फिल्म समीक्षा : लव आज कल 2
सारा अली खान, कार्तिक आर्यन स्टारर फिल्म 'लव आज कल 2' सिनेमाघरों में उतर चुकी है। इम्तियाज़ अली के निर्देशन में बनी इस फिल्म के बारे में उन्होंने दावा किया था कि यह नए जनरेशन की लव-स्टोरी है। प्यार की कहानी नए कलेवर के साथ इम्तियाज़ लेकर आए हैं, तो फिर आइए जानते हैं, क्या कुछ खास है इस फिल्म में।
फिल्म : लव आज कल 2
निर्माता : दिनेश विजन, इम्तियाज़ अली
निर्देशक : इम्तियाज़ अली
कलाकार : सारा अली खान, आरुषि शर्मा, कार्तिक आर्यन, रणदीप हुड्डा
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती, इशान छाबड़ा
जॉनर : रोमांटिक ड्रामा
रेटिंग : 2/5
इस वेलेंटाइन डे पर इम्तियाज़ अली ने सिनेप्रेमियों को फिल्म 'लव आज कल 2' का तोहफा दिया है। बता दें कि साल 2009 में इनकी फिल्म 'लव आज कल' रिलीज़ हुई थी, जिसमें दीपिका पादुकोण, सैफ अली खान, गिजेली मोंटेरो और ऋषि कपूर अहम भूमिका में थे। अब उसी फिल्म का नया संस्करण लेकर इम्तियाज़ आए हैं। जहां पिछली फिल्म में सैफ अली खान के इर्द-गिर्द कहानी घूमती है, वहीं इस बार सारा अली खान के आस-पास कहानी को बुना गया है। कहानी में कुछ खास अंतर नहीं है, बस जरा सी फेरबदल की गई है। जैसे, लोकेशन सिर्फ भारत ही रखा गया है। सैफ की जगह कार्तिक आर्यन हैं, तो दीपिका की जगह सारा अली खान, ऋषि कपूर की जगह रणदीप हुड्डा और गिजेली मोंटेरो की जगह आरुषि शर्मा हैं। अब क्या कुछ खिचड़ी पकी है, चलिए जानते हैं।
कहानी
जूही उर्फ ज़ोई (सारा अली खान) करियर ऑरिएंटेड लड़की है। इवेंट मैनेजमेंट के फील्ड में ऊंचा मकाम पाना चाहती है। लाइफ को फुन-ऑन एंजॉय करना उसका फलसफा है। इसलिए वो रिलेशनशिप कमिटमेंट से दूर ही रहती है। अपने करियर पर फोकस्ड ज़ोई रोज़ रघु (रणदीप हुड्डा) के कैफे में जाती है, ताकि जॉब सर्च कर सके और फिर अप्लाई करे। वहीं वीर (कार्तिक आर्यन) को ज़ोई नज़र आती है और उसे अच्छी लगती है। हाल यह हो जाता है कि ज़ोई को देखने के लिए वीर कैफ़ै में आने लगता है। धीरे-धीरे दोनों में प्यार पनपने लगता है। जहां वीर, ज़ोई को लेकर संजीदा है, तो वहीं ज़ोई के लिए करियर ज्यादा मायने रखता है।
वीर और ज़ोई की लव-स्टोरी देखकर रघु को अपनी प्रेम कहानी याद आती है। वो ज़ोई को अपनी लव-स्टोरी सुनाता है। रघु बताता है कि वो उदयपुर में रहता था। उसे अपने स्कूल में पढ़ने वाली लीना (आरुषि शर्मा) से प्यार हो जाता है। लीना और रघु के बारे में जब सबको पता चलता है, तो लीना के घरवाले उसे दिल्ली भेज देते हैं। वहीं रघु भी अपनी मेडिकल की पढ़ाई छोड़ कर दिल्ली आ जाता है।
इधर रघु की कहानी चल ही रही होती है कि ज़ोई और वीर की कहानी में एक नया मोड़ आ जाता है।
