'मेरे अंगने में' को क्यों बर्बाद किया, कुछ और न मिला?
आज एक 'होली सॉन्ग' रिलीज़ हुआ है, जिसका नाम है 'मेरे अंगने में'...। यह आसिम रियाज़ के करियर का बोहनी सॉन्ग है, जिसमें उनके साथ स्क्रीन पर जैकलीन फर्नांडिज़ नज़र आ रही हैं। अमिताभ बच्चन की फिल्म 'लावारिस' के पॉपुलर सॉन्ग 'मेरे अंगने' से हुकलाइन उठा कर इस गाने को बनाया गया है। वैसे, सच मानिये तो इसे बनाना नहीं 'बर्बाद' करना कहते हैं।
साल 1981 में फिल्म आई थी 'लावारिस', जिसमें एक गाना था 'मेरे अंगने में'। इस गाने को अमिताभ बच्चन पर पिक्चराइज़ किया गया था और इसे गाया भी अमिताभ बच्चन ने ही। फिल्म तो सुपरहिट हुई ही, लेकिन इस गाने ने तो रिकॉर्ड ही तोड़ दिये। इस फिल्म के बाद जब भी अमिताभ किसी कार्यक्रम में जाते, उनसे इस गाने को गाने की फरमाईश की जाती रही। अमिताभ भी पूरे जोश में इस गाने को गाते थे।
ख़ैर , आज भी इस गाने को यू-ट्यूब से लेकर टीवी में देखना और ऑडियो फॉर्म में सुनना पसंद किया जाता है। लेकिन इस गाने की हुकलाइन के साथ एक नया गाना आज रिलीज़ किया गया है, जिसे 'होली सॉन्ग' का नाम दिया गया है।
'बिग बॉस 13' के रनरअप रहे आसिम रियाज़ ने इस गाने से अपनी बोहनी की है यानी शुरुआत की है। हालंकि, वो इस गाने में कर क्या रहे हैं, इसके बारे में शायद आसिम को ही बेहतर पता हो। वहीं आसिम के साथ इस गाने में जैकलीन फर्नांडिज़ नज़र आ रही हैं। उनके चेहरे पर किसी तरह का कोई भाव ही नहीं दिखाई देता, मतलब एक्सप्रेशनलेस फेस के साथ कोई कैसे एक्टिंग कर सकता है।
गाने में साल 1435 से लेकर 2020 तक का सफर दिखाया गया है, जिसमें जैकलीन एक राजकुमारी हैं, जिसकी शादी बुजुर्ग राजा से तय हो जाती है। अब न तो बुजुर्ग राजा से शादी का दुख औऱ ना ही अजनबी के उनके स्नानागार में आने का आश्चर्य नज़र आता है। बस मशीन की तरह ठुमकों में जान दिखती है।
वहीं अब यदि गाने के बोल की बातें करें, तो 'लावारिस' की हुकलाइन 'मेरे अंगने में' को लेकर अजीब-सी तुकबंदी के साथ गाना लिख दिया। कुलमिलाकर गाने का तियापांचा कर दिया है। वहीं संगीत तनिष्क बागची का है, जो जल्दबाजी में तैयार मालूम पड़ता है।
टी-सीरीज़ के इस म्यूजिक विनय सप्रू और राधिका राव ने निर्देशित किया है। राधिका-विनय म्यूज़िक वीडियो इंडस्ट्री में प्रतिष्ठित नाम हैं, लेकिन इस वीडियो को देखकर उनको भी कुछ ख़ास मज़ा नहीं आएगा।
इस गाने को नेहा कक्कड़ और राजा हसन ने गाया है। जब सारे मामले फीकें हैं, तो मस्तीभरा अंदाज़ कहां तक कश्ती को खींचेगा।