धर्मेंद्र ने पूरी रात ऋषिकेश मुखर्जी को किया फोन, नींद कर दी थी हराम

राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के फिल्मी करियर की जब भी बात होगी, तो फिल्म 'आनंद' का जिक्र ज़रूर आएगा, लेकिन ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता कि इस फिल्म के बनने की कहानी फिल्म से भी ज्यादा दिलचस्प है। ऐसे फिल्म से जुड़े कुछ रोचक क़िस्से हम लेकर आए हैं। जापानी फिल्मेकर अकीरा कुरोसावा की फिल्म से प्रेरित इस फिल्म की शूटिंग सिर्फ 28 दिनों में पूरी हो गई थी। वहीं इस फिल्म के लिए ऋषिकेश मुखर्जी को धर्मेंद्र ने रात भर सोने भी नहीं दिया था। विस्तार से रिपोर्ट में पढ़िए। 

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साल 1971 की 12 मार्च को ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'आनंद' रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में तब के सुपरस्टार राजेश खन्ना केंद्रीय भूमिका में थे, जबकि नए-नवेले कलाकार अमिताभ बच्चन को इस फिल्म ने पहचान दिलवाई। साल 2020 में इस फिल्म को रिलीज़ हुए 49 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी यह फिल्म दर्शकों को उतनी ही भाती है।

फिल्मों को रेटिंग देने वाली वेबसाइट आईएमडीबी के मुताबिक 'आनंद' इंडिया की हाइएस्ट रेटेड फिल्म है। यह फिल्म जापानी फिल्मकार अकीरा कुरोसावा की साल 1952 में आई फिल्म 'इकीरू' से इंस्पायर्ड थी। 

इस फिल्म के लिए राजेश खन्ना ने 7 लाख रुपए बतौर मेहनताना लिया था, जो उनकी फीस से काफी कम था। वहीं अमिताभ बच्चन पहले इस फिल्म को करने से कतरा रहे थे, लेकिन महमूद के कहने पर उन्होंने यह फिल्म किया और उनको उनके करियर की पहली हिट फिल्म मिली। जबकि फिल्म का स्क्रीनप्ले गुलज़ार ने लिखा था और साथ ही कुछ गानों के लिरिक्स भी उन्होंने सजेस्ट भी किए थे। इस फिल्म की पूरी शूटिंग सिर्फ 28 दिनों में पूरी हो गई थी।

फिल्म 'आनंद' के बनने की कहानी काफी दिलचस्प है, तो फिर आइए आपको बताते हैं इस फिल्म से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य। 

'आनंद' बनते-बनते रह गए धर्मेंद्र

अपने पोते करण देओल की डेब्यू फिल्म 'पल पल दिल के पास' के प्रमोशन के सिलसिले में जब धर्मेंद्र कपिल शर्मा के शो पर पहुंचे, तो वहां उन्होंने फिल्म 'आनंद' से जुड़े खुलासा किया। उन्होंने इस शो में बताया कि ऋषिकेश फिल्म की पूरी कहानी कभी नहीं बताते थे, वो सिर्फ आउटलाइन देते थे। ऐसे ही जब मुंबई से बैंगलुरू जा रहे थे, तो उन्होंने फ्लाइट में फिल्म 'आनंद' की आउटलाइन सुनाई। फिर कहा था, ये करना है, वो करना है। इसके बाद मुझे पता चला कि फिल्म की शूटिंग राजेश खन्ना के साथ शुरू हो गई। 

धर्मेंद्र आगे कहते हैं कि मैं थोड़ी टिकाता हूं न, तो सारी रात मैंने ऋषि दा को सोने नहीं दिया। मैं फोन लगाता और वो उधर से कहते, 'सो जा धरम', लेकिन मैं कहता कि तुस्सी तो ये रोल मैंने देना था न। ये कहानी तो मैंने सुनी थी न, कित्थे गई। रात भर फोन कर कहता रहा कि मेरी फिल्म उसको क्यों दी। ऋषि दा रातभर कहते रहे, 'सो जा धरम'। बता दें इस फिल्म को ऋषिकेश मुखर्जी ने लिखी और निर्देशित भी की थी। 

