राजेंद्र कुमार आधी फीस लेकर बने साधना के हीरो
रामानंद सागर की फिल्म 'आरज़ू' में काम करने के लिए राजेंद्र कुमार ने आधी फीस ली, ताकि साधना फिल्म में कास्ट की जा सकें। फिल्म रिलीज़ हुई और अन्य फिल्मों की तरह जुबली कुमार यानी राजेंद्र कुमार की यह फिल्म भी सुपरहिट रही। हालांकि, बाद में इस फिल्म ने उनको काफी फायदा पहुंचाया।
हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के जुबली कुमार यानी राजेंद्र कुमार का जन्म पाकिस्तान के पंजाब के सियालकोट में हुआ। इनके पिता लाहौर में कपड़ा कारोबारी थे। विभाजन के बाद इनका परिवार भारत आ गया और फिर फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के लिए राजेंद्र कुमार मुंबई आ गए।
फिल्मों में हीरो बनने का सपना लिए राजेंद्र मुंबई आए थे। काफी कोशिशों के बाद उनको फिल्म ‘जोगन’ में एक छोटी सी भूमिका मिली थी। फिल्म में मुख्य भूमिका में दिलीप कुमार थे। इस फिल्म में उनके अभिनय से फिल्म निर्माता देवेंद्र गोयल प्रभावित हुए और उन्हें अपनी अगली फिल्म में लीड रोल देने का वादा किया।
गीतकार राजेन्द्र कृष्ण की मदद से 150 रुपए की तनख्वाह पर डायरेक्टर एचएस रवैल के असिस्टेंट के तौर पर भी राजेंद्र कुमार ने काम किया। फिर उनकी पहली फिल्म बतौर लीड एक्टर 'वचन' रिलीज़ हुई। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ठीक ठाक काम किया, लेकिन खुद को स्थापित करने में राजेंद्र कुमार को लगभग सात साल लग गए।
नर्गिस की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'मदर इंडिया' के लिए उनकी जबरदस्त तारीफ हुई, लेकिन साल 1963 में आई फिल्म 'मेरे महबूब' के बाद से उनकी गिनती स्थापित अभिनेता के रूप में होने लगी।
आधी फीस में की थी 'आरज़ू'
रामानंद सागर 'आरज़ू' नाम से फिल्म बना रहे थे और अपनी फिल्म में हीरो के रूप में राजेंद्र कुमार साइन किया। अब रामानंद हीरोइन के रूप में साधना को लेना चाहते थे, क्योंकि साधना उस वक्त बॉक्स ऑफिस सफलता के सौ प्रतिशत गारंटी मानी जाती थीं, लेकिन साधना फिल्म में काम करने के लिए राजेंद्र कुमार से ज्यादा फीस मांग रही थीं।
रामानंद सागर परेशान थे। अब जब राजेंद्र कुमार को इसकी जानकारी मिली, तो वो खुद साधना से बात करने पहुंच गए। साधना टस से मस नहीं हो रही थीं। ऐसे में राजेंद्र कुमार ने रामानंद सागर से कहा, 'मैं आधी फीस में भी काम कर लूंगा, आप साधना की डिमांड पूरी कर दें।'
फिल्म बनी और फिर हिट भी हुई। रामानंद सागर ने राजेंद्र कुमार का यह अहसान उतारने के लिए दिल्ली टेरिटरी से होने वाली आमदनी को उनके नाम कर दी। इस तरह आधी फीस लेने के बाद भी राजेंद्र कुमार को इस फिल्म ने कई गुना ज्यादा आमदनी करवाई।
'साजन बिन सुहागन' की साइनिंग
तमाम बॉक्स ऑफिस सफलता देखने के बाद राजेंद्र कुमार के जीवन में एक ऐसा भी समय आया, जब उनको कोई अपनी फिल्मों में कास्ट नहीं कर रहा था। उन दिनों राजेंद्र कुमार अपने बंगले में ही रहा करते थे। तभी सावन कुमार 'साजन बिन सुहागन' के लिए राजेंद्र कुमार को साइन करने पहुंचे और साथ में सिर्फ ग्यारह हज़ार लेकर गए थे।
राजेंद्र कुमार के बंगले पर पहुंचे, तो देखा राज कपूर बैठे हैं। दरअसल, सावन कुमार राजेंद्र कुमार और नूतन को काफी पसंद करते थे और एक बार दोनों की जोड़ी को सिल्वर स्क्रीन पर बनाना चाहते हैं।
ख़ैर, सावन कुमार ने अपना प्रस्ताव राज कपूर के सामने ही राजेंद्र कुमार को दिया। राजेंद्र ने तुरंत हामी भी भर दी, लगे हाथ ग्यारह हज़ार की साइनिंग अमाउंट भी दे दिया। राज कपूर ने तुरंत उत्साहित होकर कहा,'इस फिल्म का क्लैप मैं देने आऊंगा।' तभी सावन कुमार ने कहा, 'आप क्लैप देने नहीं सिल्वर जुबली ट्रॉफी देने आइएगा।'
फिल्म हिट हुई और राज कपूर उनको जुबली ट्रॉफी देने आए।
बता दें कि राजेंद्र कुमार ने अपने करियर में 80 फिल्मों भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है, जिनमें से 35 फिल्में जुबली हिट रही हैं। वहीं उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। साल 1964, साल 1965 और साल1966 यानी लगातार तीन साल तक राजेंद्र कुमार को फिल्मफेयर में बेस्ट एक्टर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेशन मिला। साल 1969 में राजेंद्र कुमार को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।
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