मधुबाला के कई अधूरे सपनों की तरह निर्देशन का सपना भी रहा अधूरा
हिन्दी सिनेजगत की बेइंतहा खूबसूरत अभिनेत्री मधुबाला की आज सालगिरह है। इनके दीवानों की कल भी कतार थी और इनके दीवानों की आज भी लंबी-चौड़ी फेहरिस्त है। इनकी तस्वीरें और वीडियो क्लिप्स के लिए दीवाने खाक छानते हैं। इनकी खूबसूरती और अदाकारी के जलवे देश में थे ही, लेकिन हॉलीवुड भी इनकी अदाओं का कायल हो चुका था। तभी तो एक अमेरिकन मैग्ज़ीन ने इन पर ‘बिगेस्ट स्टार ऑफ द वर्ल्ड’ नाम से आर्टिकल भी लिखा था। ‘लाइफ’ मैग्ज़ीन ने इनका फोटोशूट किया था। हिंदी सिने जगत के इस चांद का जन्म 14 फरवरी को हुआ था। वैलेंटाइन डे के दिन जन्मी ये अदाकारा उम्र भर सच्चे प्रेम के लिए तरसती रही।
मधुबाला का नाम भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की खूबसूरत अभिनेत्रियों में सबसे पहले लिया जाता है। अपनी खूबसूरती से देश ही नहीं विदेशों में भी लोकप्रिय होने वाली मधुबाला की असल ज़िंदगी भी किसी फिल्मी कहानी से कमतर नहीं थी।
कभी घर चलाने के लिए अभिनय के डगर पर चलने को मजबूर होने वाली मधुबाला को स्कूली शिक्षा लेने का मौका नहीं मिला, लेकिन वो इरादों की इतनी पक्की निकली की मात्र सत्रह साल की उम्र में ही फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगीं।
कुछेक फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम करने के बाद जब वो उम्र के चौदहवें पड़ाव पर थीं, तो निर्देशक केदार शर्मा ने उनको बतौर लीड एक्ट्रेस अपनी फिल्म 'नील कमल' में कास्ट किया। साल 1947 में रिलीज़ हुई इस फिल्म में मधुबाला के अपोजिट राज कपूर थे।
इसी फिल्म से उनका नाम मुमताज़ से मधुबाला कर दिया गया। मधुबाला काफी प्रोफेशनल एक्ट्रेस में गिनी जाती थीं। अपने काम को लेकर वो पूरी तरह से समर्पित रहती थीं।
काम को लेकर लगन तो अच्छी बात है, लेकिन उनकी खूबसूरती ने भी नए कीर्तिमान गढ़े। तभी तो 'थिएटर आर्ट्स' नाम की मंथली मैगज़ीन ने उनको 'बिगेस्ट स्टार ऑफ द वर्ल्ड' का खिताब तक दिया। मज़ेदार बात तो यह है कि वो अपने जीवन में कभी भी कैलिफोर्निया नहीं गईं।
जहां एक तरफ उनकी खूबसूरती का डंका बज रहा था, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर वो सफलता नहीं मिल पा रही थी, जिसकी मधुबाला हकदार रहीं। मधुबाला ने तकरीबन 70 फिल्मों में काम किया था, जिसमें 15 सुपरहिट रहीं। इसकी सबसे बड़ी वजह फिल्मों की चुनाव रहा। दरअसल, मधुबाला किसी फिल्म में काम करेंगी, इसका फैसला उनके पिता लेते थे। ऐसे में होता यह था कि वो बिना स्क्रिप्ट पर ध्यान दिए, फटाफट फिल्में साइन कर लिया करते थे। लिहाजा, फिल्में टिकट खिड़की पर बेदम साबित होती थीं।
प्रेम की पिच
वैलेंटाइन डे के दिन पैदा तो हुईं मधुबाला, लेकिन मुकम्मल प्यार न पा सकीं। कहा जाता है कि वो दिलीप कुमार से बेइंतहा इश्क किया करती थीं, लेकिन पिता और दिलीप कुमार में हुई तकरार ने इस प्यार के बीच दीवार बना दी।
बता दें कि दिलीप कुमार से मधुबाला की मुलाकात 'ज्वार भाटा' के सेट पर हुई थी, लेकिन मोहब्बत का इकरार फिल्म 'तराना' के सेट पर हुआ।
वहीं शादी किशोर कुमार से हुई थी, लेकिन इस शादी में खुश कोई भी नहीं था, क्योंकि ये वो वक्त था, जब मधुबाला का मर्ज बढ़ चुका था, वो लोगों से कतराने लगी थीं। जबकि किशोर ज्यादा से ज्यादा कमाने के लिए खुद को काम में डूबोने लगे थे।
कहा यह भी जाता है कि किशोर कुमार के माता-पिता ने मधुबाला को बहू का दर्जा नहीं दिया था, क्योंकि उनको लगता था कि मधुबाला की वजह से ही किशोर कुमार की पहली शादी टूटी थी।
शौक-आराम
मधुबाला को घूमने-फिरने की आजादी नहीं थी। वो सीधे काम पर जाती थीं और फिर काम से घर आ जाती थीं। इस दौरान पिता साये की तरह उनके साथ रहा करते थे। ऐसे में खुद के लिए थोड़ा वक्त निकालने के लिए उन्होंने लॉन्ग-ड्राइव पर जाना शुरू कर दिया था। बारह साल की उम्र से ही उन्होंने गाड़ी चलाना सीख लिया था। ऐसे में जब भी समय मिलता, वो लॉन्ग ड्राइव पर निकल जाया करती थीं। वहीं उनको कुत्तों का काफी शौक था। एक समय में उनके पास पूरे 18 कुत्ते थे।
मधुबाला का 'अधूरा सपना'
गंभीर रूप से बीमार होने के बाद भी मधुबाला ने काम करना नहीं छोड़ा था। राज कपूरके साथ उनकी फिल्म 'चालाक' बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण अधूरी रह गई थी। वहीं मधुबाला निर्देशन में हाथ आजमाना चाहती थीं, जिसके लिए 'फर्ज और इश्क' नाम की फिल्म तय कर ली थी, लेकिन यह ख्वाहिश भी अधूरी रह गई।
➤अशोक कुमार के कहने पर एक रुपए में मान गईं मधुबाला!
➤‘ट्रेजडी क्वीन’ के अलावा यह नाम भी थे मीना कुमारी के