राजकपूर थे पहली पसंद

फिल्म के लिए ऋषिकेश मुखर्जी की पहली पसंद राजकपूर थे। राजकपूर और ऋषिकेश मुखर्जी पक्के दोस्त थे। जब ऋषिकेश इस फिल्म का प्रस्ताव लेकर राजकपूर से बात हुई थी, तब राजकपूर काफी बीमार थे। ऐसे में वो अपने दोस्त को स्क्रीन पर मरता हुआ नहीं देखना चाहते थे। इसलिए राजकपूर की इच्छा रहते हुए भी ऋषिकपूर ने दूसरे विकल्प के बारे में सोचना शुरू किया। 

ऋषिकेश इस फिल्म को लेकर शशि कपूर के पास गए, लेकिन उन्होंने इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। इसके बाद वो किशोर कुमार के नाम पर विचार करने लगे थे।

किशोर के हाथ से फिसली 'आनंद'

ऋषिकेश मुखर्जी अपनी फिल्म 'आनंद' में किशोर कुमार को केंद्रीय भूमिका में लेना चाहते थे। इसलिए वो किशोर कुमार से मिलने उनके बंगले पर पहुंचे, लेकिन किशोर कुमार के गार्ड ने उनको दरवाज़े से ही भगा दिया। 

दरअसल, मामला यह कि उन दिनों किशोर कुमार का एक बंगाली डायरेक्टर से पेमेंट को लेकर झगड़ा हो गया था। इसलिए अपने गार्ड को किशोर कुमार ने सख्त हिदायत दी थी कि कोई भी बंगाली आदमी मुझसे मिलने आए, तो बिना पूछे ही भगा देना। उस दिन बदकिस्मती से ऋषिकेश मुखर्जी, किशोर कुमार से फिल्म 'आनंद' के सिलसिले में मिलने पहुंचे और गार्ड ने उनको भला-बुरा कह कर भगा दिया। 

इस बर्ताव से ऋषिकेश मुखर्जी खासे खफा हुए और उन्होंने तुरंत राजेश खन्ना को फिल्म में कास्ट कर लिया। बाद में जब किशोर कुमार को यह बात पता चली, तो उन्होंने गार्ड को निकाल दिया और ऋषिकेश से मिलने पहुंच गए, लेकिन ऋषिकेश ने उनकी कोई भी बात नहीं मानी। गाने तो ज़रूर फिल्म में गवा लिया, लेकिन अपनी किसी फिल्म में उनको कास्ट नहीं किया। 

राजेश खन्ना की 'लेट-लतीफी'

ऋषिकेष मुखर्जी की फिल्म को करने के लिए राजेश खन्ना काफी बेताब थे। इसलिए उन्होंने ऋषिकेश मुखर्जी की सारी शर्तों के साथ इस फिल्म को साइन किया, लेकिन अपनी लेट-लतीफी के चक्कर में वो बुरे फंसे। 

हुआ यह कि ऋषिकेश मुखर्जी एक साथ तीन फिल्मों की शूटिंग कर रहे थे। पहली फिल्म 'बुड्ढा मिल गया', दूसरी 'गुड्डी' और तीसरी 'आनंद'। ऐसे में वक्त को लेकर वो काफी पाबंद और सख्त थे। एक फिल्म के सेट से दूसरी फिल्म के सेट पर आने-जाने में समय बर्बाद न हो, इससे बचने के लिए तीनों ही फिल्म के सेट को मोहन स्टूडियो में लगवाए थे। 

राजेश खन्ना तब के सुपरस्टार और सेट पर देर से पहुंचना उनकी आदत बन चुकी थी। थोड़ी-बहुत देरी को ऋषिकेश मुखर्जी झेल रहे थे, लेकिन एक दिन राजेश खन्ना ने ज़रूरत से ज्यादा ही देर लगा दी। 

अब जब राजेश खन्ना 'आनंद' के सेट पर पहुंचे, तो पाया कि ऋषिकेश मुखर्जी शतरंज खेल रहे हैं। राजेश खन्ना को आते देख शतरंज खेलते हुए ऋषिकेश मुखर्जी ने उनको हेयर-मेकअप के लिए भेज दिया। अब जैसे ही वो तैयार होकर आए, तो ऋषिकेश मुखर्जी ने उनको देखा और ज़ोर से चिल्लाए, 'पैक-अप'। फिर क्या सेट पर सुई पटक सन्नाटा छा गया। राजेश खन्ना ने तुरंत ऋषिकेश से माफी मांगी और दोबारा कभी लेट न आने का वादा भी किया। ऐसे एक सुपरस्टार के दिमाग़ को ठिकाने से लगाया था ऋषिकेश मुखर्जी ने। 


