फिल्म समीक्षा : भारत

सलमान खान की बहुप्रतिक्षित फिल्म ‘भारत’ रिलीज़ हो गई है। अली अब्बास जफर के निर्देशन में बनी यह फिल्म कोरियन फिल्म ‘ओड टू माय फादर’ की रीमेक है। कोरियन फिल्म किस हद तक बॉलीवुड का जामा पहनने में कामयाब हुई है, आइए करते हैं समीक्षा।

सलमान खान फिल्म भारत में
फिल्म : भारत

निर्माता : अतुल अग्निहोत्री, अलविरा खान अग्निहोत्री, भूषण कुमार, किशन कुमार और निखिल नमित

निर्देशक : अली अब्बास जफर

कलाकार : सलमान खान, कटरीना कैफ, सुनील ग्रोवर, दिशा पाटनी, जैकी श्रॉफ, कुमुद मिश्रा

रेटिंग : 3/5

जॉनर : पीरियड ड्रामा

सालों से सलमान खान अपने फैन्स के लिए ईद की सौगात अपनी फिल्म के रूप में देते हैं। इस बार वो ‘भारत’ लेकर आए हैं। यूं तो कोरियन फिल्म की रीमेक कही जा रही है, लेकिन फिल्म को भारतीय पृष्ठभूमि के इर्द-गिर्द बुना गया है। सलमान के साथ लगातार हिट देने वाले अली अब्बास जफर ने फिल्म का निर्देशन किया है, तो वहीं कटरीना उनके साथ स्क्रीन शेयर कर रही है। काफी कुछ है बताने के लिए, फिर आइए शुरू करते हैं सिलसिला। 


कहानी 

कहानी की शुरुआत होती है अटारी स्टेशन से, जहां सत्तर वर्षीय भारत (सलमान खान) अपने परिवार के साथ अपना बर्थ-डे सेलीब्रेट करने पहुंचा होता है। इसी मौके पर बच्चों को अपनी कहानी सुनाने का सिलसिला शुरू करता है। 

बात साल 1947 की है, जब भारत-पाक का बंटवारा हुआ था। बंटवारे की इसी त्रासदी में भारत, अपनी मां (सोनाली कुलकर्णी), स्टेशन मास्टर पिता (जैकी श्रॉफ) और बहन-भाई के साथ इसी स्टेशन पर आता है और फिर वो बिछड़ जाता है। 

बिछड़ने से पहले भारत ने अपने पिता को वचन दिया होता है कि जब तक वो वापस नहीं आएंगे, मां और भाई-बहनों का खयाल रखेगा। अब अपने उसी वजन को निबाहने के लिए साल 1947 से लेकर 2010 तक परिवार का भरण-पोषण करता है। इसके लिए वो चोरी करता है, मौत का कुआं में मोटरसाइकिल तक चलाता है। किराने के दुकान में काम करने से लेकर अरब में जाकर तेल निकालने का काम करता है। इसी दौरान भारत की मुलाकात खूबसूरत मैडम सर जी (कटरीना कैफ) से होती है। बाद में दोनों में प्यार भी हो जाता है, लेकिन भारत उनसे शादी नहीं करना चाहता, क्योंकि उसे अपने परिवार का भरण-पोषण करना होता है। हालांकि, मैडम सर जी खुद भारत के घर आ जाती हैं और उनके घर पर लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने लगती हैं। 

इस कहानी में एक शख्स और है, जिसका नाम है विलायती खान (सुनील ग्रोवर), जो भारत के सुख-दुख का साथी है। उसके सफर में बराबर से उसके साथ बना रहा। 

समीक्षा


फिल्म की कहानी तकरीबन साठ सालों के सफर को दिखाती है। वरुण वी शर्मा के साथ मिलकर अली अब्बास जफर ने इस कहानी को लिखा है। कहानी को इंटरेस्टिंस और चैलेंजिंग बनाने की भरसक कोशिश की है। भारत की कहानी के साथ ही भारत देश के अज़ादी के बाद के इतिहास को हल्के से छूने की कोशिश की है। सरकार की नीतियों से लेकर क्रिकेट और सिनेमा के सितारों को भी दिखाया गया है। 

अब इतना सबकुछ एक फिल्म में समेटने की कोशिश की जाएगी, तो निर्देशक से कुछ कसर तो रह ही जाएगा। लिहाजा, कई जगह अली भी गच्चा खा जाते हैं। कुछ सीन्स अच्छे बन पड़े हैं, लेकिन कुछ सीन्स में बेहतरी की गुंजाइश रही है। 

वहीं फिल्म की सिनेमैटोग्रॉफी की जिम्मा मारकिन लासाकवीक ने संभाला था, जो अव्वल रहा। हालांकि, एडिटिंग में गुंजाइश थी। फिल्म को कुछ और कसा जा सकता था।

एक्टिंग के मामले में सलमान खान मैदान मार ले जाते हैं। सलमान एक्शन से ज्यादा सेंसिटिव नज़र आए, वो कई जगह बेहतरीन रहे। वहीं कटरीना कैफ ने अच्छी-खासी मेहनत कर ली है। कैट की बेहतरीन परफॉर्मेंस में से एक कहा जा सकता है। 

सुनील ग्रोवर, कुमुद मिश्रा, दिशा पाटनी बेहतरीन रहे। वहीं जैकी श्रॉफ ठीक रहे। फिल्म में तब्बू सरप्राइज़ पैकेज थीं, छोटा, लेकिन इंप्रेसिव प्रजेंस था। 

विशाल-शेखर का म्यूज़िक अच्छा है। फिल्म के कुछ सॉग्स से पहले से ही हिट हो चुके हैं। 

खास बात

ईद है और सलमान खान के फैन है, तो यह फिल्म आपके लिए है। जाइए और ज़रूर देखें, क्योंकि हर फ्रेम में सलमान ही सलमान है। वहीं पारिवारिक मूल्यों के इर्द-गिर्द बुनी कहानी देखने के शौकीन है, तो आप भी जाइए। इन दोनों बातों से यदि सहमत न हों, तो फिर इंतज़ार कीजिए।