'रामायण' से चर्चा में आए असलम खान की कहानी
'रामायण' के दोबारा प्रसारण के बाद चर्चा में आए असलम खान से रामानंद सागर की मुलाकात कैसे हुए, वो कहां हैं इनदिनों और 'रामायण' के अलावा और किन धारावाहिकों में उन्होंने काम किया। सबकी जानकारी हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान असलम खान ने दिया।
कभी ऋषि मुनि के वेश में, कभी गुप्तचर के भेष में, कभी वानर बनकर राम की तरफ से लड़ते हैं, तो कभी राक्षस की भूमिका में अट्टाहास करते हैं, तो कभी समुद्र देव बन जाते हैं। हम बात कर रहे हैं अभिनेता असलम खान की।
रामानंद सागर की 'रामायण' का दोबारा प्रसारण हुआ और सोशल मीडिया पर असलम खान के नाम की चर्चा शुरू हुई, उनके मीम्स बनने लगे। फिर सबको याद आई इस अभिनेता की।
हालांकि, असलम अब एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को छोड़ चुके हैं और अपने पैतृक शहर यानी झांसी में बस गए हैं। वहीं अपना छोटा सा कारोबार करते हैं और दो बच्चों के साथ ज़िंदगी जी रहे हैं।
अब जब इनकी सोशल मीडिया पर चर्चा तेज़ हुए, तो इनके बेटे सोशल मीडिया पर आए और खुद को गौरांवित महसूस करने बात करते हुए ट्विट किया।
A very proud moment for me right now and thanks for airing the #RamayanOnDDNational as my father Sir Aslam Khan has been a part of a major supporting role.— Zaigam (@zaigam_zaigam3) April 5, 2020
A very thanks to all the #Ramayan team @SagarRamN @TheArunGovil @DipikaChikhalia @LahriSunil @imArvindTrivedi @DDNational pic.twitter.com/MJYrZO5bBG
असलम खान की कहानी
एक यू्ट्यूब चैनल को असलम ने इंटरव्यू दिया, जिसमें अपने करियर और जीवन से जुड़ी बातों को विस्तार पूर्वक बताया।
साल 1961 में उत्तर प्रदेश के झांसी में पैदा हुए असलम, जब एक साल के थे, तभी परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट हो गए। दरअसल, उनके पिता जी रेलवे में नौकरी करते थे। मुंबई में ही पले-बड़े और जब 19-20 साल के हुए, तो नौकरी की तलाश शुरू कर दी।
एक तरफ सरकारी नौकरी के फॉर्म भर रहे थे, और वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट जॉब की तलाश शुरू कर दी थी। इसी दौरान एक कंपनी में अकाउंट्स में उनको जॉब मिल गई। असलम की यूं तो एक्टिंग में कोई रूचि नहीं थी, लेकिन इनका एक दोस्त 'यात्री' थिएटर ग्रुप में काम करता था। अब अपने उस दोस्त के साथ नाटक देखने गए।
असलम ने ज़िंदगी में पहली बार थिएटर में प्ले देखा था। इन्हें काफी पसंद आया। अब कुछ दिन इनके उसी दोस्त ने शूटिंग पर चलने को कहा। दरअसल, असलम का वो दोस्त 'विक्रम बेताल' में उन दिनों छोटी-मोटी भूमिकाएं करता था। दोस्त के साथ प्ले देखने में मज़ा आया, तो सोचा शूटिंग भी देख लेते हैं।
फिर क्या असलम अपने दोस्त के साथ 'विक्रम बेताल' के सेट 'सागर विला' जा पहुंचे। बता दें कि 'सागर विला' रामानंद सागर का घर था, और इनके अधिकतर टीवी शो की शूटिंग और ऑडिशन यहीं होते थे। अब दोस्त के साथ पहुंचे, तो किसी असिस्टेंट ने इनका नाम भी लिख लिया।