ऐसे आए 'बाबूमोशाय' 

फिल्म 'आनंद' में राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन को 'बाबूमोशाय' कह कर बुलाते थे। अमिताभ बच्चन फिल्म में डॉ. भास्कर बनर्जी के किरदार में थे। इस 'बाबूमोशाय' संबोधन का ऋषिकेश मुखर्जी से गहरा नाता है। 

दरअसल, ऋषिकेश मुखर्जी के जिगरी दोस्त राजकपूर उनको 'बाबूमोशाय' कहा करते थे। बंगाली में 'बाबूमोशाय' का मतलब जेंटलमैन होता है। राज कपूर जिस लहजे में ऋषिकेश मुखर्जी को 'बाबूमोशाय' कहा करते थे, ठीक वही लहजा फिल्म में राजेश खन्ना ने अपनाया है। अब जब भी फिल्म देखें, तो राजेश खन्ना के 'बाबूमोशाय' कहने के लहजे को देखिएगा। राजकपूर झांक जाएंगे। 

'ज़िंदगी कैसी है पहेली' की कहानी

समंदर किनारे घूमते 'आनंद' के हाथों में रंग-बिरंगे गुब्बारे...झट से दिमाग़ में आया न 'ज़िंदगी कैसी है पहेली'। लेकिन कम लोगों को पता होगा कि असल में यह गाना फिल्म में बतौर बैकग्राउंड स्कोर यूज़ होने वाला था, लेकिन जैसे ही इसे राजेश खन्ना ने सुना, तो कहा कि इतने खूबसूरत सॉन्ग को बैकग्राउंड सॉन्ग बनाना ठीक नहीं है। इसके लिए सिचुएशन गढ़िए और फिल्माइए। ऋषिकेश मुखर्जी को राजेश खन्ना की सलाह भा गई और फिर बन गया यह जबरदस्त गाना। 

महमूद के कहने पर बने 'डॉक्टर भास्कर'

किसी फिल्म में सेकेंडरी रोल नहीं करना चाहते थे अमिताभ बच्चन, लेकिन जब महमूद को पता चला, तो उन्होंने अमिताभ को समझाया कि यह किरदार कर लो। काम करने से मतलब रखो, बाकी ज्यादा सोचो मत। फिर क्या महमूद का कहा अमिताभ टालते नहीं थे और वो बन गए 'डॉक्टर भास्कर बैनर्जी'। वैसे, अमिताभ से पहले ऋषिकेश मुखर्जी चाहते थे कि भास्कर बैनर्जी या तो सौमित्र चटर्जी बने या फिर उत्तम कुमार। 

'आनंद' का वो मुश्किल सीन

फिल्म 'आनंद' के समय अमिताभ बच्चन को एक सीन करने में कुछ दिक्कत आ रही थी, जिसमें उनकी मदद एक्टर-डायरेक्टर महमूद ने की थी। इस बात का खुलासा राजेश खन्ना के निधन के बाद अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में किया था। 

अपने ब्लॉग में उन्होंने लिखा कि फिल्म 'आनंद' में राजेश खन्ना के किरदार के निधन के बाद किस तरह के एक्सप्रेशन देने हैं, क्या कुछ करना है, मुझे समझ नहीं आ रहा था। ऐसे में मैंने एक्टर-डायरेक्टर महमूद से सलाह ली। दरअसल, उस वक्त मैं उनके घर पर ही रहा करता था। 

अमिताभ लिखते हैं कि महमूद ने कहा कि बस ऐसा सोचो की राजेश खन्ना सच में ही मर गए हैं और बाकी सब तुम ठीक से कर लोगे। वो आगे लिखते हैं कि महमूद न सिर्फ उन्हें एक्टिंग के ट्यूटोरियल दे रहे थे, बल्कि वो इस बात का भी अहसास दिला रहे थे कि राजेश खन्ना उस दौर में कितने बड़े सुपरस्टार हुआ करते थे।