फिल्म समीक्षा: स्त्री
इस सप्ताह राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी और श्रद्धा कपूर स्टारर फिल्म ‘स्त्री’ सिनेमाघरों में उतरी है। इस फिल्म से अमर कौशिक अपने निर्देशकीय पारी की शुरुआत कर रहे हैं। हॉरर कॉमेडी जॉनर की इस फिल्म में कितनी ‘जान’ है, आइए जानते हैं।
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फिल्म ‘स्त्री’से अमर कौशिक अपने निर्देशन की पारी शुरुआत कर रहे हैं। इसकी कहानी फिल्ममेकर जोड़ी राज और डीके ने लिखी है और इसके निर्माता दिनेश विजान है। राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर और पंकज त्रिपाठी सरीखे सितारों से सजी इस फिल्म की आइए करें समीक्षा।
कहानी
फिल्म की कहानी मध्यप्रदेश के चंदेरी नगर की है। यहां एक लड़का है, जिसका नाम विक्की (राजकुमार राव) है। विक्की एक मशहूर लेडीज़ टेलर है। विक्की के गहरे दोस्त बिट्टू (अपारशक्ति खुराना) और जना (अभिषेक बनर्जी) हैं।
चंदेरी नगर में हर साल खास समय पर ‘स्त्री’(चुड़ैल) वापस आती है और पुरुषों को उठा - उठा ले जाती है, चुड़ैल से बचने के लिए नगर के हर घर की दीवार पर लाल स्याही से ‘ओ स्त्री कल आना’लिखा रहता है।
तब ही विक्की के पास एक अनाम खूबसूरत लड़की (श्रद्धा कपूर) विक्की से कपड़े सिलाने आती है और विक्की लड़की पर फिदा हो जाता है।
फिल्म की कहानी में ट्विस्ट तब शुरू होता है, जब विक्की और बिट्टू के दोस्त जना को ‘स्त्री’ अपना शिकार बना लेती है। इसके बाद विक्की और बिट्टू गांव की ‘स्त्री’ पर रिसर्च कर रहे रुद्र (पंकज त्रिपाठी) के साथ मिलकर दोस्त जना को तलाशने लगते हैं।
आगे जना की तलाश और ‘स्त्री’के रहस्य को जानने के लिए आपको सिनेमाहॉल तक जाना होगा।
समीक्षा
फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले दोनों ही बेहतरीन तरीक़े से लिखे हुए हैं। फिल्म की कसावट इतनी अच्छी है कि फिल्म को एक पल के लिए भी आप छोड़ना नहीं चाहेंगे। कमाल के डायलॉग और पंचेस हैं।
अपनी पहली फिल्म में अमर कौशिक ने जबरदस्त निर्देशन किया है। लोकेशन के साथ काफी सोच-समझ कर चुना गया है। जहां एक पल आप डर के चीख पड़ते हैं, तो दूसरे ही पल आपकी हंसी छूट जाती है। कई बार तो पर्दे पर किरदार डरता है और आप हंसी से लोट-पोट होते हो। फिल्म के ट्विस्ट भी अच्छे हैं।
अब बात यदि अभिनय की करें, तो राजकुमार राव का काम उम्दा रहा है। अपने ट्रांसफॉर्मेंशन के लिए मशहूर राजकुमार ने इस फिल्म में भी अपनी वो ख़ासियत दिखाई है। वहीं पंकज त्रिपाठी ने भी शानदार काम किया है।
अभिषेक बनर्जी और अपारशक्ति खुराना ने भी सहज अभिनय किया है। श्रद्धा ने भी ठीक-ठाक काम किया है। एडिटिंग टेबल पर भी फिल्म को अच्छी तरह से ट्रीट किया गया है, जिससे ये बेवजह की लंबी नहीं हुई है।
इसके अलावा फिल्म के गाने जबरदस्ती ठूंसे हुए नहीं लगते हैं, उनके साथ कहानी आगे बढ़ती है। बैकग्राउंड स्कोर भी फिल्म का काफी दमदार है, जो सिनेमा हॉल की सीट पर बैठे आपके अंदर एक पल के लिए डर पैदा कर देता है।
ख़ास बात
कुल मिलाकर अगर एक अच्छी हॉरर कॉमेडी फिल्म का आप बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, तो यह फिल्म आपके लिए पैसा वसूल हो सकती है।
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