'अमर अकबर एंथोनी' का 'अमर' बनते-बनते रह गया यह अभिनेता
सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले कलाकारों में महानायक अमिताभ बच्चन का नाम शायद सबसे आगे है। आए दिन वो अपने फॉलोवर्स के साथ अपने करियर और जीवन से जुड़ी यादें और बातें शेयर करते रहते हैं। इसी कड़ी में उन्होंने फिल्म 'अमर अकबर एंथोनी' की एक तस्वीर शेयर की। इस फिल्म ने सफलता के नए आयाम छुए थे और अमिताभ बच्चन को उनके करियर का पहला बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। इस फिल्म से जुड़ी कुछ रोचक बातों को आइए आपसे साझा करते हैं।
इस तस्वीर को शेयर करते हुए उन्होंने कैप्शन में फिल्म से जुड़ी जानकारी भी दी है। उन्होंने लिखा है कि 'अमर अकबर एंथोनी' सिर्फ मुंबई के 25 थिएटर्स में 25 सप्ताह तक चली थी। इस फिल्म का मुहूर्त क्लैप धर्मेंद्र ने दिया था।
ग़ौरतलब है कि यह फिल्म साल 1977 में रिलीज़ हुई थी। मनमोहन देसाई के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रच दिया था। यह हिन्दी सिनेमा की वो फिल्म है, जिसे आज भी दर्शक देखना पसंद करते हैं।
T 3457 - Mahurat of 'Amar Akbar Anthony' .. from right Man ji ( Manmohan Desai) ; a bowed headed AB ; Parveen Babi ; Shabana Azmi ; Neetu Singh ; Vinod Khanna ; Dharam ji who gave the clap ..— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) March 2, 2020
AAA , ran 25 weeks in 25 theatres in one city alone - MUMBAI .. all India imagine ! pic.twitter.com/wKpMBIrubZ
अब जब इस फिल्म की बात शुरू हो चुकी है, तो फिर इस फिल्म से जुड़े कुछ दिलचस्प क़िस्से भी जान ही लीजिए।
एक ख़बर से बनी 'अमर अकबर एंथोनी'
फिल्म बनाने से पहले फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार करना पड़ती है और स्क्रिप्ट तैयार करने से पहले कहानी बुनना पड़ता है, जिसमें बरसों-बरस लग जाते हैं। हालांकि, 'अमर अकबर एंथोनी' के मामले में कुछ अजब ही संजोग बन गए। फिल्म के निर्देशक ने सुबह ख़बर पढ़ी और देर रात तक कहानी तैयार हो चुकी थी। अटपटा है न यह किस्सा।
हुआ ऐसा कि निर्देशक मनमोहन सुबह-सुबह अख़बार पढ़ रहे थे। इसमें एक ख़बर पर उनकी नज़र अटक गई। ख़बर थी कि एक व्यक्ति अपने तीन बेटों को पार्क में लेकर गया और उन्हें छोड़कर उसने आत्महत्या कर ली। इस बात ने मनमोहन देसाई के दिल को छू लिया। वो दिनभर इस बार पर सोचते रहे और परेशान होते रहे। शाम होते-होते उनके दोस्त राइटर प्रयागराज उनसे मिलने आ गए। दरअसल, प्रयागराज को मनमोहन देसाई के फॉर्म हाउस की चाबी चाहिए थी, क्योंकि वो कुछ दिन आराम करना चाहते थे।
ख़ैर, अपने दोस्त को देखते ही मनमोहन देसाई ने ख़बर दिखाया और उनसे कहा, 'सोचो अगर उस आदमी ने आत्महत्या नहीं की और जब लौटकर पार्क में आया, तो उसने देखा कि उसके तीनों बेटे वहां नहीं हैं। अब वो कैसे रिएक्ट करेंगा?'