उसी दिन एक एक्स्ट्रा की ज़रूरत आन पड़ी। दरअसल, उस दिन एक एक्स्ट्रा कैरेक्टर को 'चलो महाराज ने बुलाया है' बोलना था। इस डायलॉग के लिए नए चेहरे की तलाश थी। सबसे पूछा गया। फिर वहीं खड़े असलम पर नज़र पड़ते ही उनको यह डायलॉग बोलने के लिए कहा गया।
पहली बार कुछ ऐसा कर रहे थे, तो असलम ने पूरी जान लगा कर चिल्लाकर यह डायलॉग बोला। फिर इन्हें समझाया गया कि इतने जोश में नहीं, थोड़ा आराम से बोलो। जैसा कहा गया था, वैसा ही असलम ने किया और इस तरह से असलम के एक्टिंग करियर का आगाज़ हो गया।
'रामायण' में एंट्री
असलम की 'रामायण' की एंट्री विजय काविश की वजह से हुई। विजय काविश वहीं हैं, जो ‘रामायण’ में ‘शिव’ और ‘वाल्मीकि’ की भूमिका में दिखे। विजय काविश ने असलम से कहा कि तुम में कॉन्फिडेंस आ ही गया है, तो फिर चलो, तुम्हें 'रामायण' में भी रोल दिलवाते हैं।
‘रामायण’ रामानंद सागर बना रहे थे, तो इसकी कास्टिंग को उन्होंने अपने हाथ में ले रखा था। रामानंद सागर को सभी 'पापा जी' कहते थे। कास्टिंग के मामले में रामानंद सागर काफी सतर्कता बरतते थे। एक्टर का चेहरा, एक्सप्रेशन आदि सभी बिन्दुओं पर गौर करने के बाद भी चुनाव करते थे।
अब जब असलम से 'पापा जी' की मुलाकात हुई, तो उनको झट से ‘संत एकनाथ महाराज’की भूमिका में चुन लिया गया। इसके बाद तो नए-नए रोल मिलने लगे। कभी गांव वाला, तो कभी निषादराज के सेनापति आदि।
'रामायण' के 'समुद्र देव'
बीते दिनों असलम खान का निभाया गया यह किरदार सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा था। असलम तक यह भूमिका आने की भी दिलचस्प कहानी है। हुआ यह कि 'समुद्र देव' के लिए जिस अभिनेता को चुना गया था। वह शूटिंग पर नहीं पहुंचा। अब उस अभिनेता का इंतज़ार हो रहा था। इसी बीच किसी ने असलम को 'समुद्र देव' वाली स्क्रिप्ट दे दी और कहा, 'डायलॉग याद कर तैयार रहो। तुम्हारा नंबर पड़ सकता है।'
वह अभिनेता जो 'समुद्र देव' की भूमिका करने वाला था, वह काफी इंतज़ार के बाद भी नहीं आया, तो कैमरामैन अजीत नायक ने 'पापा जी' यानी रामानंद सागर को सुझाव दिया कि क्यों न एक बार असलम से वह सीन करवा लिया जाए।
रामानंद सागर ने सोचा कि कुछ नहीं तो रिहर्सल ही हो जाए। असलम को 'समुद्र देव' वाले डायलॉग बोलने के लिए कहा गया, जो उन्होंने झट से सुना दिया। रामानंद सागर को भी काफी पसंद आया और उन्होंने असलम को ही 'समुद्र देव' बनी दिया और शूटिंग शुरू कर दी।
'समुद्र देव' उनका अब तक का सबसे अहम रोल था, उसके बाद लोग उन्हें ‘समुद्र देव’ ही कहने लगे।
रामानंद सागर के पसंदीदा कलाकार
रामानंद सागर, असलम को काफी पसंद कते थे। असलम को वो 'बड़ी बड़ी आंखों' वाला कहते थे। धारावाहिक 'कृष्णा' में असलम एक 'दृष्टिहीन' व्यक्ति की भूमिका में दिखे थे, जो कृष्ण के लिए दीवान हो चुका है।
