Paatallok Review : जयदीप अहलावत की दमदार परफॉर्मेंस
अमेज़न प्राइम वीडियो की वेब सीरीज़ 'पाताल लोक' रिलीज़ हो चुकी है, जिसे अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन हाउस क्लीन स्लेट ने प्रोड्यूस किया है और इस सीरीज़ को 'एन एच 10' और 'उड़ता पंजाब' सरीखी फिल्मों को लिखने वाले सुदीप शर्मा ने लिखा है और निर्देशन की बागडोर अविनाश अरुण और प्रोसित रॉय ने संभाली है। जयदीप अहलावत, नीरज काबी, अभिषेक बनर्जी सरीखे दमदार कलाकारों से सजी इस सीरीज़ की आइए करते हैं समीक्षा।
निर्माता :क्लीन-स्लैट फिल्म्स
सृजनकर्ता : सुदीप शर्मा
निर्देशक : अविनाश अरुण और प्रोसित रॉय
ओटीटी : प्राइम वीडियो
एपिसोड : 9
जॉनर : क्राइम थ्रिलर
रेटिंग : 4/5
अमेज़न प्राइम वीडियो की वेब सीरीज़ 'पाताल लोक' हमारे देश और ज़िंदगी के उस हिस्से के बारे में बात करती है जिसे सब जानते हैं और जीते भी हैं, लेकिन इसके बारे में बात नहीं करते हैं। टीज़र देख चुके होंगे, तो आपको 'हाथीराम' का डायलॉग ज़रूर याद होगा, 'दुनिया, एक नहीं तीन हैं। इसमें सबसे ऊपर है स्वर्ग लोक, जिसमें देवता रहते हैं। बीच में धरती लोक, जिसमें आदमी रहते हैं और सबसे नीचे पाताल लोक, जिसमें कीड़े रहते हैं।'
क्राइम के साथ थ्रिलर का मेल, जिसमें रियलिटी का पुट मिलाकर तैयार किया गया है 'पाताल लोक'। अनुष्का शर्मा ने इसे प्रोड्यूस किया है। फिर चलिए शुरू करते हैं इस सीरीज़ की समीक्षा।
कहानी
यह कहानी है हाथीराम चौधरी ( जयदीप अहलावत) की। हाथीराम दिल्ली के जमुनानगर थाने में पोस्टेड है, जिसे 'पाताल लोक' भी कहते हैं। असल मामला तब शुरू होता है, जब दिल्ली पुलिस के एक खास ऑपरेशन में चार अपराधियों को गिरफ्तार किया जाता है, जिन पर मीडिया टाइकून संजीव मेहरा ( नीरज कबी ) के हत्या की साजिश का आरोप है। इस केस की तफ्तीस की जिम्मेदारी हाथीराम चौधरी को दिया जाता है। सालों से पुलिस डिपार्टमेंट में काम करने के बाद भी कुछ बड़ा नहीं कर पाए हैं। यह बड़ा केस मिलने से हाथीराम को लगता है कि यह एक अच्छा मौका है, जिससे वो पुलिस महकमे को यह साबित कर पाएंगे कि वो एक होनहार पुलिसवाले हैं।
प्रोफेशनल के साथ हाथीराम के पर्सनल फ्रंट पर भी काफी दिक्कतें हैं। उनकी पत्नी रेनू चौधरी (गुल पनाग) और बेटा सिद्धार्थ (बोधिसत्व शर्मा), जो सीधे मुंह हाथीराम चौधरी से बात नहीं करता, जबकि स्कूल और दोस्तों से बुली होता रहता है।
हाथीराम के मजबूत कंधों पर संजीव मेहरा के हत्या की साजिश, पकड़े गए आरोपियों की मंशा और साथ में अपने परिवार की दिक्कतें। इन सभी को कैसे सुलझाता है, क्या-क्या नए पेंच आते हैं। इससे ज्यादा यहां लिखना स्पॉइलर ही होगा।
समीक्षा
'पाताल लोक' की कास्टिंग पर ध्यान देंगे, तो पाएंगे कि इस सीरीज़ में कोई भी 'स्टार' नहीं है, बल्कि सभी कलाकार अधिकतर फिल्मों शो या सीरीज में सपोर्टिंग रोल में अभी तक नज़र आएं हैं। हालांकि, सभी के काम को पहले भी काफी तारीफें मिल चुकी हैं। जहां मुख्य किरदारों में जयदीप अहलावत, नीरज काबी, इश्वाक सिंह, अभिषेक बनर्जी हैं, तो वहीं सपोर्टिंग रोल में स्वस्तिका मुखर्जी, गुल पनाग, विपिन शर्मा, आकाश खुराना हैं।
