉली से रंजीत पैसे निकलवाने की भरसक कोशिश में जुट जाता है। डॉली, जो एक गैंगस्टर की बेटी है, वो अपने पति को कुत्ते की तरह ट्रीट करती हैं।

रीना और रंजीत कैसे भी करके पैसे जुटाने में लगे हैं, तभी एक मर्डर हो जाता है। उसके बाद कहानी उलझती जाती है। अब इस उलझी-उलझी कहानी में देव को पैसे मिलते हैं या नहीं... और क्या देव, रीना की बेवफाई की बात कह पाता है। यह सब देखने के लिए सिनेमाघर जाना होगा।

समीक्षा

सबसे पहले बात करते हैं निर्देशन की। फिल्म का प्लॉट सेट होने में काफी समय लगा, जिससे फर्स्ट हॉफ थोड़ा धीमा हो गया। लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, ह्यूमर घुलता जाता है। फिल्म लगातार चढ़ती जाती है। फिल्म में सिचुएशनल कॉमेडी की भरमार है। इस फिल्म का स्क्रीनप्ले परवेज शेख ने लिखी है। बता दें ‘बजरंगी भाईजान’ और ‘क्वीन’ का स्क्रीनप्ले भी परवेज ने ही लिखा था। कुलमिलाकर फिल्म का ह्यूमर और प्रजेन्टेशन कमाल का है।

अब बात करते हैं अदाकारी की। इरफान ने अपने किरदार में दमदार परफॉर्मेंस दिया है। एक्शन सीन्स और ब्लैकमेलिंग की प्लानिंग करते वो काफी नेचुरल लगते हैं। इरफान के चेहरे के भाव देखकर हंसी को रोकना असंभव है। वहीं कीर्ति कुल्हारी ने अपने किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाया। इसके अलावा अरुणोदय भी अपने किरदार में फिट बैठे। दिव्या दत्ता और ओमी वैद्य ने भी अपनी भूमिकाओं को अच्छी तरह से निभाया।

फिल्म का संगीत कहानी और प्रस्तुति के हिसाब से जबदस्त है। पार्थ पारेख का बैकग्राउंड म्यूज़िक फिल्म के टोन को दिलचस्प बनाता है।

ख़ास बात

मनोरंजक वीकेंड मनाने का खयाल है या फिर आप कॉमेडी फिल्म के शौकीन है, तो यह फिल्म आपके लिए ‘मस्ट वॉच’ है।