कादर खान ने जब अमिताभ बच्चन के लिए लिखा था 16 पेज का एक सीन

अमिताभ बच्चन की फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' के लिए जब 16 पेज लंबा एक सीन आया, तो वो देखते ही घबरा गए। फिर इस सीन को करने से मना करने लगे। आखिर में कादर खान को बुलाया गया, क्योंकि उन्होंने इतना लंबा सीन लिखा था। जब कादर खान उस सीन को समझाने लगे, तो अमिताभ की आंखें भींग गईं। पूरा किस्सा पढ़िए। 

kader khan wrote 16 page long scene for mukadder ka sikander
कादर खान और अमिताभ बच्चन के बीच शुरू में काफी अच्छी दोस्ती हुई करती थी। दरअसल, कादर खान न सिर्फ बेहतरीन अभिनेता थे, बल्कि उम्दा स्क्रिप्टराइटर भी थे। उनकी लिखी कई फिल्मों में अमिताभ बच्चन को जबरदस्त प्रशंसा मिली है। इन फिल्मों में ‘कुली’, ‘अमर अकबर एन्थोनी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘लावारिस’ ‘शराबी’सरीखी फिल्में शामिल है। 

कादर खान और अमिताभ बच्चन का एसोसियशन वक्त और गलतफहमी के चलते कमजोर हो गया। फिर तो वो औपचारिक बन कर रह गया। हालांकि, कादर खान ने एक बार अमिताभ बच्चन के बारे में कहा था कि उसे मैं स्टार नहीं, बल्कि भाई मानता था, लेकिन उसके सिर पर स्टारडम चढ़ चुका है। 

ख़ैर, एक और इंटरव्यू में में कादर खान ने फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया, जिसे आज आपसे हम साझा करने जा रहे हैं। 

उस इंटरव्यू में कादर खान ने कहा, 'फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ का एक सीन था, जो मैंने प्रकाश मेहरा को सुनाया। वह सीन जहां अमिताभ स्टेज पर अपनी जिंदगी की कहानी सुनाते हैं। उस सीन में दरअसल, मैंने अपनी ही कहानी लिखी थी। इत्तेफाक से वो एक ही सीन 16 पेजों का बन गया।'

इस वाकये के बारे में वो आगे कहा था, 'अब जब मैंने उस सीन का नरेशन फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को उनके घर पर दिया, तो वे सभी सुनकर रोने लगे, लेकिन जब शूटिंग शुरू हुई और अमिताभ के पास वो सीन पहुंचा। 16 पेज का एक सीन देख कर अमिताभ बोला, ये क्या है, इतना बड़ा सीन होता है क्या?'। इसके बाद अमिताभ के असिस्टेंट ने भी उन्हें सीन पढ़कर सुनाया, लेकिन सीन का वो फील उन्हें नहीं मिला। मिलता भी कैसे। इसके बाद अमिताभ ने कहा, ‘ये तो मुझसे नहीं होगा, इस सीन को छोटा करो।’ तब मैं अपनी किसी और फिल्म की शूटिंग कर रहा था। सेट पर देखा, तो मुझे अमिताभ की गाड़ी दिखी और उसमें से निकल कर एक आदमी आया और बोला कि प्रकाश जी और अमित जी आपको बुला रहे हैं, क्योंकि 16 पेज वाले सीन में कुछ गड़बड़ है। मैंने सोचा कि उस सीन पर मैं नाज़ किए बैठा हूं और ये कह रहे हैं कि गड़बड़ है, मैंने कहा चलो।’

कादर खान ने अपने इस इंटरव्यू में आगे बताया, ‘मैं वहां गया तो अमिताभ बोले, ‘अरे भाई ये क्या लिखा है, क्या तूने पूरी किताब लिख दी है।’फिर मैंने कमरे से बाकी सबको बाहर भेज दिया और वो सीन अमिताभ को पढ़कर सुनाने लगा। तब मेरे दोस्त अमिताभ ने अपना टेप रिकॉर्डर ऑन कर दिया, सीन सुनते-सुनते अमिताभ की आंखों में आंसू आ गए और कहा, ‘इसीलिए तो मुझे कादर खान पर नाज़ है। तू मुझे सीन खुद रिकॉर्ड करके दिया कर क्योंकि तेरे जैसा कोई पढ़कर दे नहीं सकता है।’

'मुकद्दर का सिकंदर' में कादर खान

इस फिल्म में न सिर्फ कादर खान ने डायलॉग्स लिखे, बल्कि इसमें बतौर एक्टर भी नज़र आए। इस फिल्म का वो सीन, जहां एक भिखारी कब्रिस्तान में बैठे एक छोटे बच्चे से कहता है कि यहां भी कोई किसी की बहन है, कोई किसी का भाई है, कोई किसी की मां है। इस शहर ए खामोशियों में, इस खामोश शहर में, इस मिट्टी के ढेर के नीचे, सब दबे पड़े हैं। मौत से किसको रास्तागारी है? मौत से कौन बच सकता है? आज उनकी तो कल हमारी बारी है, लेकिन एक बात याद रखना जो दुख में भी मुस्कुराता रहता है वहीं मुकदर का सिकंदर कहलाता है। बाद में इसी लाइन को लेकर इस गाने को भी बनाया गया था।

इस सीन को खुद कादर खान अपना फेवरेट डायलॉग कहते थे। बता दें, कादर खान मुंबई के एम.एच सब्बू सिद्दिकी पॉलिटेक्निक और एम.एच सब्बू सिद्दिकी टेक्निकल हाईस्कूल में सिविल इंजीनियरिंग पढ़ाते थे। वहीं कादर खान को बॉलीवुड में लाने का श्रेय दिलीप कुमार को जाता है। दरअसल, कादर खान को एक्टिंग के प्लेराइटिंग किया करते थे। कॉलेज के एनुअल-डे फंक्शन में उनके नेतृत्व में एक नाटक किया जा रहा था। इसी फंक्शन में बतौर चीफ गेस्ट बनकर आए दिलीप साहब की नजरों ने कादर खान के अंदर की प्रतिभा को पहचाना था और उन्हें मायानगरी की दुनिया में ले आए।

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