परफॉर्मेंस की बात करें, तो सबसे पहले नंबर पर आते हैं जयदीप अहलावत। इस सीरीज़ में गज़ब चमके हैं। अपने किरदार को उन्होंने उम्दा तरीके से निभाया है। परिवार, करियर के बीच फंसे इंसान की झुंझलाहट, मजबूरी, सड़ चुके सिस्टम से खीझ सब कुछ उनके चेहरे पर बेहतरीन तरीके से उभरता है।
जयदीप अहलाव की परछाई की तरह नज़र आने वाले इमरान अंसारी के रोल में इश्वाक सिंह हैं। यह भी अपने किरदार के साथ इंसाफ करते दिखते हैं। वहीं पत्नी बनी गुल पनाग के पास करने को कुछ ज्यादा नहीं था, लेकिन गुल ने भी अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभा ली है। 'हाथीराम' के बेटे 'सिद्धार्थ' की भूमिका बोधिसत्व ने अच्छी तरह से निभाई। एक टीनएजर लड़का, जो बाहर की दुनिया से परेशान है और इसका कारण अपने पिता को मानता है। सारे एक्सप्रेशन ठीक से कर ले गए बोद्धिसत्व।
'संजीव मेहरा' बने नीरज काबी के किरदार को किसी शेड में नहीं रख सकते हैं, लेकिन एक महत्वकांछी न्यूज एंकर के किरादार को बेहतरीन तरीके से निभाया है। नीरज अपने किरदार और कहानी में बेहतरीन तरीके से ढलने वाले कलाकार के रूप में जाने जाते हैं।
विशाल उर्फ हथौड़ा त्यागी के रोल में अभिषेक बनर्जी के चेहरे की भाव-भंगिमाएं देख कर आपक खून जम ज़रूर जाएगा। सख्त शांत चेहरा, जिन पर चीरती निगाहें। डायलॉग्स से कम और एक्सप्रेशन्स से ज्यादा कमाल कर गए हैं अभिषेक।
वहीं 'पाताल लोक' की सपोर्टिंग कास्ट ने भी बेहतरीन काम किया है। बता दें कि यह वेब सीरीज़ बीते पांच सील से बन रही थी। देखने के बाद लगता है कि वाकई, अच्छी चीज़ों को बनने में समय लग जाता है।
ख़ैर, बढ़ते हैं निर्देशन की तरफ। इस वेब सीरीज़ को अविनाश अरुण और प्रोसित रॉय निर्देशित किया है, जबकि कहानी सुदीप शर्मा ने लिखी है। सुदीप वही हैं, जिन्होंने 'उड़ता पंजाब', 'एन एच 10' सरीखी फिल्में दे चुके हैं।
'पाताल लोक' की कहानी जितनी शानदार है, उतने ही बेहतरीन तरीके से इसे स्क्रीन पर उतारा गया है। हर किरदार की अपनी कहानी है, जो बहुत सरल और सहज तरीके से आपको दिखाई गई है।
मौजूदा समय में जिन मुद्दों की बात अक्सर हो रही है, उन सभी मुद्दों का छूते हुए यह सीरीज़ गुजरती है। बात चाहे धर्म की हो, मीडिया के पहले जैसा ना रहने की बात हो, छोटे शहर में होने वाली बातें हों, पत्रकारों के मर्डर, बड़े शहरों में बड़े घरों में रहने वाले लोगों की जिंदगी, क्राइम, पुलिस सभी को सलीके से इस वेब सीरीज़ में परोसा गया है। कुछ भी ऐसा नहीं है, जो आपको समझ न आए।
हालांकि, इसके कुछ सीन्स आपको असहज जरूर करेंगे, लेकिन सच के करीब है। 'पाताल लोक' के 9 एपिसोड हैं, एक को देखने के बाद आप दूसरे के लिए खुद को रोक नहीं पाएंगे।
यह वेब सीरीज़ 'मस्ट वॉच' है। न सिर्फ कहानी और किरदार, बल्कि कलाकार, निर्देशन के मुद्दे, बेहतरीन तरीके से बनी यह वेब सीरीज़ मौजूदा दौर की बेहतरीन वेब सीरीज़ है।
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