'महाभारत' से जुड़ी इन दिलचस्प बातों को जानते हैं आप?
बीआर चोपड़ा की 'महाभारत' में जूही चावला 'द्रोपदी', गोविंदा 'अभिमन्यु' बनने वाले थे। वहीं 'नकुल-सहदेव' बने कलाकार असल ज़िंदगी में भी सगे भाई हैं। 'भीष्म' के नाम से पहचाने जाने वाले मुकेश खन्ना को 'द्रोण' की भूमिका के लिए चुना गया था, लेकिन बाद में इस फैसले को बदल दिया गया। क्यों...यहां पढ़िए।
बीआर चोपड़ा की 'महाभारत' का दोबारा प्रसारण शुरू हो गया है। इस धारावाहिक को आज भी दर्शक उतना ही पसंद करते हैं, जितना पहले पसंद किया करते थे। बता दें कि 'महाभारत' का पहला एपिसोड 32 साल पहले 2 अक्टूबर, 1988 को दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था। कुल 94 एपिसोड का यह धारावाहिक 9 करोड़ की लागत से बना था। यहां तक कि बीबीसी ने लंदन में इसके प्रसारण किया और वहां भी 'महाभारत' को अच्छी-खासी व्यूवरशिप मिली।
यह धारावाहिक रवि चोपड़ा द्वारा निर्देशित और बीआर चोपड़ा द्वारा निर्मित था। इस धारावाहिक के लिए रिसर्च सतीश भटनागर और उनकी टीम ने किया था। रिसर्च के दौरान 'महाभारत' पर विभिन्न भाषाओं में मौजूद कई किताबों का अध्ययन किया था।
बीआर चोपड़ा 'महाभारत' के नरेशन के लिए दिलीप कुमार और एनटी रामाराव सरीखे कलाकारों को लेना चाहते थे, लेकिन डॉक्टर राही मासूम रज़ा ने उन्हें 'मैं समय हूं' का सुझाव दिया, जिसे हरीश भिमानी ने आवाज़ दिया था।
चोटिल हुए 'महाभारत' के 'कर्ण'
'महाभारत' में 'कर्ण' का किरदार निभाने वाले पंकज धीर शूटिंग के दौरान कई बार दुर्घटना के शिकार हुए। एक बार तो तीर उनकी आंखों को छूता हुआ निकला, बाद में उनकी आंख की सर्जरी करवानी पड़ी। वहीं एक बार रथ टूट गया, तो घोड़े बेकाबू होकर दौड़ पड़े थे। उस दौरान भी पंकज की जान सांसत में आ गई थी।गोविंदा-चंकी 'अभिमन्यु'
'महाभारत' में पहले गोविंदा का कास्ट किया गया था, लेकिन बाद फिल्म मिलने की वजह से उन्होंने 'महाभारत' छोड़ दिया। बाद में 'महाभारत' में मास्टर मयूर यानी मयूर वर्मा ने 'अभिमन्यु' की भूमिका निभाई थी। चंकी पांडेय का नाम भी 'अभिमन्यु' की भूमिका के लिए चर्चा में रहा।'महाभारत' के 'अर्जुन'
बीआर चोपड़ा ने 'महाभारत' के लिए पहले जैकी श्रॉफ के नाम पर विचार किया था, लेकिन ऑडिशन में जैकी श्रॉफ फेल हो गए। इसके बाद फिरोज़ खान को 'अर्जुन' की भूमिका मिली। बाद में फिरोज़ ने हमेशा के लिए अपना नाम 'अर्जुन' रख लिया।'कृष्ण' नितिश भारद्वाज
'महाभारत' में 'कृष्ण' का चरित्र निभाने वाले नितिश भारद्वाज का इस भूमिका को पाने का सफर इतना भी आसान नहीं रहा। पहले तो बीआर चोपड़ा एक्सपीरियंस की कमी के चलते ऑडिशन ही नहीं लेना चाहते थे, लेकिन बाद में रवि चोपड़ा के कहने पर उनका ऑडिशन लिया गया। हालांकि, नितिश को चोपड़ा 'नकुल सहदेव' का किरदार देने का मन बना रहे थे, जबकि खुद नितिश 'अभिमन्यु' बनना चाहते थे।ख़ैर, 'कृष्ण' के लिए दिए गए 55 स्क्रीन टेस्ट्स में से नितिश को चुना गया। 'कृष्ण' के लिए गजेंद्र चौहान, जो 'युधिष्ठर' बने थे, और ऋषभ शुक्ला, जो 'शांतनु' की भूमिका में थे, ने भी ऑडिशन दिया था। कहा जाता है कि 'महाभारत' में 'विधुर' की भूमिका निभाने वाले वीरेंद्र राजदान ने रवि चोपड़ा से नितिश भारद्वाज के बारे में विचार करने को कहा था।
'कृष्ण' की भूमिका ने नितिश भारद्वाज को लोकप्रिय कर दिया। यहां तक कि उनको कई जगहों पर 'कृष्ण' की तरह पूजते भी हैं।
'भीम' थे नेशनल एथलीट
'महाभारत' में 'भीम' की भूमिका निभाने वाले प्रवीण कुमार ने एशियाई गेम्स में गोल्ड मेडल जीता थी। प्रवीण 'चक्का फेंक और गोला फेंक' एशियार्ड चैम्पियन थे। एथलेटिक्स के लिए 'अर्जुन अवॉर्ड' से इनको नवाज़ा गया है। साल 2013 में आम आदमी पार्टी के टिकट से इन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए और साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी जॉइन कर ली।सगे 'चित्रे' भाई बने 'नकुल सहदेव'
