अपने फिल्म के 'हीरो' के साथ गायब हो गई थीं देविका रानी
एक फिल्म की शूटिंग चल रही थी, जिसके नायक और नायिका ट्रेन में बैठ कर अचानक फरार हो जाते हैं। फिल्म का यह सीन हू-ब-हू, नायक और नायिका ने असल ज़िंदगी में भी दोहराया। यह क़िस्सा है, देविका रानी और उनके को-स्टार और कथित प्रेमी नजमुल हसन के बारे में।
बॉम्बे टॉकीज़ ने अपने बैनर की स्थापना की और इस बैनर के तले पहली फिल्म 'जवानी की हवा' का निर्माण शुरू हुआ। अब हिमांशु राय तो पूरी तरह से फिल्म निर्माण में व्यस्त थे। इसलिए एक्टिंग से कुछ दूरी बना ली, लेकिन अपनी पत्नी अभिनेत्री देविका रानी को अपने बैनर तले बन रही फिल्मों में मुख्य भूमिकाओं में रखते रहे।
अब फिल्म 'जवानी की हवा' की कास्टिंग हुई, तो देविका रानी के अपोज़िट नजमुल हसन को कास्ट किया गया। लखनऊ का रहने वाला यह लड़का काफी हैंडसम था। फिल्म 'जवानी की हवा' की कहानी कुछ यूं थी कि फिल्म की नायिका कमला (देविका रानी) एक दिन घर छोड़ कर गायब हो जाती है। परिवार ने कमला की शादी किसी और से तय कर दी होती है। ऐसे में वह अपने प्रेमी रतनलाल (नजमुल हसन)के साथ भाग जाती है।
'जवानी की हवा' फिल्म बनी और रिलीज़ हुई। इस फिल्म की कहानी एक बार फिर से असल में दोहराई जाने वाली थी और वह भी बॉम्बे टॉकीज की दूसरी फिल्म की शूटिंग के दौरान।
'जीवन नैया' नाम की फिल्म शुरू हुई, जिसमें पिछली फिल्म के कास्ट को रिपीट किया गया यानी देविका रानी के साथ नजमुल हसन। बवाल तब मचा, जब हीरो नजमुल हसन और हीरोइन देविका रानी रातोंरात गायब हो गए।
हमेशा काम में डूबे रहने वाले हिमांशु राय सकते में आ गए कि आखिर यह सब कब और कैसे हो गया। एक तरफ फिल्म की शूटिंग रोक कर हीरो-हीरोइन की तलाश शुरू हुई, तो दूसरी तरफ पत्नी से मिले धोखे से हिमांशु राय आहत हो गए थे। ऐसे में हिमांशु राय को शशधर मुखर्जी ने संभाला। शशधर मुखर्जी, हिमांशु राय के भरोसेमंद लोगों में से एक थे और बॉम्बे टॉकीज से जुड़े थे। वो बॉम्बे टॉकीज के साउंड डिपार्टमेंट में सावक वाचा का सहायक बना दिया। देविका रानी, मुखर्जी को भाई की तरह मानती थीं।
इस वाकये के बारे में सआदत हसन मंटो, शशधर मुखर्जी ने चुपचाप देविका रानी की तलाश तेज की। आखिर दोनों कोलकाता के एक होटल में मिले। मुखर्जी, देविका से मिलने जा पहुंचे। बातचीत करने के बाद शशधर मुखर्जी समझ गए थे कि देविका का दिल हिमांशु से उठ गया है और वो नजमुल से शादी के बारे में सोच रहे हैं।
ऐसे नाजुक हालात में शशधर ने देविका को समझाया-बुझाया और फिर वापस मुंबई ले आए। देविका मुंबई अपनी शर्तों पर वापस लौटी थीं। इनमें पति हिमांशु राय से दूरी के साथ ही अपने लिए आर्थिक आजादी की मांग शामिल थी। उनकी मांगें मान ली गई। इस तरह देविका रानी हिमांशु राय साथ रह कर भी एक दूसरे से दूर हो गए। इदर नजमुल को हिमांशु राय ने नौकरी से निकाल दिया।
फिल्म से हीरो का पत्ता साफ, तो फिर इतनी जल्दी कहां से हीरो लाएं। ऐसे में हिमांशु राय के लिए शशधर मुखर्जी तारणहार बन कर आए। उन्होंने अपने साले अशोक कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा। अशोक कुमार के पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे, लेकिन जीजा शशधर मुखर्जी ने उन्हें बॉम्बे टॉकीज की लैब में बिना किसी तनख्वाह के काम सीखने पर लगवा दिया था।
ख़ैर, मुखर्जी के प्रस्ताव पर हिमांशु राय ने अशोक कुमार को बुलवाया। अशोक कुमार हिमांशु राय को पसंद आ गए और उन्हें ‘जीवन नैया’ का हीरो बना दिया। इस तरह से अशोक कुमार का सिने करियर शुरू हो गया और देविका-नजमुल की लव-स्टोरी का 'द एंड' हुआ।