'रामायण' का 'रावण' शूटिंग के दौरान करता था 'उपवास'

रामानंद सागर की 'रामायण' में 'रावण' की भूमिका निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी निराहार यानी बिना कुछ खाये-पीये ही धारावाहिक की शूटिंग किया करते थे। साथ ही घर से निकलने से पहले 'श्रीराम' की पूजा करते और उनसे क्षमा मांगा करते थे। 

Arvind Trivedi as ramayan's 'Ravan'
दूरदर्शन पर एक बार फिर से 'रामायण' ने दर्शकों को अपना जादू चला दिया है। फिलहाल 'रावण' वध हो गया है और 'उत्तर रामायण' शुरू हो चुका है, जिसमें 'लव-कुश' की कहानी दिखाई जा रही है। 

फिर भी 'रावण' की भूमिका निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी लगातार चर्चा में बने हुए हैं। मूलरूप से इंदौर के रहने वाले अरविंद गुजराती फिल्मों के जाने-माने नाम रहे हैं। 

हालांकि, 'रावण' ने उनको अभूतपूर्व लोकप्रियता दिलवाई है। 250 गुजराती फिल्मों में अभिनय करने वाले अरविंद ने हाल ही में एक वेब पोर्टल को दिये इंटरव्यू में 'रावण' की भूमिका मिलने से लेकर शूटिंग तक की कई बातें बताईं। 

अरविंद ने कहा कि वो गुजरात में थिएटर से जुड़े थे। जब उन्हें पता चला कि रामानंद सागर 'रामायण' बना रहे हैं। कास्टिंग चल रही है, तो ऑडिशन देने के लिए गुजरात से मुंबई आ पहुंचे। दरअसल, अरविंद को 'रामायण' में 'केवट' की भूमिका चाहिए थी। 

इसी सिलसिले में वो आगे कहते हैं, 'इस धारावाहिक में 'रावण' के किरदार के लिए सब चाहते थे कि अभिनेता अमरीश पुरी को कास्ट किया जाये। मैं तो 'केवट' की भूमिका के लिए आया था, लेकिन जब ऑडिशन देकर जाने लगा, तो मेरी बॉडी लैंग्वेज और एटीट्यूड देखकर रामानंद सागर जी ने कहा, 'मुझे मेरा रावण मिल गया'।'

वैसे, बता दें कि अरुण गोविल भी एक इंटरव्यू में स्वीकार चुके हैं कि 'रावण' की भूमिका के लिए अमरीश पुरी के नाम पर विचार किया जा रहा था, लेकिन वो ऑडिशन के लिए कभी नहीं आये। अरविंद त्रिवेदी में रामानंद सागर को उनके 'लंकेश' मिल गए थे। 

'रावण' की भूमिका को जिस तरह से अरविंद त्रिवेदी ने निभाया है, उसे देखने के बाद किसी और की उस भूमिका में अब कल्पना भी नहीं होती है। चौड़ा माथा, चेहरे पर तैरता क्रोध और गरजती आवाज़, 'रावण' के किरदार को जीवंत करता है। 

अरविंद आगे कहते हैं, ' मेरे लिए 'रावण' बनना आसान नहीं था और शूटिंग के लिए तैयार होने में मुझे पांच घंटे लगते थे। मेरा मुकुट ही केवल दस किलो का हुआ करता था और उस पर कई दूसरे आभूषण और भारी-भरकम कॉस्ट्यूम भी पहनने होते थे।'

यह तो सबको पता है कि 'रामायण' की शूटिंग गुजरात-महाराष्ट्र बॉर्डर के पास उमरगाम में हुआ करती थी। शूटिंग से जुड़ी तकलीफों के बारे में भी अरविंद ने बताया है। 

वो कहते हैं, 'सेट पर मैं हमेशा बंबई से ट्रेन पकड़कर उमरगाम जाया करता था। ट्रेन में सीट भी नहीं मिलती थी। इसलिए खड़े होकर जाना पड़ता था, लेकिन जब धारावाहिक टीवी पर आने लगा, तो लोग मुझे ट्रेन में बैठने के लिए सीट दे दिया करते थे और पूछा करते थे कि अब धारावाहिक में आगे क्या होने वाला है। मैं सबसे मुस्कुरा कर कहता था कि आप इसी प्रकार धारावाहिक देखो, पता चलेगा।'

अरविंद आगे बताते हैं, 'मैं असल जिन्दगी में भी राम-भक्त और शिव-भक्त हूं। इसलिए जब भी शूटिंग पर जाया करता, तो पूरा दिन उपवास रखता, क्योंकि मुझे इस बात का दुःख होता कि दी हुई स्क्रिप्ट के हिसाब से मुझे श्रीराम को उल्टे-सीधे शब्द बोलने हैं। शूटिंग शुरू होने से पहले मैं राम और शिव की पूजा आराधना करता था और उनसे क्षमा याचना करता था। फिर जब शूटिंग खत्म हो जाती थी, तो कपड़े बदलकर रात को अपना उपवास खोलता। शूटिंग के दौरान यही मेरी दिनचर्या होती।'

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