'महाभारत' में सगे भाईयों ने 'नकुल-सहदेव' की भूमिका निभाई। समीर चित्रे और संजीव चित्रे ने इस भूमिका को निभाया।'महाभारत' की 'द्रौपदी'
बीआर चोपड़ी के लिए 'द्रौपदी' का कास्टिंग भी टेड़ी खीर रही। पहले 'द्रोपदी' के लिए जूही चावला को चुन लिया गया था, लेकिन तभी नासिर हुसैन की फिल्म 'कयामत से कयामत तक' का प्रस्ताव भी जूही के पास आया। ऐसे में जब नासिर हुसैन ने जब जूही से दोनों में से किसी एक को चुनने के लिए कहा, तो बीआर चोपड़ा ने उनको 'कयामत से कयामत तक' को चुनने के लिए कहा।यही नहीं 'बाहुबली' की 'शिवगामी' यानी राम्या कृष्णन ने भी 'द्रौपदी' की भूमिका के लिए ऑडिशन दिया था, लेकिन हिन्दी में हाथ तंग होने की वजह से यह भूमिका उनके हाथ से निकल गई। फिर पंडित नरेंद्र शर्मा के कहने पर रूपा गांगुली को 'द्रौपदी' के ऑडिशन के लिए बुलाया गया और वो सिलेक्ट हुईं।
'भीष्म' की भूमिका
आज भले ही सब मुकेश खन्ना को 'भीष्म' की भूमिका के लिए जानते हैं, लेकिन वो खुद 'भीष्म' की भूमिका नहीं निभाना चाहते थे। दरअसल, वो नेगेटिव कैरेक्टर्स नहीं निभाना चाहते थे, बल्कि वो तो 'अर्जुन' या 'कर्ण' के किरदार के लिए ऑडिशन दे चुके थे। हालांकि, दोनों ही ऑडिशन में उनका सिलेक्शन नहीं हुआ था। बाद में उनको 'द्रोण' की भूमिका दी गई।अब जब मुकेश खन्ना की कॉस्ट्यूम और मेकअप के साथ बाहर आए, तो बीआर चोपड़ा ने उन्हें देखते हुए कहा, 'यह है हमारे भीष्म'।
कास्टिंग डायरेक्टर 'शकुनी'
गुफी पेंटल 'महाभारत' के कास्टिंग डायरेक्टर थे और उन्होंने 'शकुनि' की भूमिका भी निभाई थी। 'महाभारत' टीवी शो में विभिन्न भूमिकाओं को निभाने के लिए 15,000 से अधिक लोगों ने ऑडिशन दिया है। फिर स्क्रीनिंग के बाद उनमें से 1500 को कास्टिंग विभाग द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया। विभिन्न पात्रों को अंतिम रूप देने के लिए उसे 8 महीने की वीडियो टेस्टिंग और हिंदी डिक्शन टेस्ट में लग गए।फिर बीआर चोपड़ा और उनकी टीम ने साल 1986 में दूरदर्शन पर 'महाभारत' टीवी सीरीज़ की अंतिम स्टोरीलाइन को सभी 104 एपिसोडों के ब्रेकडाउन के साथ जमा किया था। बाद में इसे छोटा करके 94 एपिसोड कर दिया गया।
'महाभारत' के किरदारों की कहानी
मुकेश खन्ना के 'भीष्म' बनाये जाने के बाद सुरेन्द्र पाल को 'द्रोणाचार्य' की भूमिका मिली। पुनीत इस्सर को 'भीम' का किरदार मिल गया था, लेकिन उनके बार-बार कहने पर 'दुर्योधन' की भूमिका दे दी गई। 'युधिष्ठर' की भूमिका निभाने वाले गजेन्द्र चौहान ने 'कृष्ण' की भूमिका के लिए ऑडिशन दिया था।'महाभारत' में 'क्रोमा' तकनीक
'माया महल' वाले सीन के लिए क्रोमा का इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक का इस्तेमाल भ्रम पैदा करने के लिए किया गया था और वॉटर-पूल बनाने के लिए, जिसमें दुर्योधन फिसल जाता है, प्रोडक्शन-टीम ने डिजाइन बनाने के लिए थर्मोकोल पाउडर का इस्तेमाल किया। फिर भी पानी पर डिजाइन बनाने में उन्हें दो दिन लगे।'द्रोपदी' की साड़ी
'महाभारत' में 'द्रोपदी' के चीरहरण सीक्वेंस के लिए 250 मीटर लंबी साड़ी का इस्तेमाल किया गया था। रूपा गांगुली ने 6 मीटर लंबी साड़ी पहनी थी। राज बब्बर और देबाश्री रॉय को छोड़ कर 'महाभारत' के लगभग सभी कलाकार नए थे। बता दें राज बब्बर ने 'महाभारत' में 'राजा भरत' और देबाश्री रॉय ने 'सत्यवती', जो राजा शांतनु की दूसरी पत्नी थीं की भूमिका निभाई।
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