वेब सीरीज़ 'हसमुख' रिव्यू

नेटफ्लिक्स पर वीर दास, रणवीर शौरी सरीखे कलाकारों से सजी वेब सीरीज 'हसमुख' रिलीज़ हो चुकी है। निखिल गोंसाल्विस के निर्देशन में तैयार इस वेब सीरीज़ में कॉमेडी, ड्रामा, मर्डर मिस्ट्री जैसे एलीमेंट्स आपको मिलने वाले हैं। जल्दी-जल्दी पढ़िये इसका रिव्यू। 

Vir das as hasmukh
वेब सीरीज़ : हसमुख

निर्देशक : निखिल गोंसाल्विस

कलाकार : वीर दास, रणवीर शौरी, इनामुल हक, अमृता बागची, सुहैल नैयर, शांतनु घटक, मनोज पाहवा, रजा मुराद और रवि किशन

ओटीटी: नेटफ्लिक्स

रेटिंग: 2/5

नेटफ्लिक्स ने लॉकडाउन के दौरान अपनी वेब सीरीज़ 'हसमुख' रिलीज़ कर दी है। 10 एपिसोड की इस सीरीज़ में कॉमेडी, ड्रामा, डायलॉग और मर्डर मिस्ट्री सरीखे एलीमेंट्स हैं। स्टैंडअप कॉमेडियन वीर दास मुख्य भूमिका में हैं। वहीं रणवीर शौरी, इनामुल हक़, मनोज पाहवा, रज़ा मुराद सरीखे कलाकार भी ख़ास भूमिका में हैं। 17 अप्रैल यानी शुक्रवार को रिलीज़ हुई इस वेब सीरीज़ को नेटफ्लिक्स पर काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। आइए जानते हैं, क्या है इसमें ख़ास...

कहानी

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के 'हसमुख' (वीर दास) की, जो कॉमेडी शो जीतना चाहता है। उसे कामयाब कॉमेडियन बनना है, लेकिन उसका गुरु गुलाटी (मनोज पाहवा) उसे मौके तो नहीं देता, बल्कि बेइज्जती भर-भर कर देता है। स्टेज पर हो या फिर घर में, गुलाटी, हसमुक को हर जगह बेइज्जत करता है। एक दिन उत्तेजना में आकर वह अपने गुरु गुलाटी की हत्या कर देता है। इसके बाद वो पहली बार स्टेज पर जाता है और लोगों को को हंसाना शुरू करता है। यह शो हिट हो जाता है। गुलाटी का मैनेजर जिमी द मेकर (रणवीर शौरी) उसके लिए शोज़ लेकर आता है, लेकिन हसमुख के साथ एक समस्या है। वह यह कि जब तक वो 'कत्ल' न कर दे, उसके भीतर से 'कॉमेडी' निकलती ही नहीं है। इसकी व्यवस्था भी मैनेजर ही करता है। एक दिन उसका वीडियो वायरल होता है और वह मुंबई के एक टीवी शो में पहुंच जाता है। वहीं हसमुख के पीछे पुलिस पड़ जाती है। अब एक तरफ शो, दूसरी तरफ मर्डर। इस समस्या से कैसे बचता है हसमुख या फिर पुलिस के हाथ उसके गले तक पहुंच जाते हैं? यह जानने आपको सीरीज़ देखनी होगी।

समीक्षा

स्टैंडअप और ड्रामा को एक साथ लाने का प्रयास सराहनीय है। निर्देशक निखिल ने छोटे शहर से लेकर बड़े शहरों की चकाचौंध को बखूबी दिखाया है। सीरीज़ की स्पीड शुरू में अच्छी रही, लेकिन धीरे-धीरे इसने पकड़ छोड़ दी। साथ ही कहानी आठ एपिसोड में निबटाया जा सकता था, जिसे बेवजह खींच कर दस एपिसोड तक ले जाया गया। तकरीबन आधा दर्जन लोगों ने मिलकर इसकी कहानी लिखी है, फिर भी यह कहानी काफी कमजोर है। 

वहीं इस सीरीज़ में एक्टिंग की बात करें, तो 'हसमुख' बने वीर दास की स्क्रीन प्रजेंस अच्छी रही। वहीं 'जिमी' की भूमिका में रणवीर शौरी ने शानदार परफॉर्मेंस दी है। इसके अलावा छोटे-छोटे किरदारो में नज़र आए शांतनु घटक, रजा मुराद, अमृता बागची और इनामुल हक ने भी अपनी-अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है। हालांकि, मनोज पाहवा, रवि किशन और सुहैल नैय्यर के किरदार को थोड़ा और बेहतर किया जा सकता था। 

कुल मिलाकर इस सीरीज़ का सबसे मजबूत पॉइंट है इसकी एक्टिंग। कहानी, पटकथा और निर्देशन सभी में काफी झोल है।

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