संजय लीला भंसाली के 'बैजू बावरा' में होंगे रणवीर सिंह और आलिया भट्ट
ज़ोया अख्तर की फिल्म 'गली बॉय' के बाद रणवीर सिंह और आलिया भट्ट की जोड़ी एक बार फिर सिल्वर स्क्रीन पर नज़र आने वाली है। इस बार रणवीर-आलिया की जोड़ी संजय लीला भंसाली बनाने जा रहे हैं। फिलहाल फिल्म की स्क्रिप्ट पर ज़ोर-शोर से काम चालू है और फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' के बाद 'बैजू बावरा' की शूटिंग शुरू होने के आसार हैं।
कोरोना वायरस के बढ़ते ख़तरे के चलते फिल्म इंडस्ट्री पूरी तरह से बंद है। फिल्मों और टेलीविज़न इंडस्ट्री की शूटिंग पूरी तरह से ठप्प है, लेकिन संजय लीला भंसाली घर में बंद होने के बाद भी काम को पूरी तरह से चालू रखे हुए हैं।
दरअसल, इन बीते दिनों उनकी फिल्म 'गंगूबाई काठिावाड़ी' की शूटिंग चालू थी, लेकिन अब जबकि शूटिंग बंद हो गई है, तो भंसाली ने अपनी अगली फिल्म की स्क्रिप्टिंग लगभग पूरी कर है और इन दिनों वो इस फिल्म के संगीत पर काम कर रहे हैं।
सूत्रों की माने तो पीरियड ड्रामा फिल्मों के महारथी संजय लीला भंसाली की इस फिल्म के लिए आलिया भट्ट ने 'हामी' भी भर दी है। वहीं रणवीर से भंसाली के अच्छे टर्म्स हैं, जिसकी वजह से फिल्म में उनकी कास्टिंग लगभग तय मानी जा रही है।
रणवीर सिह और दीपिका पादुकोण की जोड़ी संजय लीला भंसाली की तीन फिल्मों में नज़र आ चुकी है, लेकिन लगता है कि अब भंसाली की फेवरेट आलिया बनती दिख रही हैं। तभी तो 'गंगूबाई काठियावाड़ी' के बाद अगली फिल्म भी उनको लेकर बना रहे हैं, जो 11 सितंबर को रिलीज़ होने वाली है।
भंसाली प्रोडक्शन से जुड़े सूत्रों की माने, तो भंसाली को आलिया भट्ट का काम इतना पसंद आया कि उन्होंने बिना देर किए अपनी अगली फिल्म के लिए उनको साइन करने का मन बना लिया। ख़बरें यह भी थीं कि रणवीर फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' में एक छोटी सी भूमिका करते हुए दिखेंगे। बता दें कि फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' साठ के दशक की मशहूर लेडी डॉन 'गंगूबाई काठियावाड़ी' पर बेस्ड फिल्म है।
ख़ैर, यदि बात करे फिल्म 'बैजू बावरा' की, तो यह फिल्म साल 1952 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में मीना कुमारी और भारत भूषण मुख्य भूमिकाओं में मुख्य भूमिका में थे, जबकि फिल्म का निर्देशन विजय भट्ट ने किया था और संगीत नौसाद ने दिया था।
'बैजू बावरा' 15वीं सदी के मशहूर संगीतकार थे। वह ध्रुपद गायकी के लिए काफी मशहूर थे। उन्होंने अकबर के दरबार में शास्त्रीय संगीत के एक महान ज्ञाता तानसेन को संगीत द्वंद्व के लिए चुनौती दी थी। वह तानसेन को अपने संगीतकार पिता की मौत का जिम्मेदार मानते थे।