इसी सवाल के जवाब को तलाशते हुए 'अमर अकबर एंथोनी' की कहानी शुरू हो गई। प्रयागराज, मनमोहन देसाई के साथ कई फिल्मों में काम कर चुके थे। अब उन्होंने इस फिल्म पर काम करना शुरू कर दिया।
मनमोहन देसाई की शुरू की गई उस कहानी में अगली कड़ी प्रयागराज ने जोड़ा और कहा, 'क्या हो यदि बच्चों को तीन अलग-अलग लोग वहां से लेकर चले गए। वो भी अलग-अलग धर्म के। एक हिन्दू, एक मुस्लिम और एक ईसाई।'
धीरे-धीरे बात जमने लगी और शाम, रीत में तब्दील हुई और इस तरह तीन बिछड़े भाईयों की कहानी ने आकार ले लिया। कहानी का खाका तो तैयार हो गया था, लेकिन अभी काफी काम बाकी थी। लिहाजा प्रयागराज और मनमोहन देसाई की मुलाकाते तेज़ हुईं।
फिल्म की स्टोरी लाइन में जीवप्रभा देसाई का नाम भी आप लोगों ने गौर किया होगा। बता दें कि जीवन प्रभा मनमोहन देसाई की पत्नी थीं, जिन्होंने फिल्म 'अमर अकबर एंथोनी' में अहम पुट दिए थे।
प्रयागराज की शर्त
मनमोहन देसाई के सामने उनके राइटर दोस्त ने एक शर्त रख दी। दरअसल, प्रयागराज का कहना था कि मैं इस कहानी को और चमका सकता हूं, क्योंकि मैं एक राइटर होने के नाते बता सकता हूं कि यह फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित होगी। लेकिन इसके लिए एक शर्त है। मनमोहन देसाई ने पूछा कि वो क्या शर्त है, तो इसके जवाब में प्रयागराज ने कहा कि वो इस फिल्म के सिर्फ डायरेक्ट न करें, बल्कि इसे प्रोड्यूस भी करें।
प्रयागराज की इच्छा थी कि मनमोगन देसाई अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करें। मनमोहन देसाई अपने दोस्त की बात मान गए। इस फिल्म से उन्होंने बतौर प्रोड्यूसर भी अपना सफर शुरू किया।
धर्मेंद्र को ऑफर किया 'अमर' का रोल
कास्टिंग शुरू हुई। मनमोहन देसाई के साथ धर्मेंद्र 'चाचा भतीजा' की शूटिंग कर रहे थे और इसी सेट पर मनमोहन देसाई ने उनकी अपनी फिल्म 'अमर अकबर एंथोनी' में 'अमर' का रोल ऑफर किया, लेकिन धर्मेंद्र तब कई फिल्मों में व्यस्त थे। इसलिए वो चाहते थे कि 'अमर' के रोल को छोटा कर दिया जाए, तो वो इस फिल्म से जुड़ेंगे। देसाई को यह बात बुरी लगी और उन्होंने 'अमर' के लिए विनोद खन्ना को कास्ट कर लिया।
वहीं कभी अमिताभ बच्चन को 'चिकन रोल' ऑफर करने की बात कहने वाले मनमोहन देसाई ने 'एंथोनी' के लिए उनको साइन कर लिया। फिल्म में 'मिरर सीन' की परफॉर्मेंस के बाद अमिताभ से मनमोहन देसाई ने यह तक कह दिया था कि तुम चाहे मुझे छोड़ दो, लेकिन मैं तुमको कभी-भी नहीं छोड़ूंगा। इसके बाद तो अमिताभ और मनमोहम देसाई ने 'परवरिश', 'सुहाग', 'नसीब', 'देश प्रेमी', 'कुली' और 'गंगा जमुना सरस्वती' कई फिल्में कीं।
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का संगीत
लंबी-चौड़ी स्टारकास्ट वाली फिल्म को संगीत से सजाने के जिम्मा लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी को दिया गया। न सिर्फ यह फिल्म, बल्कि इसके गाने भी जबरदस्त हिट हुए। 27 मई 1977 को सिनेमाघरों में उतरी इस फिल्म ने 12 करोड़ रूपए का कारोबार किया था।
यह अमिताभ बच्चन के करियर की पहली फिल्म थी, जिसने उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दिलवाया था।
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