'श्रीकृष्णा' के 'कंस मामा' विलास राज से स्वपनिल जोशी का है ख़ास कनेक्शन
रामानंद सागर द्वारा निर्मित 'श्रीकृष्णा' में 'कंस मामा' का किरदार विलास राज ने निभाया था। विलास राज ने सागर आर्ट्स के कई धारावाहिकों में अहम किरदार निभाये हैं। 'विक्रम बेताल', 'रामायण' के अलावा वो 'ब्योमकेश बख्शी' में भी नज़र आ चुके हैं। विलास आखिरी बार साल 2015 में आए एक मराठी नाटक में नज़र आए थे। वहीं 'श्रीकृष्णा' में 'कृष्ण' के बाल रूप और 'रामायण' में 'कुश' बने स्वप्निल जोशी से ख़ास नाता है।
रामानंद सागर के एक और लोकप्रिय धारावाहिक 'श्रीकृष्णा' का प्रसारण शुरू हो चुका है। इससे पहले धारावाहिक 'रामायण' ने टीआरपी टेबल में दूरदर्शन को टॉप पर पहुंचा दिया था। हालांकि, 'रामायण' को फिलहाल स्टारप्लस पर एक बार फिर से प्रसारित किया जा रहा है।
धारावाहिक 'श्री कृष्णा' 3 मई से दूरदर्शन पर लौट चुका है। 'रामायण' की तरह से इस धारावाहिक ने टेलीविजन जगत में इतिहास रच दिया था और इसके कलाकार भी अपने-अपने किरदारों के नाम से मशहूर हुए हैं। बाल 'कृष्ण' बने स्वप्निल, तो वहीं बड़े 'कृष्ण' बने सर्वदमन डी बनर्जी और 'सुदामा' बने मुकुल नाग के साथ 'कंस' बने विलास राज आज भी लोगों को याद हैं।
आज बात उन्हीं अभिनेता विलास राज की, जो मशहूर 'श्रीकृष्णा' के 'कंस मामा' और 'रामायण' के 'लवणासुर' के रूप में हुए, लेकिन उन्होंने 'विक्रम और बेताल', 'ब्योमकेश बख्शी', 'अनहोनी', 'अलिफ लैला', 'महाबली हनुमान' जैसे धारावाहिकों के अलावा कुछ फिल्में भी की हैं।
'कंस मामा' का किरदार विलास राज ने बिलकुल उसी तरह अमर किया, जैसे 'रावण' की भूमिका निभा कर अरविंद त्रिवेदी ने। दुख की बात यह है कि अब विलास इस दुनिया में नहीं रहे।
'श्रीकृष्ण' में बाल 'कृष्ण' बने अभिनेता स्वप्निल जोशी ने एक इंटरव्यू में विलास राज के निधन की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा,'विलास राज बेशक अब दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने 'कंस' का किरदार हमेशा के लिए अमर कर दिया। इस भूमिका को उन्होंने इतनी शिद्दत से निभाया कि वह घर-घर में 'कंस मामा' के नाम से पुकारे जाने लगे।'
स्वप्निल ने विलास राज के बारे में आगे बताया, 'वह बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय थे। वो जहां भी जाते थे, बच्चे उन के पीछे 'लवणासुर' कहकर भागने लगे थे।'
ख़ास बात यह है कि विलास राज ही वह शख्स थे, जिनकी वजह से स्वप्निल जोशी को 'रामायण' में 'कुश' की भूमिका मिली थी। दरअसल, विलास राज ने ही स्वप्निल की तस्वीर सागर ऑफिस में दी थी, जिसके बाद उन्हें 'कुश' की भूमिका मिली। इसके बाद काफी लंबे समय तक स्वप्निल ने सागर आर्ट्स के साथ काम किया।
अब बात करें विलास राज की, तो वो मराठी थिएटर के नामचीन नाम थे। विलास राज को प्रेम सागर ने मुंबई के दादर स्थित शिवाजी मंदिर के बाहर एक नाटक करते हुए देखा और फिर उन्हें 'विक्रम और बेताल' के लिए साइन कर लिया गया। उस नाटक में विलास राज ट्रक ड्राइवर की भूमिका कर रहे थे। यहीं से विलास राज की एंट्री सागर कैंप में हो गई।
अब जब सागर आर्ट्स ने 'विक्रम और बेताल' के बाद 'रामायण' की शुरुआत की, तो उसमें विलास राज को 'लवणासुर' नाम के राक्षस की भूमिका दी गई। 'रामायण' में भले ही विलास राज के खाते में कुछ एपिसोड ही आए हों, लेकिन अपने दमदार अभिनय की वजह से उन्होंने 'लवणासुर' की छाप लोगों के जेहन में छोड़ी।
कहा तो यह भी जाता है कि जब वो एक बार मुंबई के गिरगांव स्थित लक्ष्मीबाई चॉल में किसी से मिलने पहुंचे थे, तो उन्हें देखते ही भगदड़ मच गई थी।
विलास राज ने कई धारावाहिकों के अलावा कुछ फिल्में भी कीं। विलास राज आखिरी बार साल 2015 में आए मराठी नाटक 'आयी शिवाय घर नाही' में नजर आए थे।
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