अब रघु और लीना के साथ ज़ोई और वीर की कहानी भी पैरेलल चलती है। एक साल 1990 और दूसरी 2020 के दौर में।
समीक्षा
सबसे पहले बात करते हैं एक्टिंग की। कार्तिक आर्यन को इस फिल्म में अच्छा-ख़ासा मौक़ा मिला था। उनको एक ही फिल्म में दो अलग-अलग किरदारों को निभाना था, लेकिन कार्तिक पूरी तरह इस से चूक गए। बाकी फिल्मों की तुलना में उनका अभिनय काफी ढीला रहा। रघु की भूमिका में उनकी भाव-भंगिमा इतनी अजीब थी कि वो झेलते ही नहीं बन रहे थे। हालांकि, वीर के किरदार को कुछ हद तक संभाल ले गए।
वहीं सारा अली खान को जाने क्या हो गया था कि एक्टिंग दिखाने के चक्कर में ओवरएक्टिंग कर रही थी। इतने अजीब-ओ-गरीब चेहरे बनाकर वो किस तरह का एक्सप्रेशन देने की कोशिश कर रही थीं, वो समझ से परे है।
आरुषि शर्मा की यह पहली फिल्म है और उन्होंने उम्मीद के मुताबिक अच्छा काम किया है। बाकी बचे रणदीप हुड्डा, तो काबिलियत होने के बाद भी उनको स्क्रीनप्ले के चक्कर में मार खानी पड़ी। स्क्रीनस्पेस काफी कम मिला। हालांकि, जितना मिला, उन्होंने उसको भुनाया है। वहीं बाकी कलाकार बस ठीक ही रहे।
अब बात करते हैं निर्देशन और स्क्रीनप्ले की, जिसका पूरा का पूरा श्रेय जाता है इम्तियाज़ अली को। प्रेम की आखिर कौन-सी परिभाषा वो दर्शकों को बताना चाह रहे हैं, समझ में नहीं आता। ऊपर से इतना खींचा हुआ स्क्रीनप्ले, दर्शकों को थिएटर छोड़ने पर मजबूर कर देता है। इम्तियाज़ अली प्रेम के दर्शन को पढ़ाने के चक्कर में दर्शकों को बोर कर देते हैं। एकाध सीन को छोड़ दिया जाए, तो बाकी समय में दर्शक कंफ्यूज़ रहता कि राइटर और डायरेक्टर इम्तियाज़ अली आखिर क्या दिखाना और समझाना चाहते हैं।
इम्तियाज़ ने ही साल 2009 में फिल्म 'लव आज कल' बनाई थी, जो दर्शकों को काफी पसंद आई थी। अब उनकी इस फिल्म की तुलना उस फिल्म से होना लाजिमी है। जब तुलना की जाएगी, तो फिर सोचिए ये 'लव आज कल 2' किस खाने बैठेगी, क्योंकि यह फिल्म हर मायने में उस फिल्म से कमतर है।
इस फिल्म में अच्छे में से अच्छा चुनने की चुनौती नहीं है, बल्कि बुरे में से बुरा चुनने की है। इम्तियाज़ अली इस फिल्म का क्लाइमैक्स, एक्टिंग, प्रेजेंटेशन, म्यूज़िक सबसे ज्यादा बुरा है। अलहदा लव स्टोरी बनाने के चक्कर में गुड़-गोबर करते जा रहे हैं। इतनी सभी बुराइयों के बीच सिनेमैटोग्राफी की तारीफ बनती है।
इम्तियाज़, समय है संभल जाइए। 'हाइवे' को आए अरसा हो गया है, 'हैरी मेट सेजल' और 'लव आज कल 2' सरीखी फिल्में बनाकर, बनी-बनाई छवि को और नुकसान न पहुंचाएं।
ख़ास बात
यदि आपको लव-स्टोरी देखनी भर है, तो फिर ज़रूर जाइए, लेकिन फिल्म से उम्मीदें मत रखिए।