जब अनुपम खेर ने महेश भट्ट को नंबर एक का धोखेबाज कहा..
अनुपम खेर उन अभिनेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी अदाकारी का डंका बजाया है और उनके हाथ में अभी भी कई हॉलीवुड और बॉलीवुड प्रोजेक्ट्स हैं। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब तमाम कोशिशों के बाद भी वो अपना सपना साकार नहीं कर पा रहे थे, तब उन्होंने वापसी का रास्ता चुना। फिर जाने से पहले महेश भट्ट से मिलने पहुंचे और उनको नंबर एक धोखेबाज तक कह डाला। पूरा किस्सा नीचे पढ़िए।
मुंबई। मायानगरी में कलाकार अपनी किस्मत आजमाने आते हैं। कुछ के सपने पूरे होते हैं, तो कुछ मायूस होकर सपने पोटली में बंद कर इस शहर से रवानगी भी डाल लेते हैं। आज ऐसे ही एक कलाकार का सफर, जो निराश होकर अपने शहर वापस लौट रहा था, लेकिन उसके आखिरी शब्द ने उसकी किस्मत बदल डाली।
यह शख्स कोई और नहीं बल्कि अनुपम खेर हैं। महेश भट्ट के निर्देशन में बनी फिल्म 'सारांश' में नज़र आए और फिर उनकी चौतरफा तारीफ हुई, लेकिन यह फिल्म मिलना इतना आसान नहीं थे। इस फिल्म से जुड़ा किस्सा खुद अनुपम खेर ने साझा किया।
साल 1984 में आई इस फिल्म के लिए पहले तो अनुपम खेर को साइन कर लिया गया, लेकिन फिल्म शुरू होने से महज दस दिन पहले ही उनको फिल्म से बाहर कर दिया गया। निर्देशक के इस निर्णय से अनुपम बहुत आहत हुए। वो अपने सामान के साथ सपनों को बांध कर वापस अपने शहर जाने लगे। फिर अनुपम ने सोचा कि यदि दिल में गुबार लेकर जाना ठीक नहीं होगा, लिहाजा फिल्म निर्देशक महेश भट्ट को सुना कर जाऊं।
अनुपम आगे कहते हैं, 'मैंने सारा सामान बांधा, टैक्सी हायर की और महेश भट्ट के घर जा पहुंचा। उनको यह बताने गया था कि मुंबई छोड़ने से पहले उनके बारे में क्या सोचता हूं, वो बता दूं। वह छठवीं मंजिल पर रहते थे और लिफ्ट खराब थी। मैंने सीढ़ियां चढ़ कर उनके घर पहुंचा और उनको सीधे खिड़की के पास ले गया। सामने खड़ी टैक्सी दिखाई, जिससे मैं सामान बांध कर स्टेशन जा रहा था। फिर मैंने कहा कि मैं जाने से पहले यह बता दूं कि आप दुनिया के नंबर एक धोखेबाज हैं।'
अनुपम खेर कहते हैं कि जब मैं महेश भट्ट से यह सब कह रहा था, उस वक्त मैं रो भी रहा था। मैं निराश था और डरा हुआ भी था। गुस्से में मैं उनको प्रभावित करने वाली कुछ बाते सुनाना चाहता था। इसलिए मैंने कहा, 'भट्ट साहब आप सच्चाई पर एक फिल्म बना रहे हैं, लेकिन आपके भीतर कोई सच्चाई बाकी नहीं रह गई है। आप इस तरह की फिल्म कैसे बना सकते हैं, जब यह झूठ है। मैं एक ब्राह्मण हूं और मैं आपको श्राप देता हूं।'
अनुपम ने बताया कि इतना सब सुनने के बाद महेश भट्ट ने उनको रोक लिया और फिर 'सारांश' में उनको लेने का फैसला कर लिया।
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