कंगना रनौत बॉलीवुड के मूवी माफिया और नेपोकिड्स पर भड़कीं

सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या से कंगना रनौत काफी आहत हैं और उनके इस कदम के लिए बॉलीवुड के मूवी माफिया और नेपोकिड्स को जिम्मेदार ठहराया। साथ में उन्होंने कहा कि सुशांत को कतरा-कतरा करके तोड़ा गया। सुशांत की भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और मानसिक लिंचिंग की गई है। 

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सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को लेकर कंगना रनौत ने एक बार फिर से बॉलीवुड के मूवी माफिया को आड़े हाथों लिया। शुक्रवार को उन्होंने अपनी टीम के सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वो कह रही हैं कि सुशांत के दिमाग को कतरा-कतरा करके तोड़ते हुए उन्हें मार दिया गया। इसके साथ ही उन्होंने 'ब्लाइंड्स' लिखने वाले जर्नलिस्ट्स पर भी जमकर बरसीं। 

वीडियो शेयर करते हुए कंगना की टीम ने लिखा, 'खुलेआम एक व्यक्ति की भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और मानसिक लिंचिंग होती है, और हम सभी इसे चुपचाप देखने के दोषी हैं। क्या सिर्फ व्यवस्था को दोषी ठहराना सही होगा? क्या कभी बदलाव भी होगा? क्या हम कहानी में महत्वपूर्ण बदलाव देखने जा रहे हैं, कि बाहरी लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है?

वीडियो में कंगना अपनी बात रखते हुए कहती हैं, 'सुशांत सिंह राजपूत की हत्या के बाद कई चीजें बाहर निकलकर सामने आई हैं। कुछ मैंने इंटरव्यूज भी पढ़े हैं। कुछ से सीधी बात भी की है। उनके पिताजी का कहना है कि वो फिल्म इंडस्ट्री में हो रही टेंशन के चलते बहुत ज्यादा परेशान थे।'

पहले निर्देशक अभिषेक कपूर के हवाले से कहती हैं, 'अभिषेक कपूर जिन्होंने उन्हें लॉन्च किया था, उनके साथ हाल ही में एक फिल्म की थी 'केदारनाथ', उनका कहना है कि ये सिस्टमेटिक डिस्मेंटल ऑफ फ्रेजाइल माइंड था। अंकिता जो लंबे समय तक उनकी पार्टनर रह चुकी हैं, उनका कहना है कि वो सामाजिक रूप से किया गया अपमान और बेइज्जती को नहीं सह पाया।'

वो आगे कहती हैं, 'तो अब मैं आपको बताऊंगी कि मूवी माफिया ने ना कि सिर्फ उनको बैन किया था, बल्कि सिस्टमैटिक डिस्मेंटली कैसे कतरा-कतरा करके उनका दिमाग तोड़ा गया है, उनको मारा गया है, तो ब्लाइंड आइटम आप इसलिए लिखते हैं, क्योंकि जब आपको झूठ लिखना होता है और आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती।'

ब्लाइंड पीस को लेकर वो कहती हैं, 'क्योंकि उसमें आपका नाम नहीं लिखा होता, लेकिन उसकी जो डिस्क्रिप्शन होती है, उससे आप उसे पहचान सकते हैं। जैसे मेरे बारे में लिखा जाएगा, जिस लड़की के घुंघराले बाल हैं, जिसको नेशनल अवॉर्ड मिला हुआ है, जो कि साइकोटिक है, जो कि मनाली से है। इस तरह से डिस्क्रिप्शन पूरी दी जाएगी लेकिन नाम नहीं लिखा होगा।'

इसके बाद कंगना कुछ मीडिया हाउसेस का नाम लेकर उनके द्वारा अलग-अलग वक्त पर सुशांत के बारे में लिखे गए ब्लाइंड्स के बारे में जानकारी देती हैं। एक आर्टिकल का जिक्र करते हुए कहती हैं कि उसमें लिखा है कि सेक्स करते वक्त सुशांत को अपनी ही फिल्म के गाने सुनना पसंद था। वो इतने आत्ममुग्ध थे। फिर एक आर्टिकल में लिखा गया कि वो ट्रक ड्राइवर की तरह दिखते हैं। एक आर्टिकल में कहा गया कि नशे में एक डायरेक्टर के सिर पर कांच की बोतल तोड़ दी थी। वहीं एक आर्टिकल में दावा किया गया कि उन्होंने अपनी को-एक्ट्रेस का रेप किया था। 

आगे कंगना कहती हैं, 'ये जो बुद्धिजीवी हैं, ये जो चील, कौवे, गिद्ध हैं, ये जो मूवी माफिया के पाले हुए हैं। ये इसको मेंटल, इमोशनल, साइक्लोजिकल लिंचिंग को जर्नलिज्म कहते हैं।'

इसके बाद कंगना अपने साथ हुआ एक वाकया भी बताती हैं। जब उन्होंने एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का अपमान होने पर आवाज उठाई थी। वे बताती हैं, 'तब उन्होंने मेरे खिलाफ एक गिल्ड बनाकर मेरी फिल्म को बैन करने की बात कही गई थी।' 

उन्होंने कहा, 'ये समाज जिस अन्याय की बुनियाद पर टिका है और कभी आवाज नहीं उठाता।'

आखिर में कंगना ने कहा, 'आप ऐसे ब्लाइंड्स को चटकारे लेकर पढ़ते हैं, कभी आपने सोचा है कि कभी नेपो किड्स के बारे में ऐसा क्यों नहीं लिखा जाता है, तो ये अन्याय का फंदा किसी दिन जब आपके बच्चों के गले में लटका मिलेगा, आपके गले में लटका मिलेगा तब आपको पता चलेगा कि क्या गुजरती है।'


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