इस सीन को असलम ने इतने बेहतरीन तरीके से किया था कि रामानंद सागर भी रो पड़े थे। दरअसल, इस सीन को 'पापा जी' यानी रामानंद सागर ने काफी अच्छे एक्स्प्लेन किया। कहां गिरना है, कहां से आना है...आदि। असलम ने सबकुछ बड़े ध्यान से सुना। फिर शुरू हुआ गाना और जैसे ही यह सीन 'कट' हुआ, तो रामानंद सागर इनके पास आए, और इन्हें गले लगा लिया। 'कृष्णा' में इनका ‘द्वारपाल’ का रोल भी काफी पसंद किया था।
असलम ने किया रामानंद सागर को भावुक
एक और अहम भूमिका है, जिसको देखने के बाद रामानंद सागर काफी भावुक हो गए थे। असलम ने 'अधिरथ' की भूमिका निभाई थी। अधिरथ. वहीं हैं, जिन्होंने कर्ण को पाला था। एक सीन था जिसमें अधिरथ, कर्ण के बड़े होने पर उसे सच्चाई बताते हैं कि वह 'सूतपुत्र' नहीं है। बल्कि वह उनको नदी में एक टोकरी में मिला था।
अब जब यह एपिसोड टेलीकास्ट हुआ, तो पूरी टीम एक साथ बैठकर देख रही थी। असलम वाला सीन आया। रामानंद सागर उठे और जाकर टीवी के पास बैठ गए। सीन खत्म हुआ, तो टीवी में अधिरथ रो रहे थे और टीवी के बाहर रामानंद सागर की आंखें भींग गईं थी।
इसके बाद रामानंद सागर ने असलम को आवाज़ लगाई, 'अरे, मेरा बंदा कहां है।'
असलम आए, तो रामानंद सागर ने उनको कसकर गले लगा लिया।
पुनीत इस्सर का अधूरा वादा
धारावहिक ‘जय माता की’ में असलम ने 'ऋषि दुर्वासा' की भूमिका की थी, जो क्रोध में आने पर किसी को भी श्राप दे दिया करते थे। इस धारावाहिक में असलम द्वारा निभाये गए 'ऋषि दुर्वासा' की भूमिका से पुनीत इस्सर काफी प्रभावित हुए। बता दें कि 'जय माता दी' को पुनीत ही निर्देशित कर रहे थे। अब असलम की एक्टिंग बेहद खुश पुनीत ने अपनी अगली फिल्म ‘गर्व’ में रोल देने का वादा कर दिया। हालांकि किसी वजह से असलम को वह रोल नहीं मिल सका।
अन्य धारावाहिक
असलम ने अरुण गोविल के सीरियल ‘मशाल’ में भी काम किया। ‘अलिफ़ लैला’ में नज़र आए। ‘ये हवाएं’ सीरियल में भी वो दिखाई दिए। संजय खान ने इनको ‘महारथी कर्ण’ में जयद्रथ की भूमिका दी थी। जयद्रथ, वही है जिसने अभिमन्यु की हत्या की थी और अगले दिन अर्जुन जिसका वध कर दिया था।
इन्होंने सिर्फ 'रामायण' ही नहीं बल्कि रामानंद सागर के सीरियल 'कृष्णा' में राक्षसी की भूमिका भी निभाई थी।
18 साल पहले छोड़ दी इंडस्ट्री
एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में असलम ने बताया कि साल 2002 में उन्होंने एक्टिंग करियर को छोड़ दिया, क्योंकि वहां काम नहीं मिल रहा था। इसके बाद बिजनेस शुरू कर लिया था। फिलहाल दो बच्चों के साथ झांसी में रहते हैं और मार्केटिंग में काम करते हैं।
असलम आगे कहते हैं, 'लोगों से पता चला कि सोशल मीडिया पर मीम्स बन रहे हैं। मुझे लगता है कि यदि उस वक्त इस तरह से मीडिया और फोन होते, तो मैं उस वक्त ही मशहूर हो जाता। मुझे अच्छे किरदार मिलने शुरू हो जाते।'
वो आगे कहते हैं, 'अब लोग देख रहे हैं, तो मेरा काम पसंद कर रहे हैं। कईयों ने बताया कि मैं वायरल हो रहा हूं। तब घरवालों ने फेसबुक पर देखा। पता नहीं कितने लोगों ने लाइक किया हुआ है। बहुत अच्छा लग रहा है। आखिरकार लोगों ने नोटिस किया।'
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